
लखनऊ। देश व प्रदेश आत्मनिर्भर भारत की ओर अग्रसर है। इसका क्षेत्र व्यापक है। इसमें हस्तशिल्प, कुटीर और गृह उद्योग भी शामिल है। रोजगार और स्वरोजगार के लिए भी स्थानीय स्तर के ऐसे उद्योग को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। इसमें सरकार के साथ ही अनेक स्वयंसेवी संस्थाएं भी निरंतर प्रयास कर रही हैं। वोकल फॉर लोकल अभियान के माध्यम से महिलाओं कोडी स्वावलंबी बनाया जा रहा है।
आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को साकार करने में एक जनपद एक उत्पाद योजना बहुत बड़ी भूमिका का निर्वहन कर रहा है। आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को साकार करने के लिए पराम्परागत उद्योग में वोकल फॉर लोकल के इस अभियान को प्राथमिकता पर आगे बढ़ाया जा रहा है। इसके लिए गुणवत्ता पर ध्यान दिया जा रहा है। पराम्परागत उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार की नीति बहुत स्पष्ट है। इन उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए अनेक योजनाएं पहले से लागू की हैं। आत्मनिर्भर पैकेज में प्रधानमंत्री ने एमएसएमई उद्योगों के लिए सरलता से ऋण उपलब्धता की संभव हुई है। इस क्रम में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने लखनऊ के कैसरबाग स्थित सफेद बारादरी में ग्रामश्री एवं ’क्राफ्टरूट्स’ द्वारा आयोजित प्रदर्शनी का उद्घाटन किया था। जिसमें देशभर के पारंपरिक कारीगर अपने उत्कृष्ट हस्तशिल्प का प्रदर्शन किया। वोकल फॉर लोकल’ अभियान ने कारीगरों को नए अवसर प्रदान किए हैं। जिससे न केवल उनकी आजीविका सुरक्षित हो रही है, बल्कि वे अपने परिवारों का भी भरण पोषण कर पा रहे हैं। संस्था की अध्यक्ष अनारबेन पटेल विगत पच्चीस वर्षों के समर्पित भाव से इस दिशा में प्रयास कर रही हैं। कारीगरों के कल्याण के लिए अनेक स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। अनारबेन ने ठीक कहा कि
हस्तशिल्प के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि क्राफ्ट सेक्टर देश में कृषि के बाद सबसे बड़ा रोजगार देने वाला क्षेत्र है। भारत में प्राचीन काल से यह सांस्कृतिक और आर्थिक जीवन का हिस्सा रहा है। भारत को आर्थिक रूप से शक्तिशाली बनाने में इसका उल्लेखनीय योगदान था। प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालयों द्वारा पांच हस्तशिल्प कारीगरों को प्रतिष्ठित डि. लिट. की मानद उपाधि प्रदान करने की सराहना की गई। यह सम्मान पहले केवल पद्मश्री और पद्म विभूषण पुरस्कार विजेताओं को दिया जाता था। कारीगरों की विरासत को संरक्षित करने और उनके उत्कृष्ट कार्य को मान्यता देने वाला एक महत्वपूर्ण कदम है।