उत्तर प्रदेशलखनऊ

‘शस्त्रपूजन से प्रबल होती है आत्मगौरव और देशरक्षण की भावना’ : डॉ. दिनेश शर्मा

लखनऊ। ‘भारत में शस्त्रपूजन की परंपरा बेहद प्राचीन है। शस्त्रपूजन मन में समाजरक्षण का भाव पैदा करता है। यह हमारे अंतस में आत्मगौरव, आत्मरक्षण और देशरक्षण की भावना प्रबल करता है। क्षत्र अधिपति ही क्षत्रिय कहलाने का अधिकारी है। क्षत्रिय वह है जिनकी वीरांगनाओं और माताओ ने अपने होनहार बच्चों को तिलक लगाकर देशरक्षा के लिए सहर्ष भेज दिया। उक्त बातें गुरुवार को राज्यसभा सांसद पूर्व उपमुख्यमंत्री डॉ.दिनेश शर्मा ने कहीं। वह भारतीय क्षत्रिय समाज, लोक अधिकार मंच एवं ऊर्जस्वी कुलश्रेष्ठ कुटुम्ब की ओर से गोमतीनगर स्थित सीएमएस सभागार में हुए शस्त्र-पूजन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।

डॉ.दिनेश शर्मा ने आगे कहा, ‘राजा श्रीराम आदर्श क्षत्रिय थे, जिन्होंने गिरिजन, परिजन और वनवासी समाज को गले लगाकर अमर्यादित राक्षस दल का विनाश किया, इसलिए वह मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए। ऋषि परशुराम ने यदुवंशी भगवान श्री कृष्ण को सुदर्शन चक्र दिया और क्षत्रिय शिरोमणि भीष्म पितामह को सारे शस्त्र का ज्ञान दिया, इसलिए कटने-बंटने के नैरेटिव से सावधान रहने की जरूरत है।’ प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का आत्मनिर्भर भारत का सपना तब पूरा होगा जब हिंदुओं में एक कुआं, एक शमशान,एक मंदिर रहेगा, जिसमें कोई भेदभाव ना हो। उन्होंने कहा आज भारतीयों का सबसे बड़ा शस्त्र या हथियार तकनीकी और डिजिटल ज्ञान है वह इस योग्यता से संपूर्ण विश्व को पराजित कर सकता है अपने देश को मोदी जी के सपना 2047 तक विकसित राष्ट्र बन सकता है। कार्यक्रम के संयोजक एवं भारतीय क्षत्रिय समाज के अध्यक्ष अनिल सिंह गहलोत ने कहा, ‘क्षत्रिय कोई जाति नहीं, यह धर्म है, जीवनशैली है। जो भी सनातन धर्म का पालन दूसरों के हित रक्षण के लिए करे, वो क्षत्रिय है। न्याय, समन्वय, सद्भाव, राष्ट्रभक्ति आत्मरक्षण तथा धर्म और देश हित यदि शस्त्र उठाना पड़े तो वह भी शास्त्रसम्मत है। शस्त्रपूजन सिर्फ तलवारों का प्रदर्शन मात्र नहीं है, यह परंपरा से जुड़ने का माध्यम है। क्षत्रियों का कुल अतुलनीय है। आपके ही कुल में ही सभी ईश्वरों ने अवतार लिए हैं।’

विशिष्ट अतिथि डॉ.राजेश्वर सिंह ने कहा, क्षत्रिय धर्म की बेहद गौरवशाली परंपरा है। क्षत्रियों को इसे आगे बढ़ाने की जरूरत है। क्षत्रिय वही है जो राष्ट्र और समाज के लिए प्राण-प्रण से समर्पित है। उन्होंने युवाओं से आह्वान करते हुए कहा, ‘शिक्षा ज्ञान और तकनीक से मजबूत बनाएं। आने वाले दौर में डिजिटल साक्षरता बड़ा हथियार बनेगा। युवा डिजिटल दक्ष होंगे, सशक्त होंगे तो नौकरियां खुद खोजते हुए आएंगी।’ उन्होंने आगे कहा, ‘प्रभु श्री राम को काल्पनिक बताया जाना हमारे नींव पर सुनियोजित हमला था। क्षत्रिय समाज अपने आराध्य पर हमला बर्दाश्त नहीं करेगा।’

विशिष्ट अतिथि सदस्य विधान परिषद पवन सिंह चौहान ने कहा, शस्त्रपूजन का संदेश अन्याय, असत्य, अधर्म और अनीति से लड़ने के लिए ग्रहण करना है।’ सदस्य विधान परिषद अंगद कुमार सिंह ने कहा, ‘क्षत्रियों ने आदिकाल से ही समाज के सभी वर्गों का रक्षण किया है। देश और समाज को जब भी जरूरत पड़ी है, क्षत्रियों ने सहर्ष अपने दरवाजे खोल दिए हैं।’ अतिथियों का स्वागत भारतीय क्षत्रिय समाज के राष्ट्रीय संयोजक छेदी सिंह एवं आभार ज्ञापन राष्ट्रीय महासचिव अरविंद कुमार सिंह ने किया।

इस मौके पर राज्य महिला आयोग की सदस्य एकता सिंह, सुविख्यात शिक्षाविद डॉ.एस.के.डी. सिंह, पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह, सेवानिवृत आईएएस अधिकारी एसपी सिंह, भाजपा के क्षेत्रीय उपाध्यक्ष राजीव मिश्र, भारतीय क्षत्रिय समाज के प्रदेश अध्यक्ष पंकज सिंह भदौरिया, प्रदेश महामंत्री विशाल चंद्र शाही, भाजपा नेता प्रदीप सिंह ‘बब्बू’, डॉ.अखिलेश सिंह, प्रधान संघ की अध्यक्ष संयोगिता सिंह चौहान, ऊर्जस्वी कुलश्रेष्ठ कुटुम्ब के संस्थापक डॉ.अतुल मोहन सिंह समेत शिक्षा, चिकित्सा, पत्रकारिता एवं विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े गणमान्य महानुभाव उपस्थित रहे।

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