लेख
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स्वाभिमानी किसान को कर्ज नहीं, फ़सल के वाजिब दाम दो
देश का छोटा या बड़ा कैसा भी किसान हो वह परेशान इसलिए है क्योंकि उसको उनकी फसल का उचित दाम…
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बौद्ध धर्म: एक धम्म और लोक कल्याण शासन के रूप में मानव जीवन पद्धति
बुद्ध धम्म एक सार्वभौमिक, मानवीय और व्यावहारिक दर्शन है जो करुणा, अहिंसा, समानता और आत्मज्ञान पर आधारित है। यह केवल…
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गुलामगिरी: दलितों, पिछड़ों और महिलाओं की दुर्दशा का दस्तावेज और वर्तमान परिप्रेक्ष्य में महात्मा ज्योतिबा फुले के विचारों की प्रासंगिकता
भारत का सामाजिक ढांचा प्राचीन काल से ही गहरे जातिगत विभाजन और लैंगिक भेदभाव से ग्रसित रहा है। इस व्यवस्था…
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विकसित भारत: भारतीय ज्ञान परंपरा में संचार अध्ययन की पृष्ठ भूमि
भारतीय ज्ञान परंपराओं ने ऐतिहासिक और आधुनिक दोनों संदर्भों में संचार को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इन…
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“यदि समाज में न्याय नहीं है, तो संविधान कितना भी अच्छा क्यों न हो, वह व्यर्थ है” ‘सामाजिक न्याय’ पर आधारित, डॉ. भीमराव आंबेडकर जी के कथन की वर्तमान में प्रासंगिकता
भारतीय समाज के इतिहास में डॉ. भीमराव आंबेडकर का स्थान अत्यंत गौरवपूर्ण है। वे केवल संविधान निर्माता नहीं थे, बल्कि…
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बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR): ज्ञान और विचार की कानूनी संरक्षण संस्था
21वीं सदी को ज्ञान और सूचना की सदी कहा जाता है। आज के वैश्विक युग में किसी भी राष्ट्र की…
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बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर: भारत में बौद्ध धम्म के पुनर्स्थापक, धर्मानुयायी और धर्मनिष्ठ
बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर भारतीय इतिहास की एक विलक्षण और प्रेरणादायक विभूति हैं। उन्होंने न केवल दलितों और शोषितों…
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बौद्ध सत्य, भारतरत्न, भारतीय संविधान के शिल्पकार, आधुनिक भारत के निर्माता व आधुनिक समाजिक क्रांति के अग्रदूत, दलितों (महिला, मजदूर व सामाजिक पिछड़े लोग) के मसीहा बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर जी की दिनचर्या: एक प्रेरणास्पद जीवनचर्या का दस्तावेज
भारत के इतिहास में कुछ व्यक्तित्व ऐसे हैं जिनकी जीवनी केवल उनके जीवन की कहानी नहीं होती, बल्कि वह आने…
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“भीमराव रामजी आंबेडकर जी को बौद्ध सत्य, भारतरत्न, आधुनिक भारत के निर्माता व भारतीय संविधान के शिल्पकार बाबा साहेब डॉ भीमराव रामजी आंबेडकर बनाने में उनकी अर्दांगिनी माता रमाबाई जी का अमूल्य सहयोग, समर्पण, त्याग, प्रेम और बलिदान”
भारतीय इतिहास में डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर एक ऐसी विभूति हैं, जिन्होंने सामाजिक न्याय, समानता और मानवाधिकारों की लड़ाई को…
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समतामूलक और सत्यशोधक समाज की स्थापना: महात्मा ज्योतिराव फुले का आधुनिकसामाजिक क्रांति केअग्रदूत के रूप में आंदोलन
भारत में सदियों से चली आ रही जातिवादी व्यवस्था ने समाज को ऊँच-नीच, छुआछूत, और असमानता की जंजीरों में जकड़…
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दलित ब्राह्मण: एक सामाजिक आत्मकथा
प्रिय पाठकों! ब्राह्मण! सुनते ही आपके दिमाग में एक ऐसा चित्र उभरता है – माथे पर तिलक, हाथ में जनेऊ,…
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