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हिंदू: एक धर्म नहीं, बल्कि जीवन जीने की सौहार्द शैली

डॉ. प्रमोद कुमार

भारत की भूमि प्राचीन काल से ही विविधता और समृद्धि का केंद्र रही है। यह केवल एक भौगोलिक इकाई नहीं है, बल्कि एक विचारधारा, संस्कृति और सभ्यता का प्रतीक भी है। इस भूमि में जन्मी और विकसित हुई सभी संस्कृतियाँ एक विस्तृत और समन्वयकारी समाज की नींव रखती हैं, जिसे आमतौर पर “हिंदू सभ्यता” कहा जाता है। हिंदू कोई धर्म नहीं, बल्कि एक जीवन जीने की शैली है। यह वह पद्धति है जिसमें लोग अपनी सांस्कृतिक विरासत, परंपराओं और दर्शन के अनुसार एक साथ मिलकर शांतिपूर्वक सौहार्द जीवन व्यतीत करते हैं।

हिंदू शब्द की उत्पत्ति

“हिंदू” शब्द की उत्पत्ति सिंधु नदी से मानी जाती है। ऋग्वैदिक काल में, यह नदी भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में बहती थी। जब फ़ारसी और अन्य विदेशी आक्रमणकारी इस क्षेत्र में आए, तो उन्होंने “सिंधु” को “हिंदू” के रूप में उच्चारित किया, और यहाँ के निवासियों को “हिंदू” कहा जाने लगा। धीरे-धीरे, यह शब्द इस उपमहाद्वीप में बसने वाले सभी लोगों के लिए प्रयुक्त होने लगा, चाहे वे किसी भी धार्मिक परंपरा के अनुयायी हों।

हिंदू सभ्यता की विशेषताएँ

हिंदू सभ्यता केवल धार्मिक विचारधारा नहीं, बल्कि एक समावेशी जीवनशैली है, जिसमें कई धार्मिक पंथ, विचारधाराएँ और परंपराएँ समाहित हैं। यह सभ्यता विविधता को अपनाने, सहिष्णुता और समन्वय की भावना को महत्व देती है।

सनातन धर्म
हिंदू संस्कृति की जड़ें “सनातन धर्म” में निहित हैं, जिसका अर्थ है “शाश्वत धर्म”। सनातन धर्म कोई एकल धार्मिक व्यवस्था नहीं है, बल्कि यह विभिन्न आध्यात्मिक विचारों, दर्शनशास्त्रों और अनुष्ठानों का एक व्यापक समुच्चय है। यह वेदों, उपनिषदों, पुराणों, महाभारत और रामायण जैसे ग्रंथों में विस्तार से वर्णित है।

अन्य धर्मों का समावेश
हिंदू सभ्यता ने केवल सनातन धर्म तक ही अपने को सीमित नहीं रखा, बल्कि बौद्ध, जैन, सिख, और अन्य धर्मों को भी अपनी संस्कृति में सहज रूप से समाहित कर लिया। यही कारण है कि भारतीय संस्कृति इतनी विविधतापूर्ण और समृद्ध है।

सहिष्णुता और समन्वय
हिंदू जीवनशैली का एक प्रमुख सिद्धांत “वसुधैव कुटुंबकम्” है, जिसका अर्थ है “संपूर्ण विश्व एक परिवार है”। यह विचारधारा विभिन्न जातियों, पंथों, और संस्कृतियों को जोड़ने का कार्य करती है।

योग और आध्यात्मिकता
हिंदू जीवनशैली में योग, ध्यान और आत्मानुभूति का विशेष महत्व है। योग केवल एक शारीरिक अभ्यास नहीं, बल्कि मानसिक और आत्मिक शुद्धि का माध्यम भी है।

भारत: विभिन्न धर्मों का संगम
भारत को एक राष्ट्र के रूप में देखें तो यह केवल हिंदुओं का देश नहीं, बल्कि सभी धर्मों का संगम है। यहाँ विभिन्न धर्मों के लोग एक साथ रहते हैं, कार्य करते हैं और एक-दूसरे की संस्कृति और परंपराओं का सम्मान करते हैं।

बौद्ध धर्म
गौतम बुद्ध द्वारा प्रवर्तित यह धर्म अहिंसा, करुणा और ध्यान पर आधारित है। भारत में यह धर्म सम्राट अशोक के समय में विशेष रूप से फला-फूला।

जैन धर्म
जैन धर्म अहिंसा और आत्मसंयम पर विशेष बल देता है। इसके प्रमुख तीर्थंकर महावीर स्वामी ने सत्य, अहिंसा और अपरिग्रह का संदेश दिया।

सिख धर्म
गुरु नानक देव द्वारा प्रवर्तित यह धर्म भक्ति, सेवा और समानता के सिद्धांतों पर आधारित है।

इस्लाम
इस्लाम 7वीं शताब्दी में भारत में आया और धीरे-धीरे यहाँ की संस्कृति का अभिन्न अंग बन गया। भारत में विभिन्न मुस्लिम शासकों ने शासन किया, और यहाँ इस्लामी परंपराओं का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।

ईसाई धर्म
ईसाई धर्म की भारत में उपस्थिति 1वीं शताब्दी से मानी जाती है, जब सेंट थॉमस भारत आए थे। इसके बाद, यूरोपीय उपनिवेशवाद के दौरान इस धर्म का प्रभाव बढ़ा।

भारतीय संस्कृति की प्रमुख विशेषताएँ
भारत की संस्कृति विभिन्न धर्मों, भाषाओं और परंपराओं का समन्वय है। यहाँ सभी धर्मों के त्योहार मिलकर मनाए जाते हैं, और विभिन्न धार्मिक समुदायों के लोग एक-दूसरे की मान्यताओं का सम्मान करते हैं।

धार्मिक सहिष्णुता
भारतीय समाज में धार्मिक सहिष्णुता की भावना गहराई से रची-बसी है। यहाँ हर धर्म के लोग एक साथ मिलकर कार्य करते हैं और अपने त्योहारों को साझा रूप से मनाते हैं।

सांस्कृतिक विविधता
भारत में हर क्षेत्र की अपनी अलग भाषा, भोजन, परिधान और परंपराएँ हैं, लेकिन फिर भी सभी भारतीय एक साझा सांस्कृतिक धरोहर से जुड़े हुए हैं।

पारिवारिक मूल्य
भारतीय समाज में परिवार को विशेष महत्व दिया जाता है। संयुक्त परिवार प्रणाली यहाँ के सामाजिक ताने-बाने का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

भविष्य की दृष्टि
भारत की विविधता और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को बनाए रखना हम सभी की ज़िम्मेदारी है। हिंदू सभ्यता, जो सहिष्णुता और समावेशिता की प्रतीक है, आने वाले समय में भी इसी रूप में बनी रहेगी, यह हम सभी की आशा है।

निष्कर्ष
हिन्दू कोई धर्म नही है यह एक जीवन जीने की शैली है। हिंदुस्तान (वर्तमान में भारत/इंडिया) के नाम से जाना जाने वाले राष्ट्र में हर धर्म (सनातन (आर्य/अनार्य), बौद्ध, जैन, सिख, मुस्लिम, ईसाई, इत्यादि) का व्यक्ति हिंदू ही है। सिंधु नदी के किनारे बसी और विकसित सभ्यता के लोगो को ही हिन्दू व हिंदुस्तानी कहा जाने लगा। सिंधु से ही हिन्दू का उदय हुआ हुआ है। क्योंकि ‘स’ हो ‘ह’ के रूप में उच्चारण किया जाने लगा जैसे ‘सप्ताह को हप्ताह’ इसके वाद यहां जो भी धर्म का व्यक्ति बसने लगा वह इसी सभ्यता में अपने धर्म के साथ घुलमिल गया और हिंदुस्तानी कहा जाने लगा। हिन्दू एक संस्कृति सभ्यता है जिसमे अनेक धर्म/पंत/समुदाय के लोग यहां बसते है और एक दूसरे के साथ सौहार्द बनाकर रहते है। आशा करता हू यही क्रम शांति पूर्वक क्रियान्वित निरंतर युगों युगों तक चलता रहेगा। हम रहे या ना रहे ये राष्ट्र/देश रहे। अतः “हिंदू” शब्द केवल एक धर्म का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह एक संपूर्ण जीवनशैली है, जो भारत की सभ्यता और संस्कृति को दर्शाता है। यह सहिष्णुता, समावेशिता, और विविधता का प्रतीक है, जिसमें सभी धर्मों और समुदायों के लोग मिल-जुलकर रहते हैं। हमें अपने पूर्वजों द्वारा निर्मित इस महान सभ्यता को बनाए रखना चाहिए और इसे आने वाली पीढ़ियों तक शांति और सौहार्द के साथ पहुँचाना चाहिए। जय हिंद! जय भारत!


डॉ प्रमोद कुमार
डिप्टी नोडल अधिकारी, MyGov
डॉ भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा

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