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विकसित भारत: महिला सशक्तिकरण और वैश्विक प्रतिस्पर्धा

डॉ. प्रमोद कुमार

21वीं सदी का भारत केवल आर्थिक और तकनीकी विकास तक सीमित नहीं है, बल्कि सामाजिक और लैंगिक समानता के क्षेत्र में भी नई ऊँचाइयों को छू रहा है। महिला सशक्तिकरण भारत के समग्र विकास का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बन चुका है, और यह न केवल देश को आगे ले जा रहा है, बल्कि भारतीय महिलाओं को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भी खड़ा कर रहा है। महिला सशक्तिकरण भारतीय समाज के परिवर्तन का एक महत्वपूर्ण पहलू बन चुका है, जिससे देश की महिलाएँ अब वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना रही हैं। एक समय था जब भारतीय महिलाएँ केवल घरेलू भूमिकाओं तक सीमित थीं, आज भारतीय महिलाएँ शिक्षा, विज्ञान, तकनीक, उद्यमिता, राजनीति और खेल जैसे क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही हैं। वे न केवल भारत के विकास में योगदान दे रही हैं, बल्कि वैश्विक मंच पर भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही हैं। यह बदलाव न केवल भारत को एक विकसित राष्ट्र की ओर ले जा रहा है, बल्कि भारतीय महिलाओं को विश्व की पहली दुनिया की महिलाओं की प्रतिद्वंद्वी बना रहा है। इस लेख में हम महिला सशक्तिकरण के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करेंगे और यह समझने का प्रयास करेंगे कि कैसे भारतीय महिलाएँ अब वैश्विक मंच पर प्रतिस्पर्धा कर रही हैं।

महिला सशक्तिकरण का अर्थ और इसकी वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भूमिका
महिला सशक्तिकरण का अर्थ केवल महिलाओं को स्वतंत्रता देना नहीं है, बल्कि उन्हें सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक और राजनीतिक रूप से इतना सक्षम बनाना है कि वे अपने जीवन के निर्णय स्वयं ले सकें। वैश्विक अर्थव्यवस्था और विकास में लैंगिक समानता की महत्वपूर्ण भूमिका है।
विकसित देशों की महिलाएँ पहले से ही उच्च शिक्षा, रोजगार और उद्यमिता में अग्रणी हैं।
भारत में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देकर वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा में मजबूती पाई जा सकती है।
भारतीय महिलाओं की शिक्षा में प्रगति और वैश्विक प्रतिस्पर्धा
शिक्षा किसी भी समाज के विकास की आधारशिला होती है, और भारत ने पिछले कुछ दशकों में महिलाओं की शिक्षा को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण प्रगति की है और शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आए हैं।
1. महिला शिक्षा की वर्तमान स्थिति
भारत में महिला साक्षरता दर 2001 में 53.7% थी, जो 2023 तक बढ़कर लगभग 70% हो गई है। उच्च शिक्षा में महिलाओं की भागीदारी तेजी से बढ़ी है, विशेष रूप से विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) क्षेत्रों में। विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में, लड़कियों के लिए स्कूल नामांकन दर में वृद्धि हुई है। उच्च शिक्षा में महिलाओं की भागीदारी तेजी से बढ़ी है
भारतीय महिलाएँ आईआईटी, आईआईएम, एम्स जैसी प्रतिष्ठित संस्थानों में प्रवेश ले रही हैं।
2. वैश्विक शिक्षा प्रतिस्पर्धा में भारतीय महिलाएँ
भारतीय महिलाएँ अब दुनिया की प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों (MIT, Harvard, Oxford) में पढ़ाई कर रही हैं। भारतीय महिला वैज्ञानिक और शोधकर्ता वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण शोध कार्य कर रही हैं। भारत की महिलाएँ ऑनलाइन शिक्षा, डिजिटल लर्निंग और प्रोफेशनल स्किल डेवलपमेंट में भी आगे बढ़ रही हैं। गीता गोपीनाथ (आईएमएफ), इंदिरा नूई (पूर्व सीईओ, पेप्सीको), और लीना नायर (सीईओ, शनेल) जैसी महिलाएँ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नेतृत्व कर रही हैं। विज्ञान, तकनीक और इंजीनियरिंग में महिलाओं की भागीदारी लगातार बढ़ रही है।

महिला उद्यमिता और वैश्विक बाज़ार में प्रतिस्पर्धा
भारतीय महिलाएँ अब कॉर्पोरेट नेतृत्व के साथ-साथ उद्यमिता में भी अपनी पहचान बना रही हैं। भारतीय महिलाएँ अब न केवल कॉर्पोरेट जगत में नेतृत्व कर रही हैं, बल्कि वे अपने खुद के बिजनेस शुरू करके वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा भी कर रही हैं।
1. महिला उद्यमियों की बढ़ती संख्या
भारतीय महिला उद्यमियों की सफलता फाल्गुनी नायर (नायका), किरण मजूमदार-शॉ (बायोकॉन), विनीता सिंह (शुगर कॉस्मेटिक्स) जैसी महिलाओं ने भारतीय ब्रांड्स को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई है। भारतीय महिला-नेतृत्व वाले स्टार्टअप्स को वैश्विक निवेशकों से भारी समर्थन मिल रहा है। स्टार्टअप इंडिया और महिला उद्यमिता योजनाओं के कारण अधिक महिलाएँ बिजनेस शुरू कर रही हैं। भारतीय महिलाएँ अब अमेरिकी और यूरोपीय कंपनियों को टक्कर दे रही हैं।
2. डिजिटल इंडिया और महिलाओं की भागीदारी
महिलाएँ अब डिजिटल मार्केटिंग, ऑनलाइन बिजनेस और टेक्नोलॉजी-आधारित स्टार्टअप्स में आगे बढ़ रही हैं। भारतीय महिला उद्यमिता में ई-कॉमर्स और फिनटेक सेक्टर में भारी वृद्धि हो रही है।

खेल में भारतीय महिलाओं की वैश्विक सफलता
भारतीय महिला खिलाड़ी अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहले से अधिक प्रभावशाली हो चुकी हैं।भारत में महिला-नेतृत्व वाले स्टार्टअप्स अब अमेरिकी और यूरोपीय कंपनियों को टक्कर दे रहे हैं। डिजिटल इंडिया और महिला उद्यमिता योजनाओं के कारण भारतीय महिलाएँ वैश्विक बाजारों में प्रतिस्पर्धा कर रही हैं। भारतीय महिलाएँ खेलों में वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर रही हैं
भारतीय महिला खिलाड़ी अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहले से अधिक प्रभावशाली हो चुकी हैं।
1. वैश्विक खेलों में भारतीय महिलाओं का दबदबा
पी.वी. सिंधु (बैडमिंटन), मैरी कॉम (बॉक्सिंग), मिताली राज और हरमनप्रीत कौर (क्रिकेट) जैसी खिलाड़ियों ने अंतरराष्ट्रीय खिताब जीते हैं। भारतीय महिला क्रिकेट टीम अब इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसी टीमों के बराबर मानी जाती है। टोक्यो ओलंपिक्स और एशियन गेम्स में भारतीय महिलाओं ने शानदार प्रदर्शन किया।
पी.वी. सिंधु (बैडमिंटन), मैरी कॉम (बॉक्सिंग), मिताली राज और हरमनप्रीत कौर (क्रिकेट) ने अंतरराष्ट्रीय खिताब जीते हैं।
2. वैश्विक खेल प्रतिस्पर्धा में भारतीय महिलाओं की स्थिति
भारत की महिला खिलाड़ी अब यूरोप, अमेरिका और चीन की खिलाड़ियों से टक्कर ले रही हैं।
ओलंपिक्स और विश्व चैम्पियनशिप में भारतीय महिलाओं का प्रदर्शन लगातार बेहतर हो रहा है।

विज्ञान और तकनीक में भारतीय महिलाओं की बढ़ती भूमिका
भारतीय महिला वैज्ञानिक और इंजीनियर वैश्विक स्तर पर बड़ी उपलब्धियाँ हासिल कर रही हैं।
1. भारतीय महिला वैज्ञानिकों की उपलब्धियाँ
भारतीय महिला वैज्ञानिक इसरो और नासा में अग्रणी भूमिकाएँ निभा रही हैं। मंगलयान और चंद्रयान-3 जैसी ऐतिहासिक परियोजनाओं में महिलाओं का योगदान। डेटा साइंस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक्स में भारतीय महिलाओं की बढ़ती भागीदारी।
2 वैश्विक विज्ञान और तकनीक प्रतिस्पर्धा में भारतीय महिलाएँ
भारतीय महिलाएँ अमेरिका, यूरोप और चीन की महिला वैज्ञानिकों के बराबर शोध कार्य कर रही हैं। डिजिटल इंडिया और मेक इन इंडिया कार्यक्रमों से महिलाओं को विज्ञान और तकनीक में अवसर मिल रहे हैं।

राजनीति और प्रशासन में सशक्तिकरण
1. महिला नेतृत्व की बढ़ती भूमिका
निर्मला सीतारमण (वित्त मंत्री), स्मृति ईरानी (कैबिनेट मंत्री), ममता बनर्जी (मुख्यमंत्री, पश्चिम बंगाल) जैसी महिलाएँ भारत की नीति-निर्माण प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। पंचायत स्तर से लेकर संसद तक महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है। महिला आरक्षण बिल ने महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी को और बढ़ावा दिया है।
2. वैश्विक राजनीति में भारतीय महिलाओं की स्थिति
भारतीय महिला नेता अब वैश्विक मंचों पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही हैं। संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों में भारतीय महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है।

सामाजिक बदलाव और लैंगिक समानता
1. महिलाओं के अधिकारों और सुरक्षा में सुधार
महिलाओं की सुरक्षा और अधिकारों को मजबूत करने के लिए नए कानून बनाए गए हैं। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ और उज्ज्वला योजना जैसी सरकारी पहलें महिलाओं के जीवन को बेहतर बना रही हैं। कार्यस्थलों पर लैंगिक समानता को बढ़ावा दिया जा रहा है।
2. वैश्विक सामाजिक प्रतिस्पर्धा में भारतीय महिलाओं की स्थिति
भारत में लैंगिक समानता पर तेजी से काम किया जा रहा है। भारतीय महिलाएँ अब विश्व की विकसित देशों की महिलाओं के बराबर अवसर प्राप्त कर रही हैं।

भारतीय महिलाओं की मौजूदा चुनौतियाँ
हालांकि भारत में महिलाओं ने उल्लेखनीय प्रगति की है, फिर भी कुछ चुनौतियाँ बनी हुई हैं:
लैंगिक भेदभाव और रूढ़िवादी सोच। कार्यस्थलों पर महिलाओं के लिए अवसरों की सीमाएँ।
घरेलू हिंसा और यौन शोषण के मुद्दे। ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की स्थिति को और सुधारने की आवश्यकता।

भारतीय महिलाएँ अब केवल सशक्त नहीं हो रही हैं, बल्कि वे वैश्विक प्रतिस्पर्धा में शामिल होकर विकसित देशों की महिलाओं की प्रतिद्वंद्वी बन चुकी हैं। वे शिक्षा, विज्ञान, खेल, उद्यमिता और राजनीति में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करा रही हैं, जिससे भारत महिला सशक्तिकरण के मामले में विश्व स्तर पर अग्रणी बन रहा है। हालाँकि, उनकी इस सफलता की राह आसान नहीं रही है। उन्हें लैंगिक भेदभाव, सामाजिक रूढ़ियों, असमान अवसरों, वेतन असमानता और सुरक्षा से जुड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इसके बावजूद, शिक्षा, कानूनी सुधारों और जागरूकता अभियानों के माध्यम से महिलाओं की स्थिति में सुधार हो रहा है। भारतीय महिलाएँ अपनी मेहनत, प्रतिभा और साहस के बल पर वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना रही हैं। हालाँकि चुनौतियाँ बनी हुई हैं, लेकिन निरंतर प्रगति और समान अवसर मिलने पर वे और भी बड़े योगदान देने में सक्षम होंगी।जैसे-जैसे भारत विकसित हो रहा है, भारतीय महिलाओं की यह प्रगति भारत को एक सशक्त और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने में अहम भूमिका निभाएगी।


डॉ प्रमोद कुमार
डिप्टी नोडल अधिकारी, MyGov

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