होइहिहिं वही जो राम रचि राखा। को करि तर्क बढ़ावहिं शाखा।।
पं रामजस त्रिपाठी नारायण
होइहिहिं वही जो राम रचि राखा।
को करि तर्क बढ़ावहिं शाखा।।
ऐसा बाबा गोस्वामी तुलसीदास जी ने भगवान शिव के मुख से मां सती के सापेक्ष कहलवाया।
वे कब कहे इस पर थोड़ा ध्यान दें-
जब मां सती को, भगवान राम के विषय में अपनी जानकारी के अनुसार वे बहुत समझाएं और उन्होंने कहा कि वे परम ब्रह्म हैं उनकी परीक्षा मत लीजिए उन पर शंका नहीं कीजिए उसके बावजूद भी जब सती जी नहीं मानी तब थक हार कर शंकर जी ने यह कहा
होइहिहिं वही जो राम रचि राखा।
को करि तर्क बढ़ावहिं शाखा।।
अर्थात हमें भी अपने हिस्से के प्रयास को कर लेने के बाद विधि के विधान पर चीजों को छोड़ देना चाहिए कि जो कुछ होगा वह देखा जाएगा। यह परीक्षा परिणाम की चिंता से बचने का सबसे अच्छा उपाय है।
परंतु अपने प्रयास करने के पूर्व यदि हम यह मान लें तो संसार में कर्म हीनता छा जाएगी जो समाज के विकास के लिए घातक सिद्ध होगा।