
गलियारों का द्वंद
इन गलियारों में कैसा है यह द्वंद
सतमार्ग पर चलना,
जिसकी जिद है व्यथित हुआ वह व्यर्थ।
अट्टहास उस ओर हो रहा,
धन वैभव मदमस्त,
उदासीन उपेक्षित
हम हैं,
फिर भी मर्यादा संबल।।
गलियारों का द्वंद
इन गलियारों में कैसा है यह द्वंद
सतमार्ग पर चलना,
जिसकी जिद है व्यथित हुआ वह व्यर्थ।
अट्टहास उस ओर हो रहा,
धन वैभव मदमस्त,
उदासीन उपेक्षित
हम हैं,
फिर भी मर्यादा संबल।।