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ताज ट्रेपेज़ियम ज़ोन (TTZ) नीति में सख्त सुधार समय की मांग पर विद्यार्थियों ने रखें सुझाव

आगरा। दिनांक 27/10/2025 को दयालबाग शैक्षिक संस्थान (डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी), आगरा के विज्ञान संकाय द्वारा एक हिंदी वाद-विवाद प्रतियोगिता का सफल आयोजन किया गया जिसका विषय था “ताज ट्रेपेज़ियम ज़ोन नीति आगरा की वायु गुणवत्ता सुधारने में विफल रही है: समय की मांग है नए सुधार”। इस प्रतियोगिता का उद्देश्य विद्यार्थियों में पर्यावरणीय समस्याओं की वैज्ञानिक समझ विकसित करना, वायु प्रदूषण के वर्तमान परिदृश्य पर चिंतन करना तथा नीतिगत सुधारों के प्रति जागरूकता उत्पन्न करना था।

कार्यक्रम में विज्ञान संकायों के विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और विषय के पक्ष एवं विपक्ष, दोनों दृष्टिकोणों से अपने विचारों और तर्कों को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया। वक्ताओं ने ताजमहल और उसके आसपास के क्षेत्रों में बढ़ते वायु प्रदूषण की समस्या, ताज ट्रेपेज़ियम ज़ोन (TTZ) नीति की सीमाओं, तथा सुधारात्मक कदमों की आवश्यकता पर विस्तार से चर्चा की। वाद-विवाद के दौरान प्रियांशी भारद्वाज ने कहा कि “डीज़ल वाहनों से निकलने वाला धुआँ ताजमहल की दीवारों को पीला कर रहा है, अब समय आ गया है कि TTZ जैसी नीतियों में सख्त सुधार की जाए।” वहीं पायल पांडेय ने कहा कि “ताज अब भी वही है, पर हवा नहीं, और जब हवा बदल जाती है तो इतिहास भी अपना रंग खो देता है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि “अगर हमने आज हवा नहीं बचाई तो कल इतिहास हमें नहीं बचाएगा — नीतियाँ कागज़ पर नहीं, ज़मीन पर असर दिखानी चाहिए।” विपक्ष पक्ष से बोलते हुए अदिति अग्रवाल ने कहा कि “जिस शहर ने ताज को संभाला, वह अपनी हवा को भी संभालना जानता है — यही TTZ की जीत है।” उन्होंने आगे कहा कि “ताजमहल चमक रहा है, TTZ की सफलता अभी रास्ते में है, पर एक दिन यह अवश्य सफल होगी।” वहीं सोनू कुमार ने अपने तर्क में कहा कि “TTZ का मॉडल मुख्यतः पर्यावरण को नियंत्रित कर विरासत की सुरक्षा पर केंद्रित है। इसमें समय लग सकता है, पर परिणाम निश्चित रूप से मिलेंगे।”

कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. रंजीत कुमार द्वारा की गई। निर्णायक मंडल में डॉ. अखिलेश कुमार शुक्ला, डॉ. मंजू श्रीवास्तव, और श्री वैष्णव बरतरिया शामिल रहे, जिन्होंने प्रतिभागियों के तर्क, प्रस्तुतीकरण और भाषा की प्रभावशीलता का मूल्यांकन किया।

कार्यक्रम समन्वयक डॉ रंजीत कुमार ने कहा कि यह प्रतियोगिता केवल तर्क और भाषा का मंच नहीं, बल्कि छात्रों में नीति-विश्लेषण की वैज्ञानिक दृष्टि विकसित करने का अवसर भी है।
डॉ. अखिलेश शुक्ला ने बताया “ताजमहल जैसे विश्व धरोहर स्थल की रक्षा हम सभी की जिम्मेदारी है। छात्रों की सक्रिय भागीदारी से यह स्पष्ट होता है कि नई पीढ़ी इस जिम्मेदारी को भली-भांति समझती है।” डॉ. मंजू श्रीवास्तव ने कहा,
“वाद-विवाद जैसे आयोजन छात्रों की रचनात्मकता और आत्मविश्वास को प्रोत्साहित करते हैं। आज की प्रतियोगिता ने यह सिद्ध किया कि युवा वर्ग सकारात्मक परिवर्तन लाने में सक्षम है।”

यह वाद-विवाद प्रतियोगिता छात्रों में नीति-विश्लेषण की समझ विकसित करने और आगरा की वायु गुणवत्ता सुधारने हेतु ठोस सुझावों पर संवाद की दिशा में एक सार्थक पहल सिद्ध हुई।
श्री वैष्णव बरतरिया ने कहा कि “युवाओं के तर्कों में शोध परक दृष्टिकोण और व्यावहारिक समाधान झलक रहे थे। ऐसे संवाद ही नीति में वास्तविक परिवर्तन लाने का आधार बन सकते हैं।”

प्रतियोगिता में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले प्रतिभागियों को पक्ष (For the Motion) और विपक्ष (Against the Motion) दोनों श्रेणियों में प्रथम एवं द्वितीय पुरस्कार प्रदान किए गए। पक्ष (For the Motion) श्रेणी में प्रथम पुरस्कार प्रियांशी भारद्वाज को तथा द्वितीय पुरस्कार प्रिया पांडेय को प्रदान किया गया। सांत्वना पुरस्कार पायल पांडेय को प्रदान किया गया, जबकि विपक्ष (Against the Motion) श्रेणी में प्रथम पुरस्कार अदिति अग्रवाल को और द्वितीय पुरस्कार सोनू कुमार को प्राप्त हुआ।

इस प्रतियोगिता के संयोजक (Convener) डॉ. रंजीत कुमार रहे, जबकि सह-संयोजक (Co-conveners) के रूप में डॉ. अखिलेश शुक्ला, डॉ. मंजू श्रीवास्तव, और श्री वैष्णव बरतरिया ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। निर्णायक मंडल में डॉ. अखिलेश कुमार शुक्ला, डॉ. मंजू श्रीवास्तव, और श्री वैष्णव बरतरिया ने निर्णायक (Judge) के रूप में कार्य किया। प्रतियोगिता को सफल बनाने में श्री मोहम्मद इक़बाल और श्री विवेक सारस्वत का उल्लेखनीय योगदान रहा।

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