राजनीतिसम्पादकीय

भारतीय जनता पार्टी की नवीन खोज

मृत्युंजय दीक्षित

गहन विचार मंथन के बाद भाजपा के नए अध्यक्ष की खोज नितिन नवीन जी के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के साथ पूर्ण हो गई है। भारतीय जनता पार्टी का यह निर्णय हर किसी को चौंका रहा है। भाजपा के नये अध्यक्ष नितिन को यह उपलब्धि पार्टी के उन सभी धुरंधरों को पछाड़ते हुए मिली है जिनके नाम मीडिया के सभी मंचो पर चला करते थे। भाजपा की राजनीति के तौर तरीकों को अगर ध्यान से देखा जाए तो यह स्पष्ट हो रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह की अगुआई में चौंकाने वाले निर्णय ही हो रहे हैं और नितिन नवीन की खोज भी उसी कड़ी का एक हिस्सा है। नितिन ऐसे समय में भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गए हैं जब बंगाल से लेकर तमिलनाडु, केरल, असम जैसे राज्यों में विधानसभा चुनाव निकट आ रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी का यह निर्णय कोई सामान्य घटना नही है यह पार्टी के भीतर भरोसा, संगठनात्मक परिवर्तन और अग्रगामी राजनीति का एक दर्पण है जो नई पीढ़ी के निर्माण को उत्सुक रहती है।
नितिन के चयन में एक प्रमुख संयोग यह है कि उनकी और भाजपा दोनों की आयु 45 वर्ष है। माना जा रहा है कि नितिन वर्ष 2026 की जनवरी में विधिवत भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष निर्वाचित होंगे। नितिन नवीन का चयन भाजपा में पीढ़ीगत बदलाव की ओर बड़ा कदम है। पार्टी ने राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष चुनने के लिए अनुभव, अनुशासन और वैचारिक निष्ठा को प्राथमिकता देते हुए एक युवा चेहरे को प्राथमिकता देकर अपनी भविष्य की रणनीति स्पष्ट कर दी है।
45 वर्षीय नितिन नवीन बिहार की बांकीपुर विधानसभा सीट से लगातार पांच बार विधायकऔर तीन बार मंत्री रह चुके हैं। नितिन क्षेत्र और संगठन मे लगातार अपनी छाप छोड़ते आए हैं। 2015 में लालू नीतीश गठबंधन का दौर था और भाजपा को भारी पराजय का समाना करना पड़ा था उस समय भी नितिन भारी मतों से चुनाव जीतने में सफल रहे थे। वर्ष 2020 में कांटे की टक्कर में शत्रुघ्न सिन्हा के पुत्र लव सिन्हा को 84 हजार से भी अधिक मतों के अंतर से हराया। वर्ष 2023 में जब सभी राजनैतिक विश्लेषक यह मान बैठे थे कि छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल सरकार ही बनेगी उस समय भाजपा के चुनाव प्रभारी नितिन की रणनीति ने सभी विश्लेषकों को हैरत में डालते हुए छत्तीसगढ़ में भाजपा की ऐतिहासिक वापसी करा दी थी। नितिन नवीन की नियुक्ति से यह संकेत मिल रहा है कि भाजपा नेतृत्व आगामी चुनावों में बंगाल से लेकर पूर्वोत्तर के राज्यों तक विशेष ध्यान केंद्रित करना चाहती है।
यह तथ्य भी जानने योग्य हैं कि 6 अप्रैल 1980 को भाजपा की स्थापना के समय अटल बिहारी बाजपेयी 55 वर्ष की आयु में पार्टी के प्रथम अध्यक्ष बने और अटल -आडवाणी की वैचारिक मजबूती ने भाजपा को शिखर तक पहुंचाया । मुरली मनोहर जोशी से लेकर वैंकेया नायडू तक पार्टी के अध्यक्ष बने । भाजपा के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी 77 वर्ष की आयु में भी अध्यक्ष रहे। 52 वर्षीय नितिन गडकरी भी पार्टी अध्यक्ष रहे। 2014 में 49 वर्षीय अमित शाह ने पार्टी की कमान संभाली और उसी वर्ष पहली बार भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी। मोदी-शाह की जोड़ी ने ऐसा करिश्मा दिखाया कि पूरा भारत भगवामय हो गया। नितिन के चयन में संभवतः आयु का भी ध्यान रखा गया क्योंकि जिन नेताओं के नाम मीडिया के माध्यम से सामने आ रहे थे उन सभी नेताओं की उम्र अधिक थी और वह उग्र होते राजनीतिक परिदृश्य में पद के साथ न्याय न कर पाते ।
नितिन नवीन को अध्यक्ष बनाकर भाजपा बंगाल को साधने का प्रयास कर सकती है । विश्लेषकों का मानना है कि नवीन जिस कायस्थ समाज से आते हैं उसका बंगाल में अच्छा खासा वोट तथा प्रभाव है। पार्टी उनके समाज को नेतृत्व में भागीदार होने का सन्देश देना चाहती है। देशभर में कायस्थ सामाज की संख्या डेढ़ से दो करोड़ तक बताई जा रही है जो कुल आबादी का एक फीसदी से कुछ अधिक है। पश्चिम बंगाल में कायस्थों की आबादी 27 लाख है। बंगाल के अधिकतर हिस्सों में कायस्थ फैले हुए हैं। घोष, बोस, दत्ता, गुहा और अन्य उपनामों से इन्हें जाना जाता है। यह समुदाय बंगाल के संपन्न और प्रभावशाली समुदायों में से एक है। कोलकाता के आसपास इनकी बड़ी आबादी रहती है। बंगाल विधानसभा चुनावों में उनकी बड़ी भूमिका रहेगी। नितिन की नियुक्ति केवल एक संगठनात्मक बदलाव नहीं अपितु राष्ट्रीय राजनीति में भविष्य की दिशा तय करने वाला कदम भी माना जा रहा है।

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