देश दुनियां

प्रधानमंत्री का विश्वशांति संदेश

डॉ दिलीप अग्निहोत्री

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पोलैंड यात्रा का व्यापक महत्व रहा। इससे दोनों देशों के बीच विभिन्न क्षेत्रों में साझेदारी का विस्तार हुआ। इसके साथ ही भारत की विदेश नीति के वैश्विक सद्भाव का तत्व भी उजागर हुआ। यह पोलैंड ही था जिसने भारत के शांति सौहार्द विचार का सम्मान बना। यूक्रेन युद्ध के दौरान वहां फंसे भारतीय प्रवासियों को सुरक्षित निकालने में उसने पूरा सहयोग किया। इतना ही नहीं भारत ने अन्य देशों के लोगो को भी युद्ध क्षेत्र से सुरक्षित बाहर निकालने की रणनीति बनाई थी,उसमें भी पोलैंड सहभागी हुआ था। यह भारतीय विदेश नीति की सफलता थी। पैतालीस साल बाद पोलैंड की यात्रा करने वाले नरेंद्र मोदी पहले भारतीय प्रधानमंत्री है। उनकी विदेश नीति में संस्कृति के तत्व भी समाहित रहते है। पहली बार दुनिया में चर्चा हुई कि पोलैंड में इंडोलॉजी और संस्कृत की बहुत पुरानी और समृद्ध परंपरा है। भारतीय सभ्यता और भाषाओं में गहरी रुचि दोनों देशों को करीब लाने में सहायक साबित हुईं। यहां कोल्हापुर के महाराजा की समाधि है। नरेंद्र मोदी ने यहां श्रद्धांजलि अर्पित की। कहा कि आज भी पोलैंड के लोग उनकी परोपकारिता और उदारता का सम्मान करते हैं। उनकी स्मृति को अमर बनाने के लिए भारत और पोलैंड के बीच जाम साहब नवानगर यूथ एक्शन प्रोग्राम शुरू किया जाएगा। यूक्रेन संघर्ष के दौरान भारतीय छात्रों को बचाने के लिए प्रधानमंत्री ने यूक्रेन का आभार जताया। कहा कि यूक्रेन सरकार नेजो उदारता दिखाई, उसे भारतीय कभी नहीं भूलेंगे। इस वर्ष दोनों अपने राजनयिक संबंधों की सत्तरवीं वर्षगांठ मना रहे हैं। इस अवसर पर हमने संबंधों को रणनीतिक साझेदारी में परिवर्तित करने का निर्णय लिया है। भारत और पोलैंड के बीच संबंध लोकतंत्र और कानून के शासन जैसे साझा मूल्यों पर आधारित हैं।प्रधानमंत्री मोदी और पोलैंड समकक्ष डोनाल्ड टस्क ने वारसॉ में प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता की। भारत-पोलैंड संबंधों व्यापक विचार विमर्श हुआ। विशेष रूप से खाद्य प्रसंस्करण, शहरी बुनियादी ढांचे, नवीकरणीय ऊर्जा और एआई जैसे क्षेत्रों में संबंधों साझा प्रयास करने पर सहमति बनी। रक्षा और सुरक्षा में सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर भी चर्चा की गई। सामाजिक सुरक्षा समझौते पर सहमत कायम हुई। दोनों देशों ने संबंधों को रणनीतिक साझेदारी के स्तर तक बढ़ाने पर सहमति जताई है। इसके साथ ही आपसी हितों के क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया गया। पोलैंड की कंपनियों को मेक इन इंडिया और मेक फॉर द वर्ल्ड से जुड़ने के लिए आमंत्रित किया गया। भारत और पोलैंड अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी करीबी तालमेल के साथ आगे बढ़ते रहे हैं। दोनों देश सहमत हैं कि वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ तथा अन्य अंतराष्ट्रीय संस्थानों में रिफॉर्म वर्तमान समय की मांग है। आगामी वर्ष के प्रारंभ में पोलैंड यूरोपीय संघ की अध्यक्षता संभालेगा। तब पोलैंड का सहयोग भारत और यूरोपीय संघ के बीच संबंधों को और मजबूत करेगा। यूक्रेन और पश्चिम एशिया में चल रहे संघर्ष चिंता का विषय हैं। भारत का यह दृढ़ विश्वास है कि किसी भी समस्या का समाधान युद्ध के मैदान में नहीं हो सकता। किसी भी संकट में मासूम लोगों की जान की हानि पूरी मानवता के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गयी है। हम शांति और स्थिरता की जल्द से जल्द बहाली के लिए संवाद और कूटनीति का समर्थन करते हैं। इसके लिए भारत अपने मित्र देशों के साथ मिलकर हर संभव सहयोग देने के लिए तैयार है।

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