
लखनऊ। तीर्थाटन के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश शिखर पर आकर्षण का केंद्र बन गया है। इको टूरिज्म में भी प्रदेश निरंतर प्रगति पर है। इस क्षेत्र में अनेक नए आयाम स्थापित हो रहे है। प्रदेश सरकार इको टूरिज्म को प्रोत्साहन देने की कार्ययोजना पर अमल कर रही है।
कतर्निया घाट वन्यजीव अभयारण्य से दुधवा टाइगर रिजर्व तक विस्टाडोम कोच वाली पर्यटक ट्रेन संचालित है। यह मैलानी बहराइच रेल प्रखंड पर करीब दो सौ किलोमीटर लंबी मीटरगेज लाइन पर स्थित है। इस रूट पर ईको ट्रेन चलाने का निर्णय लिया गया है। दुधवा टाइगर रिजर्व के जंगलों से होकर मैलानी बहराइच के बीच ट्रेनों का संचालन होता है। प्रदेश सरकार ने यूपी को इको टूरिज्म का हब बनाने की दिशा में प्रयास कर रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कुछ समय पहले कहा था कि बहराइच का ऐतिहासिक और भौगोलिक महत्व है। यहां पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। यहां महाराजा सुहेलदेव का विजय स्मारक बन कर तैयार हो गया है। बहराइच में कतर्निया घाट को इको टूरिज्म केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है। जिससे क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। कर्तानिया
घाट वन्यजीव अभ्यारण्य दुधवा बाघ अभ्यारण्य लखीमपुर खेरी के अंतर्गत है। यहां साल के वन,ऊंची घास के मैदान है। घाघरा नदी की गिरवा और कौडियाला के प्रवाह है। यह अभी यहां के प्राकृतिक सौंदर्य को बढ़ाते है। दुधवा के अंतर्गत किशनपुर
अभ्यारण्य है। इस क्षेत्र के थारू वनवासी विकास की मुख्य धारा में शामिल हो रहे हैं। दुधवा और कतर्निया घाट क्षेत्र में थारू जनजाति की सांस्कृतिक विरासत, व्यंजन के प्रति भी लोगों की दिलचस्पी बढ़ी है। अनुभव थारू संस्कृति’ योजना के अंतर्गत शिल्पग्राम विकसित किए जाएंगे। थारू थाली की योजना भी पर्यटकों को नया अनुभव प्रदान करेगी। इसमें यहां के पारंपरिक व्यंजन स्थानीय वन उपज शामिल हैं। यहां के होटलों रिसोर्ट में भी थारू थाली उपलब्ध रहेगी। इससे स्थानीय निवासियों को भी लाभ मिलेगा। उत्तर प्रदेश नेपाल सीमा क्षेत्र में स्थित कतर्नियाघाट वन्यजीव अभ्यारण्य में गेरुआ नदी पर नौकायन भी पर्यटन की दृष्टि से रुचिकर होगा।



