उत्तर प्रदेशलखनऊ

आस्था और विश्वास

डॉ दिलीप अग्निहोत्री

लखनऊ। विश्व संवाद केंद्र में पत्रकार बंधुओं के द्वारा मंगल भंडारे का आयोजन किया गया था। इसमें एक अद्भुत दृश्य आकर्षण और चर्चा का विषय रहा। जिस स्थल पर भोजन प्रसाद बन रहा था,वहां सुबह से ही वानर तख्त पर आकर बैठ गए। वह भोजन प्रसाद बनने की पूरी प्रक्रिया को ऐसे देख रहे थे, जैसे निरीक्षण कर रहे हो। वहां सब्जी अन्य खाद्य सामग्री रखी थी। लेकिन वानर ने किसी भी वस्तु को हाथ नहीं लगाया। निहारते रहे। इस स्थल के एक तरफ करीब पांच फिट ऊंची दीवार थी। प्रसाद वितरण दीवार के दूसरी तरह होना था। जब वितरण शुरू हुआ तो वानर दीवार के ऊपर बैठ कर वितरण देखने लगे। कुछ देर में जब वहां लोगों की भीड़ बढ़ी तो वह कुछ दूर स्थित पेड़ पर जाकर बैठ गए। यह दृश्य श्रद्धावान लोगों को भावविह्वल करने वाला था। तर्क और रहस्य से परे विश्वास प्रबल था। इसका अनुभव श्रद्धा के स्तर पर ही किया जा सकता है।

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