विभाजन विभीषिका का स्मरण
डॉ दिलीप अग्निहोत्री
भीषण त्रासदी और विभाजन की काली रात के बाद स्वतन्त्रता का प्रकाश हुआ था। भारत का विभाजन कष्टप्रद था। इसके लिए हिंसा का जो प्रदर्शन हुआ, उसने पूरी मानवता को शर्मशार किया था। इतिहास के इस अप्रिय प्रसंग को भी याद रखने की आवश्यकता है।
आज बांग्लादेश में विभाजन विभीषिका के दृश्य देखे जा सकते हैं। मुस्लिम बहुल बांग्लादेश की मुस्लिम बहुल सत्रह करोड़ की आबादी में हिंदू करीब आठ प्रतिशत एक करोड़ पैंतीस लाख हैं। देश की बहुसंख्य हिंदू आबादी परंपरागत रूप से शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग की समर्थक रही है और हिंसा में अवामी लीग के समर्थक व कार्यालय हिंसक आंदोलनकारियों के निशाने पर रहे हैं। बांग्लादेश हिंदू, बौद्ध, ईसाई एकता परिषद के अनुसार,देश के चौसठ जिलों में से बावन में हिंदुओं और उनकी संपत्तियों को निशाना बनाया गया। परिषद ने कहा है कि देश में रहने वाले अल्पसंख्यकों की आबादी इस स्थिति से
भयग्रस्त है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव के कार्यालय ने कहा है कि बांग्लादेश में हिंसा को रोका जाए। बयान में कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र हर तरह की नस्लभेदी हिंसा के खिलाफ है, उसकी रोकथाम के तत्काल उपाय किए जाएं। हिंसा के शिकार और भयभीत हजारों बांग्लादेशी हिंदू पड़ोसी देश भारत में प्रवेश के लिए सीमा पर पहुंचे हुए हैं।
बांग्लादेश में अराजकता के बीच अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हमले को लेकर संयुक्त राष्ट्र ने चिंता जताई है। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरस के प्रवक्ता ने कहा कि हम निश्चित रूप से नस्लीय आधारित हमले या इसके आधार पर हिंसा उकसाने के विरुद्ध खड़े हैं। हिंदू मंदिरों और उनके घरों और दुकानों में तोड़फोड़ की गई। इस दौरान शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग से जुड़े कम से कम दो हिंदू नेताओं की हत्या कर दी गई। नरेंद्र मोदी सरकार ने चौदह अगस्त को विभाजन विभीषका स्मृति दिवस आयोजित करने का निर्णय लिया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले से कहा कि था विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस भेदभाव, वैमनस्य और दुर्भावना के जहर को खत्म करने के लिए प्रेरित करेगा। इससे एकता, सामाजिक सद्भाव और मानवीय संवेदनाएं भी मजबूत होंगी। विभाजन की त्रासदी सदियों तक याद रखी जाएगी। यह बीसवीं सदी की सबसे बड़ी घटनाओं में से एक थी। इस दौरान हुए दंगों में लाखों लोग मारे गए थे। इस लड़ाई में महिलाओं ने सबसे अधिक दर्द झेला।
पाकिस्तान में हिंदुओं व सिखों के घरों व जमीनों पर मुसलमानों ने कब्जा कर लिया था। पाकिस्तान छोड़कर भारत चले जाने की नसीहत दी जाती थी। अपनी जमीन छोड़कर ना जाने वालों को मार दिया जाता था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह कहा कि हम आजादी का जश्न मनाते हैं, लेकिन बंटवारे का दर्द आज भी हिंदुस्तान के सीने को छलनी करता है।
विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस से राष्ट्रीय एकता और अखण्डता सुदृढ़ होगी। सामाजिक सद्भाव बढ़ेगा। देश के बंटवारे से विस्थापित हुए लोगों के संघर्ष और बलिदान की स्मृति में विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप आयोजित करने से वर्तमान पीढ़ी को सकारात्मक सन्देश मिलेगा। मानवीय संवेदनाओं को मजबूती मिलेगी। यह भेदभाव, वैमनस्य तथा दुर्भावना को खत्म करने के लिए देशवासियों को प्रेरित करेगा। विभाजन के कारण लाखों लोगों ने हिंसा,अपनों की मृत्यु और विस्थापन की विभीषिका को झेला है। इस संघर्ष में जिन लोगों ने अपना बलिदान दिया, उन्हें याद रखना आवश्यक है। विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस देश के विभाजन का दंश झेलने वाले सभी परिवारों को सच्ची श्रद्धांजलि है। अब देश को विकास की तरफ नहीं बल्की पूर्णता की तरफ जाना है। अर्थात देश के शत-प्रतिशत लोगों तक सुविधाएं व विकास के लाभ को पहुंचाना है। सभी परिवारों को सभी सुविधाएं मिलनी चाहिए। अनुच्छेद 370 को हटाने का ऐतिहासिक फैसला, देश को टैक्स के जाल से मुक्ति दिलाने की नई व्यवस्था जीएसटी, देश के जवानों को वन रैंक वन पेंशन, राम जन्मभूमि केस का शांतिपूर्ण समाधान पिछले कुछ दिनों में देश ने सच होते देखा है।देश के अस्सी प्रतिशत से ज्यादा किसान ऐसे हैं। जिनके पास दो हेक्टेयर से भी कम जमीन है। पहले देश में बनी नीतियों में इन छोटे किसानों पर ध्यान नहीं दिया गया। अब इन्हीं छोटे किसानों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लिए जा रहे हैं। उन्हें सस्ते में सामग्री मिले। आसानी से ऋण मिले और फसलों पर बीमा मिले इस पर जोर दिया जा रहा है।
सड़क से लेकर कार्यस्थल तक महिलाओं में सुरक्षा का एहसास और सम्मान का भाव हो। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में खेल को एक्स्ट्रा करिकुलर के बजाय मेनस्ट्रीम बनाया गया है। मातृभाषा की प्राथमिकता पर जोर दिया गया है। शहरों और गांवों के बीच के अंतर को समाप्त करने के लिए वहां तक ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क भी पहुंच रहा है। गांव में कई जगहों पर महिलाएं सेल्फ हेल्प ग्रुप में शामिल हो कर नए उद्यम कर रही हैं। ऐसी महिलाओं के लिए सरकार ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म बनाने की तैयारी में है। इससे उनके उत्पाद देश के हर कोने तक पहुंच सकेंगे।