image

एक ही संसदीय क्षेत्र से बने सीएम और डिप्टी सीएम, अब साधना होगा संतुलन

हिमाचल: विधानसभा चुनाव में पूर्व सीएम जयराम ठाकुर के जिला मंडी के नतीजों ने निराश किया है। पर कांग्रेस को मिशन 2024 साधने के लिए चुनाव में बढ़त दिलाने वाली बागवानी बेल्ट और कांगड़ा जिला को प्रतिनिधित्व में विशेष तरजीह देनी होगी।

हिमाचल प्रदेश में एक ही संसदीय क्षेत्र हमीरपुर से सीएम और डिप्टी सीएम बनाए गए हैं। अभी सियासी संतुलन साधना होगा। विधानसभा चुनाव में पूर्व सीएम जयराम ठाकुर के जिला मंडी के नतीजों ने निराश किया है। पर कांग्रेस को मिशन 2024 साधने के लिए चुनाव में बढ़त दिलाने वाली बागवानी बेल्ट और कांगड़ा जिला को प्रतिनिधित्व में विशेष तरजीह देनी होगी। 



हालांकि, सियासी पंडितों के अनुसार केंद्र के दो बड़े नेताओं भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा और पूर्व सीएम प्रेमकुमार धूमल, उनके बेटे केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के इस संसदीय क्षेत्र को यह दोनों पद एक खास रणनीति के तहत दिए गए हैं। अब आलाकमान की अगली रणनीति हिमाचल प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में तमाम समीकरण साधकर हेवीवेट मंत्री देने की होगी। हिमाचल में मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री बनाकर कांग्रेस हाईकमान ने एक बड़ी पहेली सुलझा दी है। सुखविंद्र सुक्खू हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के जिला हमीरपुर और अग्निहोत्री जिला ऊना से हैं। सुक्खू राजपूत और अग्निहोत्री ब्राह्मण समुदाय से हैं। ऐसे में मंत्र बनाते हुए क्षेत्रीय संतुलन साधने के साथ अन्य जातियों को भी अधिमान देना होगा। 

वीरभद्र से हमेशा रहा सुक्खू का छत्तीस का आंकड़ा 
छह बार सीएम रहे दिवंगत वीरभद्र सिंह से हमेशा ही सुखविंद्र सिंह सुक्खू का छत्तीस का आंकड़ा रहा। एनएसयूआई और युवा कांग्रेस के रास्ते राजनीति में आए सुखविंद्र सिंह सुक्खू कभी पूर्व केंद्रीय संचार राज्य मंत्री पंडित सुखराम और पूर्व मंत्री विद्या स्टोक्स के बहुत नजदीकी रहे हैं। ज्यादातर वक्त पंडित सुखराम और विद्या स्टोक्स लंबे समय तक वीरभद्र सिंह के विरोध में रहते आए थे। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव से पहले जब वीरभद्र-स्टोक्स में समझौता हो गया तो वह पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा के नजदीकी हो गए थे। आनंद शर्मा की भी हमेशा वीरभद्र सिंह से तनानती रही। वीरभद्र सरकार में हाईकमान ने सुखविंद्र सिंह सुक्खू को पार्टी प्रदेशाध्यक्ष बनाया तो भी वह कई बार उनकी अपने मुख्यमंत्री से तनातनी रही। छह साल तक पार्टी प्रदेशाध्यक्ष रहे सुक्खू लगातार वीरभद्र के निशाने पर रहे। पर इस बीच वीरभद्र सिंह के विरोध में रहते आए नेता उनके खेमे के साथ जुड़ते रहे। सुक्खू की बाद में राहुल गांधी के साथ भी सीधी पहुंच हो गई। 

सुक्खू के लिए शुरू से ही नजर आता रहा हाईकमान का सॉफ्ट कॉर्नर 
सुखविंद्र सिंह के लिए हाईकमान का सॉफ्ट कॉर्नर शुरू से ही नजर आता रहा है। पिछले सब चुनावों में वीरभद्र चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष होते थे तो उनके न रहने के बाद यह बड़ा जिम्मा इस चुनाव में सुक्खू को दिया गया। टिकट तय करने वाली स्क्रीनिंग कमेटी में कांग्रेस विधायक दल के नेता और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष ही राज्य से दो सदस्य होते थे। इस बार तीसरे सदस्य सुखविंद्र सिंह सुक्खू भी बनाए गए। वीरभद्र सिंह खेमे के न चाहने के बावजूद सुखविंद्र सिंह सुक्खू छह साल तक पार्टी प्रदेशाध्यक्ष रहे। इससे साफ संकेत मिलते रहे कि सुक्खू पर हाईकमान का विशेष हाथ है। 

 

मंडी जिले में हार से भी प्रतिभा को नहीं मिला अधिमान

 मंडी संसदीय क्षेत्र में हुई कांग्रेस की हार का भी प्रतिभा सिंह को अधिमान नहीं मिला। प्रतिभा सिंह मंडी से सांसद हैं। इस संसदीय क्षेत्र की 17 सीटों की बात करें तो मंडी जिला में दस में से नौ सीटें भाजपा के पाले में चली गईं। मंडी की जो धर्मपुर सीट भाजपा को मिली, वह हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में आती है। मंडी संसदीय क्षेत्र में हारी हुईं जिला की यह सभी नौ सीटें आती हैं। हालांकि, जनजातीय क्षेत्रों और कुल्लू जिले में भी कांग्रेस को पूरी बढ़त नहीं मिली। भरमौर को कांग्रेस ने गंवा दिया। कुल्लू में भी चार में से दो सीटें ही कांग्रेस को मिलीं।

हालांकि किन्नौर और लाहौल स्पीति की सीटें कांग्रेस ने जरूरत जीती हैं। पर शिमला जिला से मंडी संसदीय क्षेत्र में आने वाली एकमात्र सीट रामपुर में भी कांग्रेस बहुत कम मतों से जीत पाई, जहां प्रतिभा सिंह का घर भी है। ऐसे में हॉली लॉज के विरोधी उनके खिलाफ अपनी बात कहने में कामयाब हो गए। सुखविंद्र सिंह सुक्खू के हमीरपुर जिला में भाजपा पांचों सीटें हार गई तो मुकेश अग्निहोत्री के जिला ऊना में भाजपा पांच में से केवल एक ही सीट झटक पाई। प्रतिभा सिंह इसलिए भी सीएम की रेस से पीछे हो गईं। 

Post Views : 302

यह भी पढ़ें

Breaking News!!