खंदौली में एक के बाद एक आती गईं लाशे,लग गया ढेर, चीखों से सहमा रहा सैमरा
आगरा। हाथरस में बस ने मैक्स पिकअप में टक्कर मार दी। इस हादसे में एक ही परिवार के 35 लोगों समेत 18 शव देखकर खंदौली क्षेत्र का गांव सैमरा सहम गया। बेदरिया और उनके परिवार के लोग दहाड़ मारकर रोने लगे। एक के बाद एक जैसे-जैसे एंबुलेंस से शव आते गए, चीख-पुकार मचती रही।
सैमरा में पांच भाइयों बेदरिया, लतीफ, मुन्ना, चुन्नासी और नूर मोहम्मद के घर मातम छाया है। हादसे में बचे परिजन अपनों की लाश का इंतजार करते दिखे। हूटर बजाते एम्बुलेंस जैसे ही गांव में पहुंचती, परिजन की चीखें और तेज हो जा रही थीं। 12 शव देर रात तक पोस्टमार्टम होने के बाद पहुंच गए थे। इनमें बच्चे, युवक-युवती और बुजुर्ग शामिल थे। शव से लिपटकर परिजन का विलाप और उनकी चीखें लोगों के सीने भेद रहीं थी। पड़ोसी नसुरुद्दीन ने बताया कि बेदरिया की बेटी असगरी सासनी के गांव मुकुंदखेड़ा में ब्याही है। इनकी दादी सास के चालीसा में जाने के लिए 35 सदस्य मैक्स गाड़ी से गए थे। क्या पता था कि इनमें से कई दोबारा लौटकर नहीं आएंगे।
नहीं जले चूल्हे
एक ही खानदान के लोगों की मौत से सैमरा में मातम छा गया। हादसे की जानकारी जिसे हुई, वही सकते में आ गया। सैमरा के घरों में चूल्हे नहीं जले और पूरी रात गांव के लोग मृतकों के परिजन को ढांढस बंधाते रहे। पड़ोसी वसीम खान ने बताया कि गांव में करीब 8000 की आबादी है। पांचों भाइयों का परिवार गांव से ही किराए पर मैक्स गाड़ी करके चालीसा में गया था। पूरा गांव एकजुट होकर मृतकों के परिजन को सांत्वना दे रहा था।
तंबू लगाकर रखे गए शव
बस्ती में शव लाने से पहले पुलिसकर्मियों को स्थान खोजने की कवायद करनी पड़ी। यहां 16 शव आने थे। बस्ती में पहले पंचायत घर की जमीन को देखा गया। इसके बाद बस्ती के स्कूल पर शव एकत्रित करने का निर्णय लिया गया। पुलिस ने स्कूल के अंदर शव रखवाने का प्रयास किया लेकिन गेट का ताला नहीं खुला। इस वजह से स्कूल परिसर के बाहर तंबू लगाकर शव रखे गए।
स्कूल के लिए बस्ता लगाकर गए थे बच्चे
महज दस साल के अल्फेज और 9 साल के अली जान अब कभी स्कूल नहीं जाएंगे। वह खुशी-खुशी अपने भाई-बहनों के साथ दादी के घर गए थे। बच्चे अपना बस्ता लगाकर घर से गए थे, जिससे शनिवार सुबह स्कूल जा सकें। इन मासूमों को नहीं मालूम था कि यह उनकी जिंदगी का आखिरी सफर होगा। परिवार की महिलाओं ने बताया कि दोनों बच्चों के बस्ते घर में रखे हुए हैं। अब इन को लेकर स्कूल कोई नहीं जाएगा। घर का आंगन बच्चों के बिना उजड़ गया।