
आगरा। “भारत में मशरूम की खेती तेजी से बढ़ रही है। इसके विकास का मुख्य कारण मशरूम के लाभकारी प्रभावों के बारे में लोगों में बढ़ती जागरूकता है। हाल के दिनों में बिहार राज्य में मशरूम की खेती में काफी वृद्धि हुई है। इसकी खेती, किसानों के साथ-साथ इसके वितरण और बिक्री से जुड़े लोगों के लिए भी एक आकर्षक गतिविधि है। किसान मशरूम की कई किस्में उगाकर अच्छी आय अर्जित कर रहे हैं जैसे बटन, ऑयस्टर (ढींगरी), गेनोडर्मा, मिल्की, शिताके, पैडी स्ट्रॉ और कॉर्डिसेप्स (कीड़ाजड़ी)। ये मशरूम प्रोटीन, खनिज और विटामिन जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। इसके अलावा कई मशरूम में औषधीय गुण होते हैं और ये मधुमेह, हृदय की समस्याओं, बीपी, उच्च रक्तचाप, मोटापे और अन्य बीमारियों के इलाज के लिए फायदेमंद होते हैं। मशरूम की खेती में उतरने के इच्छुक किसानों/युवाओं को प्रशिक्षित करने के लिए नाबार्ड और डीईआई, बिचपुरी ब्लॉक के गांवों के किसानों और युवाओं के लिए मशरूम की खेती और उससे जुड़ी गतिविधियों के लिए 7 दिवसीय निशुल्क प्रशिक्षण (सितंबर, 2024) दिया गया। प्रशिक्षुओं को डीईआई तक आने-जाने का किराया भी दिया गया। मौसमी मशरूम की खेती के लिए, नाबार्ड के प्रमुख योगदान से, 8 चुने हुए किसानों की जमीन पर 30 x 16 फीट की झोपड़ियाँ बनाई गईं। नया बैच जुलाई 2025 के मध्य में शुरू किया जा रहा है जिसके लिए रजिस्ट्रेशन चालू है। डॉ. विजय दलाल, कृषि विज्ञान विभाग, डीईआई, दयालबाग, आगरा।