देश दुनियां

अब आरक्षण विरोधी सोशल मीडिया के माध्यम से हिंदू समाज को आपस में लड़ाने की रच रहे साजिश

नई दिल्ली। भारत को आजाद हुये 78वर्ष हो गये हैं। भारत विश्वगुरु बनने को अग्रसर हैं, लेकिन आज़ देश का कोई कोना ऐसा बाकी नहीं हैं जहाँ असहाय कमजोर दलितों आदिवासी और पिछड़ों पर अत्याचार ना हो रहें हों। हैवानियत ऐसी की सुन कर आप की रूह कांप जाए। जबकि कुछ लोग अब सोशल मीडिया के माध्यम से आरक्षण के नाम पर हिंदू समाज को आपस में लड़ाने की साजिश रच रहे हैं।

इस गंभीर विषय पर जब हमारे संवाददाता संजय साग़र सिंह ने लोगों से उनकी राय जानी तो उन्होंने बताया कि, आज़ पूरी दुनियां कट्टरपंथी आतंकियों के अत्याचारों के खिलाफ़ लड़ रही हैं, लेकिन हमारे भारत देश में कुछ आरक्षण विरोधी अपने ही हिन्दू दलित भाइयों से आरक्षण के नाम पर लड़ रहे हैं। आज़ पूरे देश में ऐसा कोई पुलिस थाना, चौकी और कोट कचहरी बाकी नहीं बची जहां दलितों पर अत्याचारों की शिकायते ना आती हों। जबकि दस साल से डॉ मोहन भागवत जी, देश के प्रधानमंत्री मोदीजी और सीएम योगीजी रात दिन जातिवाद में बांटे हिन्दुओं को एक करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि, कोई ट्रेनी डॉक्टर से रेप कर हत्या कर रहा हैं। कोई बच्चियों को ग़लत काम करके पेड़ से लटका देता हैं। तो कोई मासूम बच्चों को मटके से पानी पीने पर पीट पीट कर मार देता हैं, तो कोई खाने से उठा देता हैं, तो कोई पेशाब पीला देता हैं, और कोई थूक जटवाता हैं, तो कोई पानी नहीं पीने देता। तो कोई घोड़ी नहीं चढ़ने देता, तो कोई मूंछ नहीं रखने देता, तो कोई जमीन पर कब्जा कर लेता हैं। तो कोई नीची जाति देख बैरहमी से मारपीट कर देता हैं। तो कोई मंदिर में जाने नहीं देता। जातिवाद से ग्रसित मनसिकता के लोग हर जगह अपनी मनमानी कर रहे हैं।असहाय दलितों, आदिवासी और पिछड़ों पर इतने अत्याचार होने के बाद भी अत्याचारी हैवान आरक्षण को कमजोर गरीबो से छीनना चाहते हैं और सोशल मीडिया पर तर्क देते फिरते हैं कि आरक्षण भीख हैं। तो फिर क्या मोदीजी जो 10 % सुदामा आरक्षण इनको दे रहें हैं और ये ले रहें। तो इस भीख को तो इनको हरगिज़ नहीं लेना चाहिए। क्युकी ये इनको भी पंगू बना देगा। फिर भी इन अत्याचारियों को दिनरात सोते जागते कमजोरों का आरक्षण खटकता हैं, लेकिन दलितों पर हर जगह हो रहें अत्याचार इन अत्याचारियों को नहीं दिखते हैं।

उन्होंने कहा, दुनियां देख रही हैं कि दलित के साथ हो रहे अत्याचारों पर भारत में भागवत जी, मोदीजी और योगीजी कोई बोलने को तैयार नहीं हैं, सब चुप्पी साधे हैं। क्या इस देश में दलित, आदिवासी और पिछड़ों को सम्मान एवं स्वाभिमान से जीने का अधिकार नहीं हैं ? पुरे संसार में क्या कोई ऐसा देश हैं जहाँ पर नीची जाति के नाम पर किसको पेशाब पिलाया गया या थूक कर चटवाया गया हैं बताये..? लेकिन भारत में इनके अत्याचारों की लिस्ट बहुत लम्बी हैं। वहीं, दलितों को मिल रहे आरक्षण से परेशान लोग सोशल मीडिया के माध्यमो से लोगों को आरक्षण के विरोध में भड़का कर अत्याचारों को ओर बढ़ावा दे रहें हैं। और जातिवाद से ग्रसित मनसिकता के लोग अत्याचार कर रहे हैं। इसलिए राष्ट्रहित में और न्यायहित में हमारी आप से अपील हैं कि जातिवाद की आढ़ में दलितों के साथ हो रही गुंडागर्दी को बंद कराएं और इन अत्याचारियों पर कड़ी से कड़ी कानूनी कार्यवाही की जाए। क्युकी हमारे देश में जातिवाद, ऊंच-नीच, भेद-भाव केंसर से भी बड़ी घातक बीमारी हैं। ज़बतक इसका पक्का इलाज नहीं होगा तबतक आपका का सब का साथ, सब का विकास का सपना साकार नहीं हो सकता। क्या भागवत जी, मोदीजी और योगीजी भारत में वो दिन आएगा जब सभी हिंदू एकजुट होकर कहेंगे – ‘हम सब एक हैं और एकजुट हैं ?

उन्होंने आगे कहा, पूर्व में जिस तरह से विदेशी आक्रांताओं ने हिंदू समाज में फूट डालने का षड्यंत्र रचा था। आजकल उसी तरह से देश में दलित विरोधी आरक्षण के नाम पर हिंदू समाज को आपस में लड़ाने की साजिश रच रहे हैं। अब जातिवादी जहरीली सोच इन चंद हिन्दू एकता विरोधियों को बीमार नहीं बहुत बीमार बना रही हैं और यही बीमार मानसिकता अपनों पर ही अमानवीय अत्याचार और गुंडागर्दी के रूप में पूरी दुनियां के सामने उभर कर आने लगी हैं। अब इन आरक्षण विरोधियों को इस बात की चिंता है कि अमानवीय अत्याचार सहते हुए भी दलित समाज के युवा गरीबी में भी अपनी कड़ी मेहनत, बुद्धि और विवेक के बल पर कैसे इतनी तरक्की प्राप्त कर ले रहे हैं। इसलिए वह सोशल मीडिया पर अपना गैंग बनाकर आरक्षण को विवादित करने की साजिश सुबह – शाम रचते रहते हैं। आजकल सोशल मीडिया पर लगातार हो रही आरक्षण विरोधी पोस्टों से देखने में आया हैं कि आरक्षण विरोध के चलते कुछ दलित विरोधी देश विरोधी ताकतों को गले से लगाकर देश में हिन्दू एकता को तोड़कर अराजकता, गुंडागर्दी और दंगों की आग में झोंकने का कार्य कर रहे हैं। स्वाभाविक रूप से सेक्यलुर यानि हिन्दू विरोधी शक्तियों को आरक्षण अच्छा नहीं लगता हैं। जिन लोगों ने दलित समाज की नौकरियों में डकैती डाली, जिन लोगों ने दलित युवाओं का रोजगार छीना और जिन लोगों देश के सामने पहचान का संकट खड़ा किया और जातिवाद को बढ़ाया, आज़ वो चंद आरक्षण विरोध लोग समाज में ‘फूट डालो और राज करो’ की राजनीति कर रहे हैं। जो दलित समाज अपनों के हर तरह के अत्याचार चुप चाप सहते हुए भी सबसे अधिक देश सेवा करता रहा लेकिन आरक्षण विरोधोयों ने दलितों को कभी अपना नहीं समझा बल्कि आरक्षण विरोध लोगों ने जाति के नाम पर हिन्दुओं को भड़काकर समाज को आपस में लड़ाने का कार्य किया। इसके लिए आरक्षण विरोधियों ने स्मार्ट फोन और सोशल मीडिया को हथियार बनाया है। इसके माध्यम से झूठे वक्तव्य को फैला रहे हैं।

उन्होंने कहा, ये अत्याचारी लोग दलितों के आरक्षण पर तो सुबह शाम आंसू बहाते रहते हैं और सोशल मीडिया पर भी लगातार कैपेंन चलाते रहते हैं किंतु बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा पर मौन हो जाते हैं। इन दलित, संबिधान, और आरक्षण विरोधियो की सभी समीक्षाएं व चर्चायें पूरी तरह से आरक्षण विरोध पर ही केन्द्रित रहती हैं, क्योकि संगठित हिंदू इनको पसंद नहीं है और आजकल ये आरक्षण विरोध हिंदू समाज को टुकडों – टुकड़ो में विभाजित करने के लिए हर जगह हिन्दुओं को आरक्षण के नाम पर लड़ाकर दलितों में भी जाति खोज रहे हैं। जिस तरह आरक्षण विरोध लोग कह रहे हैं कि एक दिन भारत के हालात भी बांग्लादेश की तरह होने वाले हैं वह चिंताजनक है। इनकी यह बयानबाजी वास्तव में देश के सभी हिंदुओं के लिए चेतावनी है। यही कारण है कि योगीजी को हिन्दू समाज से कहना पड़ रहा रहे है कि ”हम बटेंगे तो कटंगे”। समाज में दलितों की निंदा करने वाले वाही देश विरोधी लोग हैं जो अत्याचारियों, पापियों और माफिया की मौत पर उनके घर पर शोक संवेदना व्यक्त करने जाते रहे हैं। ये लोग चाहते हैं वो देश में आरक्षण ख़त्म करने के समर्थन में नारे लगाएं लेकिन आरक्षण की दुहाई के नाम पर अपने दलितों को असहाय छोड़ दे और कट्टर पंथीयों व वफ्फ बोर्ड को मनमानी लूट करने दें। इसलिए, इन आरक्षण विरोधियों से सावधान और सतर्क रहने की बहुत आवश्यकता है। क्योकि राष्ट्र से बढ़कर कुछ नहीं हो सकता, राष्ट्र तभी सशक्त हो सकता है जब हम एकजुट रहेंगे। देश और हिन्दू समाज को जातिवाद के नाम पर बांटने वाली ताकतों से सावधान रहना होगा। हम सभी लोकमंगल व राष्ट्रमंगल के प्रति पूर्ण समर्पण भाव से कार्य करें। ताकि हम सभी मिलकर विकसित भारत की परिकल्पना को साकार करने के लिए सर्वश्रेष्ठ योगदान कर सकें।

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