लेख
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“हिंदी-अंग्रेजी का समरस संगम: वैश्विक युग में विकसित भारत की द्विभाषिक रणनीति और प्रगति का पथ”
21वीं सदी के वैश्वीकरण और डिजिटल क्रांति के युग में भारत एक ऐसे राष्ट्र के रूप में उभर रहा है…
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गलियारों का द्वंद
गलियारों का द्वंद इन गलियारों में कैसा है यह द्वंद सतमार्ग पर चलना, जिसकी जिद है व्यथित हुआ वह व्यर्थ।…
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“चरित्र की शक्ति और कलम का प्रभाव: तुलसीदास के आदर्श पुरुष की खोज”
भारतीय साहित्यिक परंपरा में तुलसीदास एक ऐसे महाकवि के रूप में प्रतिष्ठित हैं जिन्होंने न केवल साहित्य को धार्मिकता का…
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संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा
विरोधी दलों ने भारतीय जनमानस के साथ खड़ा होने का अवसर खो दिया पहलगाम की आतंकी घटना के बाद भारतीय…
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शतरंज के वैश्विक बोर्ड पर भारत का दिव्य अधिकार
वैश्विक शतरंज में वर्ष 2025 एक ऐसी दिव्य उपलब्धि लेकर आया है जिसे तब तक स्मरण किया जाएगा जब तक…
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सरकारी स्कूलों में क्यों नहीं पढ़ते राजनेताओं के बच्चे
जब तक विधायक, मंत्री और अफसरों के बच्चे निजी स्कूलों में पढ़ते रहेंगे, तब तक सरकारी स्कूलों की हालत नहीं…
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“राष्ट्र की बुनियादी त्रयी सेवाएं: शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा का सरकारी संरक्षण व संचालन ही सशक्त और विकसित भारत का मूलमंत्र”
सशक्त और विकसित भारत का मूलमंत्र एक राष्ट्र की वास्तविक शक्ति का आकलन केवल उसकी आर्थिक समृद्धि से नहीं, बल्कि…
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मृत्युंजय चालीसा
श्री गणेशाय नमः ओम् नमो नारायणाय ओम् नमः शिवाय दोहा- परम ब्रह्म परमात्मा, लिंग रूप भगवान। अपरिमेय ब्रह्माण्ड मय, सद्य:…
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“दलित: एक जाति नहीं, बल्कि शोषण के विरुद्ध चेतना और परिवर्तन की आवाज व संघर्षशील अस्मिता का प्रतीक”
भारतीय समाज की सामाजिक संरचना बहुस्तरीय और जटिल रही है, जिसमें जातिव्यवस्था ने एक केंद्रीय भूमिका निभाई है। ‘दलित’ शब्द…
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हरियाली तीज: परंपरा की जड़ें और आधुनिकता की डालियाँ
हरियाली तीज केवल श्रृंगार, झूला और व्रत का पर्व नहीं, बल्कि भारतीय स्त्री के आत्मबल, प्रेम और प्रकृति से जुड़ाव…
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“स्थिर प्रेम और अस्थिर समय: सैंयारा की बातों में छुपी सदी की सच्चाई – अपवर्तित अपनापन की आत्मगाथा”
“सैंयारा तू तो बदला नहीं है, मौसम ज़रा सा रूठा हुआ है”—यह पंक्ति मात्र एक भावुक स्मरण नहीं, बल्कि एक…
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