
भारतीय चिंतन में जीवेत शरद शतम की कामना की गई। इसके लिए स्वस्थ्य रहना आवश्यक होता है। हमारे मनीषियों ने इसका भी मार्ग बताया। सर्वथा स्वास्थ्यवर्धक जीवन शैली का निर्धारण किया। श्री अन्न का महत्व बताया। आज इसको मेडिकल साइंस द्वारा भी स्वीकार किया जा रहा है। इसके साथ ही मौसम या ऋतुओं के अनुरूप खान पान का उल्लेख किया गया। योग की वैज्ञानिकता को आज पूरा विश्व स्वीकार कर रहा है। दिनचर्या में श्री अन्न और योग को शामिल रखने से स्वस्थ्य रहा जा सकता है। दुनिया की सबसे प्राचीन चिकित्सा प्रणाली आयुर्वेद का आविष्कार भारत में हुआ। इसको भी दुनिया में आज स्वीकार किया जा रहा है। राज्यपाल आनंदी बेन पटेल शिक्षा और स्वास्थ्य दोनों के प्रति विद्यार्थियों को जागरूक करती है। एक बार फिर उन्होंने शिक्षा के साथ स्वास्थ्य के महत्व को रेखांकित किया। आनंदीबेन पटेल ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए स्वस्थ मन और स्वस्थ शरीर बहुत आवश्यक है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस प्रकार की प्रेरणा विशेष रूप से विद्यार्थियों और युवा वर्ग को देते है। पिछले मन की बात कार्यक्रम में भी उन्होंने मोटापा से होने वाली विभिन्न प्रकार की बीमारियों
का उल्लेख किया था। आनंदी बेन छात्राओं को अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखने की भी प्रेरणा देती है। उन्होंने कहा कि छात्राओं को हीमोग्लोबिन की कमी और एनीमिया से बचाव के प्रति सजग रहना चाहिए। नशा भी बहुत अहितकर होता है। युवाओं को इससे दूर रहने के लिए
राजभवन के स्तर पर जागरूकता के प्रयास किए जाते है। विद्यार्थियों को नशा और दहेज मुक्ति अभियान से जोड़ने पर जोर दिया जा रहा है। राजभवन द्वारा निर्देशित विद्यार्थियों की साइकिल जागरूकता यात्रा निकाली जाती है। विद्यार्थियों के परम्परागत भारतीय खेलों में भी अपनी भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए। मोबाइल का अत्यधिक उपयोग भी स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह होता है। विद्यार्थियों को इससे भी बचना चाहिए।