मियावाकी वन व पर्यावरण
लखनऊ। वन महोत्सव के अंतर्गत पर्यावरण संरक्षण संवर्धन के विविध प्रयास किए जा रहे हैं। लखनऊ राजभवन की बागवानी विलक्षण है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान इसमें अनेक नई वाटिकाओ का निर्माण हुआ। इनमें नक्षत्र वाटिका, हर्बल औषधीय पौधों की वाटिका आदि शामिल है। वाटिकाओं की यह श्रृंखला आगे बढ़ी है। राजभवन परिसर में जापान की मियावाकी पद्धति से वनारोपण किया गया। इस पद्धति में प्रत्येक वर्ग मीटर में वृक्ष, हर्ब, झाड़ी, उप झाड़ी प्रजाति के पौधों को समूहबद्ध कर उगाया जाता है। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने राजभवन परिसर में ‘मियावाकी वन‘ का उद्घाटन किया। इसने बाइस प्रजातियों के सैंतालीस सौ से अधिक पौधों का रोपण किया गया। इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि मानव जीवन ऑक्सीजन से ही चलता है। अतः ऑक्सीजन प्रदायी पेड़ पौधों की जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका है। प्रकृति हमको बहुत कुछ देना चाहती है। उसे एक्सप्लोर करने की आवश्यकता है। हम सभी लोगों को जगहों से अच्छी चीजें आत्मसात कर उसे क्रियान्वित करना चाहिए। रोपित पेड़-पौधों की परवरिश भी हमें ही करनी चाहिए। पर्यावरण के प्रति हमें प्रेम दिखाना चाहिए। सुंदर प्रकृति का नज़ारा सभी की आंखों को अच्छा लगता है। अतः हरियाली, बारिश, आदि हेतु प्रयास किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्राचीनकाल में ऋषि मुनियों की साधना प्रकृति के सानिध्य में पेड़ पौधों के बीच में ही होती थी अतः प्रकृति और वृक्षारोपण हेतु सभी को प्रयास करना चाहिए। मियावाकी वन में मुख्य रूप से नीम,अर्जुन, कंजी, अमरूद, आँवला, शीशम, सहजन, सप्तपर्ण, गुलमोहर, आम, कचनार, जामुन, जट्रोफा, लेमन ग्रास आदि शामिल है। इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव राज्यपाल, डॉ सुधीर महादेव बोबडे, प्रभागीय वनाधिकारी, राजभवन के समस्त अधिकारी, कर्मचारी, अध्यासित गण, राजभवन प्राथमिक विद्यालय के बच्चे, उम्मीद संस्था के बच्चे आदि उपस्थित रहे।