वन्दे मातरम गीत पैदा करता है देश के प्रति समर्पण का भाव : डा दिनेश शर्मा
कांग्रेस की सोंच के चलते देश की आराधना वाले गीत के गायन पर हुआ विवाद

लखनऊ । राज्यसभा सांसद एवं यूपी के पूर्व उपमुख्यमंत्री डा दिनेश शर्मा ने कहा कि वन्दे मातरम गीत देश के प्रति समर्पण का भाव पैदा करता है।ये देश को एकता के सूत्र में भी पिरोता है । आजादी की लडाई में यह गीत जन जन जुबान पर आने के साथ ही देशभक्ति का पर्याय बन गया।
डा शर्मा ने कहा कि आज मातृ भूमि की वन्दना वाले इस गीत की यात्रा के 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिल्ली में इस पर एक डाक टिकट और सिक्का जारी किया है। ये देश के प्रति प्रेम और राष्ट्रभक्ति की भावना है। प्रधानमंत्री ने यह भी तय किया है कि 7 नवम्बर से 26 नवम्बर संविधान दिवस तक देशभर में वंदे मातरम गीत को अलग अलग स्थान और अवसरों पर गाया जाएगा। इस गीत गायन करके देशवासी एक भारत श्रेष्ठ भारत के प्रति अपने संकल्प को भी दोहराएंगे।
सांसद ने कहा कि राष्ट्रीय गीत वन्दे मातरम के 150 साल पूरे हो गए हैं। इस समय में भारत की स्थिति में काफी बदलाव आया है। बंकिम चन्द चट्टोपाध्याय ने 1875 में इस गीत को लिखा था पर तब इसे कोई जान नहीं पाया था। बंकिम जी ने 1882 में प्रसिद्ध उपन्यास आनन्द मठ को लिखा और उसमे इसे स्थान दिया। आनन्द मठ में जब लोगों ने मातृभूमि की इस वन्दना को पढा तो उसे काफी पसंद किया। ये जन जन की जुबान पर चढ गया। रवीन्द्र नाथ टैगोर ने इसे 1896 में आजादी के पहले की बापू वाली कांग्रेस के अधिवेशन में पहली बार गाया था। उसके बाद से यह गीत आजादी की लडाई में हर क्रान्तिकारी की जुबान पर होने के साथ ही अभिवादन के लिए भी वन्देमातरम का प्रयोग किया जाने लगा। देश के स्वतंत्रता संग्राम के मंत्र वंदे मातरम् ने अंग्रेजों के ख़िलाफ़ आज़ादी की लड़ाई को धार दी थी। इस गीत की यात्रा आज 150 साल पूरी कर चुकी है और 1905 में इसे राग मल्हार में संगीतबद्ध किया गया। उसके बाद लोग इसे राष्ट्रीय गीत के रूप में गाने लगे। एक समय ऐसा भी आया जब ये जन जन का गीत बन गया।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सोंच के चलते देश की आराधना गीत के गायन पर भी विवाद हुआ था। कांग्रेस के 1923 एवं 1937 के कांग्रेस अधिवेशन में वन्दे मातरम को गायन के लिए सूचीबद्ध किया गया पर मोहम्मद अली जिन्ना के विरोध के चलते इसका गायन नहीं हुआ । यह गीत राष्ट्र की आराधना का गीत है फिर भी जिन्ना ने इसे धर्म विरूद्ध बताया था जिसे कांग्रेस के नेताओं ने स्वीकार कर लिया था। कांग्रेस के नेताओं की कमी के कारण देश की आराधना वाले गीत का भी विरोध हुआ। कुछ लोगों ने उस समय इसका बहिष्कार तक किया था। देश में रहने और देश का नमक खाने वालों द्वारा देश की आराधना के गीत का विरोध उचित नहीं है। उन्होंने बच्चों से कहा कि वे देश के प्रति समर्पण की भावना से आगे जाने का प्रण लें।
राष्ट्र की एकता अखंडता के प्रतीक हमारे राष्ट्रगीत “वंदे मातरम” के 150 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में सीतापुर रोड, लखनऊ में भाजपा लखनऊ महानगर द्वारा आयोजित मा. प्रधानमंत्री जी के सजीव प्रसारण कार्यक्रम में सम्मिलित होने के उपरांत मुख्य अतिथि डॉक्टर दिनेश शर्मा सांसद राज्यसभा ने उपस्थित जनसमूह को संबोधित किया।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में उपस्थित युवाओं, विद्यार्थियों एवं आम जनमानस द्वारा सामूहिक राष्ट्रगीत का गायन किया गया।
इस अवसर पर लखनऊ महानगर अध्यक्ष श्री आनंद द्विवेदी जी, मा. महापौर श्रीमती सुषमा खर्कवाल जी, महामंत्री श्री राम अवतार कनौजिया जी, कार्यक्रम संयोजक श्री विवेक सिंह तोमर जी, उपाध्यक्ष श्री घनश्याम अग्रवाल गुड्डा जी, भाजपा नेता श्री अभिषेक खरे जी, वरिष्ठ भाजपा नेता श्री संजय सिंह जी, मंडल अध्यक्ष श्री शैलेंद्र मौर्य जी, श्री संजय तिवारी जी, मा.पार्षद श्री देव शर्मा मुन्ना मिश्रा जी, मा. पार्षद श्री मान सिंह जी, मा. पार्षद श्रीमती राजकुमारी मौर्य जी, पूर्व पार्षद श्री जीडी शुक्ला जी, युवा मोर्चा पूर्व अध्यक्ष श्री टिंकू सोनकर जी, श्री सौरभ वाल्मीकि जी, श्री आरके छारी जी, श्री राकेश सिंह जी, श्रीमती सीता नेगी जी, श्रीमती नम्रता श्री नेत्र जी, श्री विनय पटेल जी, श्री आकाश सिंह जी, श्रीमती पारुल सिंह जी आदि उपस्थित रहे।



