भारत को शाश्वत रचना माना गया। यहां राष्ट्र का विचार वैदिक काल से रहा हैं। मातृभूमि की वन्दना का भाव सदैव रहा है। नदी पर्वत प्रकृति सभी के प्रति सम्मान रहा। आधुनिक युग में महर्षि अरविंद ने भारत माता का चित्रण किया। बंकिम चंद्र ने भारत माता की वन्दना की। देश में अनेक स्थानों पर भारत माता के मंदिर बने है। ऐसा ही मंदिरमहात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी में निर्मित हुआ। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ परिसर में निर्मित भारत माता मंदिर का दर्शन किया। इसका निर्माण डॉ शिवप्रसाद गुप्त ने कराया था। इसका उद्घाटन सन् 1936 में महात्मा गांधी जी द्वारा किया गया। इस मंदिर में संगमरमर पर अविभाजित भारत का त्रिआयामी भौगोलिक मानचित्र उकेरा गया है। जिसमें पर्वत,पठार, नदियों और सागर सभी को बखूबी दर्शाया गया है। इसके पहले आनंदीबेन पटेल ने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी के दीक्षान्त समारोह को संबोधित किया।
उन्होंने इस वर्ष के बजट में शिक्षा के लिए रखे गए अब तक के सर्वाधिक बजट की भी चर्चा की। उन्होंने बताया की इस वर्ष शिक्षा का बजट 1.48 लाख करोड़ दिया गया है जिसका लाभ सभी विद्यार्थियों को लेना चाहिए। अगले पांच वर्षों में भारत के एक करोड़ विद्यार्थियों को देश की शीर्ष कंपनियों में इंटर्नशिप करने करने के मौके का जिक्र भी उन्होंने अपने सम्बोधन में किया और बताया कि विद्यार्थियों को कौशल विकास हेतु 7.5 लाख के ऋण की सुविधा भी दी जा रही है। उन्होंने सभी विद्यार्थियों को योजना का समुचित लाभ लेने के लिए प्रेरित किया।
उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल सार्थक दिशा में होना चाहिये। उन्होंने ऊर्जा और पानी बचत के लिए भी प्रेरित किया। विश्वविद्यालयों में लागू समर्थ पोर्टल के बारे बताते हुए उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के 33 विश्वविद्यालयों को समर्थ पोर्टल से जोड़ते हुए 200 करोड़ की बचत की गयी है।
राज्यपाल जी ने अपने सम्बोधन में गर्भस्थ संस्कार की शिक्षा, संस्थागत प्रसव को शत-प्रतिशत करने की प्रतिबद्धता रखने, नवजात शिशु की सही देखभाल जैसे विषयों पर भी चर्चा की।
दीक्षांत समारोह में राज्यपाल जी द्वारा सोनभद्र जिले की 10 विशिष्ट आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को सम्मानित भी किया गया, जिसमें जिलाधिकारी सोनभद्र बद्रीनाथ सिंह तथा मुख्य विकास अधिकारी जागृति अवस्थी भी उपस्थित रहीं। रेखा देवी को सर्वाेत्कृष्ट आँगनवाड़ी कार्यकत्री के लिए पुरस्कृत किया गया। उल्लेखनीय है कि होप वेलफेयर ट्रस्ट द्वारा गावों को नशा मुक्त कराने हेतु लगातार प्रयास किया जा रहा है, जिसमें उनके द्वारा तैयार ग्रीन आर्मी से जुड़ी उत्कृष्ट कार्य करने वाली महिलाओं तथा बच्चियों को साड़ी तथा पुरस्कार देकर पुरस्कृत किया गया। राज्यपाल की प्रेरणा से विश्वविद्यालय द्वारा सोनभद्र की विभिन्न आंगनबाड़ी केंद्रों को सुविधा संपन्न बनाने हेतु विविध सामान की सौ किट भी प्रदान की गयी।
काशी विद्यापीठ के गोद लिये गये विद्यालयों में विभिन्न प्रतियोगिताओं में शानदार प्रदर्शन करने वाले बच्चों को पुरस्कृत किया।
सोनभद्र में संचालित विभिन्न कंपनियों जिनमें एनसीएल, अल्ट्राटेक सीमेंट, हिंडाल्को को सीएसआर के तहत कराये गये कार्यों हेतु सम्मानित किया।
सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय में दीक्षान्त संबोधन
आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी का दीक्षान्त समारोह सम्पन्न हुआ।
उन्होंने छात्रों को जीवन में कर्तव्यनिष्ठा का पालन करने की प्रेरणा दी। राज्यपाल जी ने संस्कृत शिक्षा की प्रासंगिकता को रेखांकित करते हुए कहा कि सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय प्राचीन भारत की सांस्कृतिक और शैक्षिक धरोहर को जीवंत रखने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
उन्होंने कहा कि संस्कृति की विरासत संस्कृत भाषा में संचित और संरक्षित है। इसीलिए संस्कृत भाषा में उपलब्ध सांस्कृतिक चेतना का प्रसार करना राष्ट्र सेवा है। उन्होंने कहा कि भारत के प्रतिष्ठा के दो स्तम्भ हैं। प्रथम संस्कृत व द्वितीय संस्कृति। संस्कृत भाषा देववाणी है तो देशवाणी भी है। उन्होंने कहा कि आदर्श जीवन शैली संस्कृत के प्राचीन ग्रन्थों में बताई गई है। उन्होंने संस्कृत के प्राचीन ग्रंथों का अनुवाद हिन्दी में करने का निर्देश देते हुए कहा कि इन ग्रन्थों में आदर्श जीवन शैली बताई गई है, जिसका लाभ आम-जनमानस को मिलना चाहिए, जिससे वे ऋषि, मुनियों के प्राचीन ज्ञान से लाभान्वित हो सकें।राज्यपाल जी ने सरस्वती भवन पुस्तकालय में संरक्षित दुर्लभ पांडुलिपियों के बारे में बताया कि इनमें अनमोल ज्ञानराशि निहित है। उसके संरक्षण का कार्य भी भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय पाण्डुलिपि मिशन के द्वारा बहुत सुन्दर प्रयास के साथ किया जा रहा है, जिसको और अधिक गति देने के लिए राज्यपाल जी ने कम्प्यूटरीकरण करने का भी निर्देश दिया और कहा कि इन पाण्डुलिपियों का प्रकाशन कराकर व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए।
संरक्षित दुर्लभ पांडुलिपियों का अवलोकन
आनन्दीबेन पटेल ने आज सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी के सरस्वती भवन पुस्तकालय में संरक्षित दुर्लभ पांडुलिपियों तथा भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के उपक्रम राष्ट्रीय पाण्डुलिपि मिशन द्वारा किए जा रहे पाण्डुलिपि संरक्षण के कार्यों का अवलोकन।
राज्यपाल जी ने विश्वविद्यालय के विस्तार भवन में चल रहे पाण्डुलिपि संरक्षण के कार्यों के तीनों प्रकारों प्रिवेंटिव, क्यूरेटिव और मेटाडाटा के निर्माण की गतिविधियों को देखा और उसके बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी प्राप्त की, साथ ही संरक्षण के चल रहे कार्यों पर संतोष व्यक्त करते हुये कार्यों में गति लाने का निर्देश दिया ताकि यह प्रमाणिक कार्य नियत समय पर पूर्ण हो और उसका प्रकाशन भी समय पर संपादित हो। उन्होंने से सात प्रमुख पाण्डुलिपियों क्रमशः श्रीमद्भागवतम्, रासपच्चाध्यायी- सचित्र, भागवतगीता, दुर्गासप्तसती, यंत्रराजकल्पः, सिंहासन बत्तीसी और कृषि पद्धति का बारिकी से निरीक्षण कर उनके बारे में जानकारी प्राप्त किया।