राजनीतिलेखसम्पादकीय

तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवथा बनेगा भारत

राकेश कुमार मिश्र

आजकल अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप रोजअजीबोगरीब बयान दे रहे हैं और अमेरिका फस्ट की नीति पर चलने के तहत अनाप शनाप टैरिफ लगाने की घोषणा विश्व के अन्य राष्ट्रों के लिए कर रहे हैं। एक लम्बे समय से उनका प्रयास रहा है कि भारत भी जल्दी अमेरिका के साथ व्यापार समझौता उनकी शर्तों पर करे। भारत का कहना है कि कोई भी व्यापार समझौता अमेरिका के साथ भारतीय हितों को ध्यान में रखते हुए ही किया जाएगा और भारत व्यापार समझौता पर कोई निर्णय लेने के लिए किसी जल्दबाजी में नहीं है। कई वार्ताओं के दौर के बाद भी अभी तक सहमति नहीं बन पाई है। जैसा सुनने में आया है कि अमेरिका भारत पर यह दबाव बना रहा है कि भारत अपने कृषि, पशुपालन एवं फार्मास्युटिकल क्षेत्रों को भी उसके लिए खोले। भारतीय दल ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह किसानों एवं सामान्य नागरिकों के हित को देखते हुए ऐसा नहीं कर सकता। सरकार का यह स्पष्ट मत है कि वह व्यापार समझौते के लिए राष्ट्रीय हितों एवं जनमानस की अनदेखी नहीं कर सकती। इसी बात से रुष्ट होकर राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत पर 1अगस्त से 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने और रूस से तेल खरीदने के कारण पेनाल्टी लगाने की घोषणा कर दी है। ट्रंप ने कहा है कि भारत बड़े पैमाने पर अमेरिका को निर्यात करता है जबकि ऊंची टैरिफ दरों के कारण अमेरिका का भारत को निर्यात बहुत कम है और अमेरिका का घाटा हो रहा है। यह बात सही भी है और किसी भी राष्ट्र के मुखिया को यह चिन्ता करने का एवं तदनुसार कदम उठाने का अधिकार है। भारत इसे दृष्टिगत रखते हुए ऐसे उत्पादों पर टैरिफ घटाने के लिए तैयार है जिनसे किसानों एवं सामान्य नागरिकों के हित प्रभावित न हों। अपने स्वभाव के अनुरूप एवं बड़बोलेपन की आदत के कारण कल ही उन्होंने बयान दिया कि भारत एवं रूस की अर्थव्यवस्था मृत है और ये कहीं भी जाकर डूबें, उन्हें इसकी चिंता नहीं है।ट्रंप ने यह भी कहा कि मोदी दोस्त हैं परन्तु वे ब्रिक्स जैसे अमेरिका विरोधी संगठन के सदस्य हैं। ट्रंप यह भूल गए कि भारत एक लम्बे समय से ब्रिक्स का सदस्य है और तब भी था जब वो मोदी को अपने चुनाव प्रचार में बुलाकर हाउदी मोदी करवाते थे और मंच पर ही मोदी को गले लगाते थे और मोदी की तारीफ़ के पुल बांधते थे। भारत को मृत अर्थव्यवस्था कहने के विषय में यही कहा जा सकता है कि उनके इस बयान पर शायद ही कोई सहमत हो क्योंकि भारत आज विश्व की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था है और कुछ ही वर्षों में अमेरिका एवं चीन के बाद विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर अग्रसर है। यही नहीं भारत पिछले कई वर्षों से विश्व की सबसे तेज बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है और परसों ही आई एम एफ ने बताया कि भारत इस वर्ष 6.4 की वृद्धि दर प्राप्त करेगा जो विश्व में सर्वाधिक होगी जबकि विश्व की वृद्धि दर 3.0 प्रतिशत ही रहेगी। अमेरिका की वृद्धि दर मात्र 1.8 रहने का अनुमान है। भारत विश्व के कई देशों को लगभग 22 हजार करोड़ के रक्षा उत्पाद निर्यात कर रहा है और काफी हद तक रक्षा उत्पादोंं के मामले में आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ रहा है। देश के नागरिक एवं सत्ताधारी दल के साथ अनेक विपक्षी नेताओं ने भी राष्ट्रपति ट्रंप के इस बयान का विरोध किया है। यह देश का दुर्भाग्य है कि लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने तत्काल एक पत्रकार के ट्रंप द्वारा दिए बयान पर सवाल के जवाब में कहा कि आप नहीं जानते कि मोदी के शासन में भारतीय अर्थव्यवस्था मर चुकी है, इसमें राष्ट्रपति ट्रंप गलत क्या कह रहे हैं। तथ्यता से परे एवं भारत के लिए दिए गए इस अपमानजनक बयान पर भी राहुल गांधी झूठे, बड़बोले एवं पल भर में अपनी ही बात से पलटी मारने वाले ट्रंप के बयान को खारिज करने के स्थान पर उनके सुर में सुर इसलिए मिलाते हैं कि मोदी के विरोध में यह मुद्दा बनेगा, भले ही वह बयान कितना भी राष्ट्रविरोधी एवं देश के लिए अपमानजनक हो। प्रधानमन्त्री पद की तीव्र लालसा रखने वाले एवं लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी के साथ यही दिक्कत है कि वो मोदी के विरोध में किसी के साथ भी खड़े दिखते हैं। राष्ट्रपति ट्रंप की नाराजगी तो फिर भी समझ में आती है कि उनकी अपेक्षा के अनुरूप मोदी व्यापार समझौता करने पर राजी नहीं हैं और भारत पाक युद्ध विराम के उनके दावे को संसद तक में खारिज कर चुके हैं परन्तु नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के द्वारा उनके ऊल जुलूल बयानों के साथ खड़ा होना हास्यास्पद एवं पद की गरिमा के अनुरूप नहीं है। राजीव शुक्ला, शशि थरूर, प्रियंका चतुर्वेदी एवं अनेक विपक्षी नेताओं ने खेलकर राष्ट्रपति ट्रंप के बयान की निंदा की है। जहाँ तक टैरिफ की बात है, आज ही ट्रंप ने अपने निर्णय को एक सप्ताह के लिए टाल दिया है। ट्रंप भी समझ रहे हैं कि मोदी के नेतृत्व में भारत को झुकाना आसान नहीं है। व्यापार समझौते के लिए भारत और अमेरिका के बीच बातचीत जारी है और हमें उम्मीद रखनी चाहिए कि भारत राष्ट्रहितों को सर्वोच्च रखते हुए और अपने रुख पर कायम रहते अमेरिका के साथ एक सम्मान जनक समझौता करेगा। राहुल गांधी एवं विपक्षी नेताओं की भी समझ में यह बात आ जाय तो यह राष्ट्र हित में होगा।

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