आगराउत्तर प्रदेश

कमरे की छत ढहने से मां और दो बेटियां मलबे में दबीं, फायर ब्रिगेड ने सकुशल बाहर निकाला

आगरा। बुधवार सुबह से देर रात तक हो रही बारिश के चलते आवास विकास कॉलोनी सेक्टर-4 में एक जर्जर मकान के एक कमरे की छत ढह गई। कमरे में सो रही मां और दो बेटियां मलबे में दब गई। परिजनों व फायर ब्रिगेड ने दो घंटे तक बचाव अभियान चलाकर मां-बेटियों को सकुशल बाहर निकाला।
घटना गुरुवार रात 3:45 बजे की है। आवास विकास कॉलोनी सेक्टर- 4 में रहने वाले फतेह सिंह एक जूता फैक्ट्री में कर्मचारी हैं। परिवार में पत्नी अनीता, 19 वर्ष का बेटा योगेश, बेटियां मुस्कान (18), गौरी (16) और 4 वर्षीय आराध्या हैं। अनीता ने बताया कि एक कमरे में वह पति, बेटियों मुस्कान और आराध्या के साथ सो रही थीं। बेटा योगेश बराबर में रहने वाली मौसेरी बहन शालिनी और बेटी गौरी अपने चाचा खेमचंद के घर पर सो रही थी। वर्षा के चलते छत टपकने पर वहां बाल्टी रखने के लिए पति को बाहर भेजा था। पति के बाहर निकलते ही छत ढह गई। वह बेटी मुस्कान और आराध्या मलबे में दब गई। पति के शोर मचाने पर बराबर में रहने वाले परिजनों और कॉलोनी के लोग जुट गए। मलबे के नीचे दबी अनीता और मुस्कान की चीखें सुनाई दे रही थीं। देवर खेमचंद ने हथौड़े की मदद से आधा घंटे प्रयास के बाद लेंटर को तोड़ा। जिसके बाद आराध्या और और मुस्कान के चेहरे दिखाई दिए। पहले आराध्या फिर मुस्कान को निकाला गया।

फायर ब्रिगेड कर्मियों ने पहुंचकर की मदद
सूचना पर मुख्य अग्निशमन अधिकारी डीके सिंह के नेतृत्व में फायर ब्रिगेड भी पहुंच गई। परिजनों की मदद से फायर ब्रिगेड कर्मियों ने अनीता देवी के पैर मलबे में दबे होने पर बड़ी मशक्कत के बाद बाहर निकाला। बचाव कार्य सुबह 5 बजे तक चला। अनीता को बाहर निकालने के लिए दमकलकर्मियों ने ड्रिल मशीन से लेंटर काटा। तीनों को तत्काल एसएन मेडिकल कालेज की इमरजेंसी में भर्ती कराया। वहां प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई। सूचना पर अपर पुलिस आयुक्त संजीव त्यागी पहुंचे।

बेटियों को बचाने की गुहार लगाती रही मां
लेंटर के नीचे दबी अनीता मौत के मुंह में दो घंटे तक फंसी रही। लेकिन, अनीता को अपने से अधिक बेटियों की चिता थी। वह बेटियों को पहले निकालने की गुहार लगाती रहीं। बेटियों के बाहर सकुशल निकलने पर उनमें साहस आया। अनीता ने बताया कि एक घंटे तक उसे बीच-बीच में दम घुटता लगा। चार वर्ष की बेटी को वह सीने से लगाए रहीं। उन्होंने हिम्मत नहीं हारी।

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