
रामो विग्रहवान् धर्मः’। श्रीराम धर्म, अर्थ, काम एवं मोक्ष के माध्यम हैं। श्रीराम नाम सकारात्मकता व ऊर्जा से भरपूर है. ‘रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे, रघुनाथाय नाथाय सीतायाः पतये नमः।’ भारत में श्रीराम के बिना कोई कार्य नहीं होता। हमारी दिनचर्या में श्रीराम समाए हैं। समाज में विभिन्न शुभ एवं मांगलिक कार्यक्रमों में रामनाम पाठ, संकीर्तन आदि सम्पन्न होते हैं।
भव्य श्री राममंदिर का निर्माण कार्य प्रगति पर है। प्राण प्रतिष्ठा मंदिर के भवन की नहीं,अपितु
प्रभु की प्रतिमा की होती है। इसलिए जब कोई नई प्रतिमा स्थापित होती है तब उसकी प्राण प्रतिष्ठा होनी चाहिए। भारत में अनेक भव्य मंदिरों का निर्माण कार्य दशकों तक चला। प्रारंभ में स्थापित प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की गई। इसके बाद निर्माण कार्य जारी रहा। अयोध्या का श्री राम मंदिर भी अत्यंत भव्य बनाया जा रहा है। यह कहना उचित नहीं कि भवन की पूर्णता के पहले प्राण प्रतिष्ठा नहीं होनी चाहिए। श्रद्धालुओं को अधिक प्रतिक्षा कराना भी उचित नहीं कहा जा सकता। योगी आदित्यनाथ ने श्रीरामलला मंदिर के मुख्य परिसर में स्थित अन्य मंदिरों में भी गये। जहां विभिन्न देव विग्रहों की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न हुई। श्रीराम दरबार और शेषावतार के साथ जिन मन्दिरों में प्राण प्रतिष्ठा हुई। परकोटा के ईशान कोण पर स्थित शिव मंदिर, अग्निकोण में गणेशजी, दक्षिणी भुजा के मध्य में हनुमानजी, नैऋत्य कोण में सूर्य, वायव्य कोण में मां भगवती के साथ परकोटा की उत्तरी भुजा के मध्य में अन्नपूर्णा माता प्रतिष्ठित हुईं। ये सभी प्रतिमाएं सफेद संगमरमर से निर्मित हैं। इन सभी मंदिरों में प्राण प्रतिष्ठा समारोह वैदिक रीति से संपन्न हुआ। त्रिदिवसीय समारोह के अंतिम दिन प्रातः साढ़े छह बजे से आह्वानित देवताओं का यज्ञमंडप में पूजन प्रारम्भ हुआ जो दो घंटे चला। इसके पश्चात नौ बजे से हवन शुरू हुआ जो घंटे भर चला। बाद में केंद्रीयकृत व्यवस्था के अंतर्गत एक साथ सभी देवालयों में प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान हुआ।