मरीज को आया अटैक, डॉ हिमांशु यादव ने क्लीनिक में CPR देकर बुजुर्ग की बचाई जान
डीके श्रीवास्तव

आगरा। ताजनगरी में एक दिल के मरीज को डॉक्टर के चैंबर में ही हार्ट अटैक जैसा दौरा पड़ा। वह डॉक्टर की मेज पर गिर गया। डॉक्टर ने तत्काल मरीज को उठाया और सीपीआर देना शुरू किया। इससे मरीज की जान बच गई। मंगलवार देर रात इस घटना का सीसीटीवी फुटेज वायरल हुआ।
घटना सोमवार की है। शाहगंज निवासी करीब 75 वर्षीय मरीज डॉक्टर हिमांशु यादव के क्लीनिक पर आए थे। उन्हें आंखों के आगे अंधेरा छा जाने
की शिकायत थी। कई डॉक्टरों को दिखा चुके थे, लेकिन कोई डायग्नोसिस नहीं बन पा रहा था। डॉक्टर हिमांशु यादव ने मरीज की नब्ज देखी और स्वास्थ्य की जानकारी ले रहे थे कि अचानक मरीज उनकी मेज पर गिर गया। उस समय चैंबर में मरीज के साथ दो अन्य लोग भी मौजूद थे।
डॉक्टर यादव तुरंत उन्हें लेकर दूसरे कमरे में गए और वहां सीपीआर दिया। जांच की गई तो पता चला कि मरीज के दिल का इलेक्ट्रिकल सिस्टम पूरी तरह से ब्लॉक हो गया था। यह वही सिस्टम होता है जो दिल को धड़कने का संकेत देता है। जब यह रुक जाता है, तो दिल की धड़कन बंद हो जाती है। मेडिकल की भाषा में इस स्थिति को ‘कंपलीट हार्ट ब्लॉक’ कहा जाता है। मरीज को तुरंत पेसमेकर लगाने की आवश्यकता थी। पेसमेकर लगने के बाद उनकी स्थिति सामान्य हुई।
डॉ. हिमांशु यादव ने फेसबुक पर एक वीडियो शेयर किया उस पर लिखा कि –
बुजुर्ग मरीज मेरे क्लीनिक आए थे ,उन्होंने बताया कि उनको चक्कर आता है, आंखों के आगे अंधेरा छा आता है। लेकिन कई जगह दिखाने पर भी (diagnos) पकड़ में नहीं आ रहा है कि क्या है। ऐसा क्यों हो रहा। इसके बाद वह बैठे-बैठे बेहोश हो गए। पूरी घटना सीसीटीवी में है। डा. हिमांशु कहते हैं कि पेशेंट के दिल की बिजली का सिस्टम खराब था ( जो दिल को धड़कन देता है )। इस अवस्था को कंप्लीट हार्ट ब्लॉकेज बोलते हैं। इन्हें पेस मेकर लगाकर उनकी समस्या का समाधान कर दिया गया है। अब वह पूरी तरह से ठीक हैं।
डॉ. यादव का कहना है कि शाहगंज निवासी 75 साल के मरीज मेरे पास पहुंचे थे। वो अपनी समस्या बता ही रहे थे, इतने में ही वो बेहोश हो गए। तुरंत उन्हें सीपीआर दिया गया।
लेकिन इसे हार्ट अटैक नहीं कहा जाता। यह कंप्लीट हॉर्ट ब्लॉक होता है। इसमें दिल को करंट नहीं मिलता है। इससे धड़कन बंद हो जाती है। इससे बेहोशी आती है। आंखों के आगे अंधेरा आ जाता है क्योंकि ब्रेन को ऑक्सीजन नहीं मिलती है। कई मामलों में मरीज रिकवर कर जाता है। लेकिन कभी रिकवर नहीं कर पाता। ऐसे मामलों में मौत भी हो सकती है। जिस मरीज को बेहोशी आई, उसे टेंपररी पेस मेकर लगाया गया। दूसरे दिन परमानेंट पेस मेकर लगाया गया। मरीज स्वस्थ होकर घर जा चुका है।