
लखनऊ। आयुष भारत की अद्भुत विरासत है। इसके प्रति दुनिया का आकर्षण बढ़ रहा है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने गोरखपुर में उत्तर प्रदेश के पहले आयुष विश्वविद्यालय का लोकार्पण किया। सरकार ने आयुष को व्यापक आधार पर प्रोत्साहित किया है। आयुर्वेद दुनिया के लिए भारत की धरोहर है। आत्मनिर्भर भारत अभियान में इसका महत्वपूर्ण योगदान है। आयुष के क्षेत्र में निवेश और इनोवेशन की संभावनाएं असीमित हैं। हमारे मनीषियों ने प्रकृति के रहस्यों और उसके औषधीय गुणों पर शोध किया था। आयुर्वेद में इनका समावेश है। भारत में हर घर के सामने तुलसी का पौधा लगाना और उसकी पूजा करना पीढ़ी दर पीढ़ी हमारी परंपरा रही है। तुलसी एक ऐसा पौधा है, जो भारत की आध्यात्मिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है आयुष ई मार्केट प्लेस के आधुनिकीकरण और उसके विस्तार का कार्य प्रगति पर है। औषधीय पौधों और फसल के उत्पादन को भी प्रोत्साहन मिल रहा है। प्रदेश के कृषि क्षेत्र पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। औषधीय पौधों की खेती की भी मांग बढ़ेगी। आयुष विश्वविद्यालय आयुर्वेद व योग आधारित चिकित्सा में आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करेगा। आयुष पद्धतियों की लोकप्रियता बढ़ रही है। महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विवि इसमें बहुत ही उपयोगी साबित होगा। योग नेचुरोपैथी,आयुर्वेद, युनानी जैसी अन्य परम्परागत पद्धतियों को नयी पहचान मिल रही है।