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बौद्ध सत्य, भारतरत्न, भारतीय संविधान के शिल्पकार, आधुनिक भारत के निर्माता व आधुनिक समाजिक क्रांति के अग्रदूत, दलितों (महिला, मजदूर व सामाजिक पिछड़े लोग) के मसीहा बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर जी की दिनचर्या: एक प्रेरणास्पद जीवनचर्या का दस्तावेज

डॉ प्रमोद कुमार

भारत के इतिहास में कुछ व्यक्तित्व ऐसे हैं जिनकी जीवनी केवल उनके जीवन की कहानी नहीं होती, बल्कि वह आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शक बन जाती है। ऐसे ही एक महापुरुष थे बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर, जो न केवल भारत के संविधान के शिल्पकार थे बल्कि दलितों, महिलाओं, मजदूरों और वंचितों के मसीहा भी थे। उन्हें भारतरत्न से सम्मानित किया गया और वह आधुनिक भारत के निर्माता तथा सामाजिक क्रांति के अग्रदूत के रूप में जाने जाते हैं।
लेकिन क्या हम कभी यह सोचते हैं कि इतने महान कार्यों को करने वाला व्यक्ति अपनी दिनचर्या कैसे जीता था? उनकी दिनचर्या (Daily Routine) केवल एक इंसान के दैनिक कार्यों की सूची नहीं थी, वह एक अनुशासित, साधनशील, और विचारशील जीवन का दर्पण थी। यह लेख बाबा साहेब की दिनचर्या का विस्तार से वर्णन करेगा—उनके जागने के समय से लेकर सोने तक के सभी पहलुओं को ऐतिहासिक तथ्यों और प्रेरणादायक दृष्टिकोण के साथ।

1. नींद और जागरण का अनुशासन

बाबा साहेब डॉ. आंबेडकर अत्यंत अनुशासित जीवन जीते थे। वे अक्सर बहुत जल्दी उठ जाया करते थे। उनकी नींद का समय रात 11 बजे के आसपास होता था और वह सुबह लगभग 4 बजे उठ जाते थे। वह मानते थे कि सुबह का समय अध्ययन और चिंतन के लिए सर्वोत्तम होता है।
उनका कहना था:

“मनुष्य का मस्तिष्क सुबह अत्यंत निर्मल और विचारशील होता है, यही समय आत्ममंथन का होता है।”

2. प्रातःकालीन दिनचर्या

सुबह उठने के बाद वे स्नान-ध्यान में समय लगाते थे। स्नान के बाद वे पूजा-पाठ की बजाय आत्मनिरीक्षण में विश्वास रखते थे। वे आत्मविकास को धार्मिक कर्मकांड से अधिक महत्वपूर्ण मानते थे।
उसके बाद वे हल्का नाश्ता करते थे जिसमें दूध, फल और कुछ हल्का भोजन शामिल होता था। यह भोजन शुद्ध और स्वास्थ्यवर्धक होता था ताकि पूरे दिन की मेहनत के लिए ऊर्जा प्राप्त हो सके।

3. अध्ययन का समय: ज्ञान के प्रति समर्पण

बाबा साहेब की दिनचर्या का सबसे महत्वपूर्ण भाग उनका अध्ययन था। वे प्रतिदिन लगभग 10 से 12 घंटे अध्ययन करते थे। उनकी पुस्तकालय में 50,000 से अधिक पुस्तकें थीं, जिनमें से अधिकांश उन्होंने स्वयं पढ़ी थीं।
उनका मानना था:

“ज्ञान ही मनुष्य को पशु से अलग बनाता है। अज्ञान ही गुलामी की जड़ है।”

उनके अध्ययन का क्षेत्र अत्यंत व्यापक था—अर्थशास्त्र, राजनीति, समाजशास्त्र, धर्म, कानून, इतिहास, साहित्य, और दर्शन। वे अपने अध्ययन में तटस्थ दृष्टिकोण अपनाते थे और हर विषय का गहन विश्लेषण करते थे।

4. लेखन कार्य और अनुसंधान

अध्ययन के साथ-साथ बाबा साहेब लेखन कार्य भी नियमित रूप से करते थे। वे प्रतिदिन कुछ समय अपने लेखों, भाषणों या ग्रंथों को लिखने में लगाते थे। उन्होंने कई महत्वपूर्ण पुस्तकें लिखीं जैसे—The Problem of the Rupee, Annihilation of Caste, Buddha and His Dhamma, Thoughts on Linguistic States आदि।
उनका लेखन अत्यंत तार्किक, प्रामाणिक और जनहितैषी होता था। वे तर्क के माध्यम से समाज को समझाने की कोशिश करते थे, ना कि भावना या अंधश्रद्धा के माध्यम से।

5. कार्यालयीन कार्य और विधायी योगदान

बाबा साहेब जब विभिन्न सरकारी पदों पर कार्यरत थे, जैसे—वायसराय की परिषद के सदस्य, श्रम मंत्री, संविधान सभा के सदस्य और बाद में कानून मंत्री, तब उनकी दिनचर्या अत्यधिक व्यस्त होती थी।
वे सुबह 9 बजे तक कार्यालय पहुंच जाते थे। कार्यालय में वे पूरी तन्मयता से काम करते थे। उनका लक्ष्य था कि कोई भी सरकारी नीति श्रमिकों, दलितों और वंचित वर्गों के लिए सहायक हो।
उन्होंने श्रमिकों के लिए 8 घंटे की कार्य अवधि, मातृत्व अवकाश, समान वेतन, श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा, और ट्रेड यूनियन अधिकारों की व्यवस्था की।

6. जनसंवाद और दलित आंदोलन

कार्यालयीन समय के बाद, वे प्रायः जनता से संवाद करते थे। वे नियमित रूप से दलित बस्तियों में जाकर लोगों से मिलते, उनकी समस्याएं सुनते और समाधान सुझाते।
उनकी मान्यता थी:

“यदि समाज का सबसे कमजोर वर्ग सशक्त नहीं हुआ, तो राष्ट्र सशक्त नहीं हो सकता।”

इस कार्य के लिए वे सुबह के बाद के कुछ घंटे तथा शाम को लोगों के बीच बिताते थे। वे जनसभाओं में भाषण देते थे, आंदोलनों का नेतृत्व करते थे, और सामाजिक परिवर्तन की दिशा में योजनाएं बनाते थे।

7. भोजन: साधारण पर पोषक

बाबा साहेब का भोजन अत्यंत साधारण होता था। वे केवल शाकाहारी भोजन करते थे, और कभी भी भोगविलास या अत्यधिक स्वाद पर जोर नहीं देते थे। उनका भोजन दोपहर में दो बार होता था—दोपहर का भोजन और रात्रि का भोजन।
वे अक्सर दाल, चावल, रोटी, सब्जी और दूध का सेवन करते थे। वे इस बात का विशेष ध्यान रखते थे कि उनका भोजन स्वास्थ्यवर्धक हो ताकि उनका शरीर और मस्तिष्क सक्रिय रह सके।

8. सामाजिक और बौद्धिक संवाद

रात को खाना खाने के बाद बाबा साहेब अपने निकट सहयोगियों के साथ सामाजिक, राजनैतिक, और बौद्धिक संवाद करते थे। यह समय आत्ममंथन और टीम को प्रेरित करने का होता था।
उनके प्रमुख सहयोगियों में दादासाहेब गायकवाड़, सहस्त्रबुद्धे, शारदा कबीर (सावित्रीबाई आंबेडकर), रामजी गायकवाड़ आदि शामिल थे। इनसे वे अपने आंदोलनों की रणनीति बनाते थे।

9. लेखन का अंतिम चरण

रात के भोजन के बाद वे लगभग 9 बजे से लेकर 11 बजे तक फिर से लेखन या अध्ययन में समय लगाते थे। यह समय दिनभर के अनुभवों और विचारों को लेखों में ढालने का होता था।
वे कहते थे:

“किसी भी क्रांति की शुरुआत विचार से होती है, और विचार का जन्म लेखन से।”

10. ध्यान और आत्मनिरीक्षण

रात को सोने से पहले वे कुछ समय आत्मनिरीक्षण में लगाते थे। यह उनका सबसे निजी क्षण होता था, जब वे अपने दिनभर के कार्यों की समीक्षा करते थे। वे आत्मालोचना करते थे और यह सुनिश्चित करते थे कि अगला दिन अधिक उपयोगी हो।

विशेष बिंदु: बाबा साहेब की दिनचर्या के प्रेरणादायक तत्व

अनुशासन – उनके दिन का हर क्षण नियोजित होता था।

ज्ञान का महत्व – वे प्रतिदिन अध्ययन करते थे और दूसरों को भी प्रेरित करते थे।

समाज के प्रति प्रतिबद्धता – उनका हर कार्य समाज के वंचित वर्ग के लिए होता था।

शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का संतुलन – उन्होंने भोजन, नींद और कार्य का संतुलन बनाए रखा।

लेखन और शोध – उनका लेखन सामाजिक क्रांति का हथियार था।

बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर की दिनचर्या केवल एक दिन का वर्णन नहीं है, बल्कि यह एक क्रांतिकारी जीवन की जीवंत तस्वीर है। उन्होंने अपने जीवन का हर क्षण एक मिशन की तरह जिया। उनका उद्देश्य केवल व्यक्तिगत सफलता नहीं था, बल्कि समस्त समाज को ऊंचा उठाना था। उनकी दिनचर्या आज भी युवाओं, शिक्षकों, समाज सुधारकों, और राजनेताओं के लिए एक आदर्श है। यह हमें सिखाती है कि अनुशासन, अध्ययन, सेवा, और आत्मनिरीक्षण के माध्यम से हम न केवल अपने जीवन को सफल बना सकते हैं, बल्कि समाज को भी नया मार्ग दिखा सकते हैं। उनकी जीवनचर्या का हर पक्ष हमें यह संदेश देता है: “जियो ऐसे कि जैसे हर दिन अंतिम है, और कार्य ऐसा करो कि जैसे यही पहला अवसर है समाज को बदलने का।”


डॉ प्रमोद कुमार
डिप्टी नोडल अधिकारी, MyGov
डॉ भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा

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