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LU- राजनीति शास्त्र विभाग की कार्यशाला, जम्मू-कश्मीर व लद्दाख में सुधारों का लाभ 

डॉ दिलीप अग्निहोत्री 

लखनऊ. राजनीतिशास्त्र विभाग,लखनऊ विश्वविद्यालय,लखनऊ एवं जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वाधान में दो दिवसीय कार्यशाला का समापन हुआ. इसमें ’’जम्मू कश्मीर और लद्दाख की समझः रुझान और प्रवृत्तियाँ’’ विषय व्यापक मन्थन किया गया. कार्यशाला की संयोजक प्रो मनुका खन्ना, विभागाध्यक्ष, राजनीतिशास्त्र विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ ने सभी आगंतुकों के प्रति 
धन्यवाद ज्ञापन किया. कार्यशाला में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख पर व्यापक शोध की संभावनाओं को भी रेखांकित किया गया. इसके साथ ही विद्यार्थियों को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख पर शोध के लिए प्रेरणा भी दी गई. अनुच्छेद 370 की समाप्ति और संवैधानिक सुधार के बाद व्यापक परिवर्तन परिलक्षित है. यह भी कहा गया कि अभी इस दिशा में कई प्रयास करने होंगे. 
डॉ प्रीति शर्मा, स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज, गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय द्वारा भू-राजनीतिक महत्व एवं जम्मू कश्मीर में अन्तर्राष्ट्रीय शक्तियों की भूमिका विषय पर अपना व्याख्यान दिया गया. डॉ अजय कुमार, कश्मीर अध्ययन केन्द्र, हिमाचल प्रदेश केन्द्रीय विश्वविद्यालय,धर्मशाला ने जम्मू कश्मीर और लद्दाख में हो रहे परिवर्तनों का उल्लेख किया. यह बताया कि इन परिवर्तनों और सुधारों का यहां के लोगों को लाभ मिल रहा है. शान्ति स्थापित हो रही है. डॉ शिखा चौहान, राजनीतिशास्त्र विभाग द्वारा जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख पर शोध पद्धति
पर विचार व्यक्त किया. विद्यार्थियों को इसका लाभ हो सकता है.  समापन सत्र की अध्यक्षता राजनीतिशास्त्र विभाग के प्रो संजय गुप्ता ने की.  इस सत्र में शोधार्थियों से जम्मू कश्मीर और लद्दाख विषय पर शोध से सम्बन्धित विभिन्न विषयों को लेकर प्रश्नोत्तरी की गयी साथ ही शोध से सम्बन्धित प्रश्नों पर विषय विशेषज्ञों ने अपने विचार प्रस्तुत किये। समापन उद्बोधन में श्री आशुतोष भटनागर ने कहा कि जम्मू कश्मीर और लद्दाख में बड़ा परिवर्तन आया है। जम्मू कश्मीर और लद्दाख की शेष भारत के साथ पूरी तरह एकात्मता स्थापित हो यह सभी की इच्छा है। इसके दृष्टिगत 
नीतियों और प्रक्रिया में शोधार्थियों का बड़ा योगदान हो सकता है। वे अपने शोध को इस तरह प्रस्तुत करें कि उनके आधार पर भविष्य की नीतियों का निर्माण हो सके।
    कार्यशाला के संगठन सचिव प्रो राघवेन्द्र प्रताप सिंह थे. संचालन डॉ शिखा चौहान ने किया. 
कार्यशाला की सफ़लता में प्रो कमल कुमार, प्रो संजय गुप्ता, प्रो कविराज,डॉ अमित कुशवाहा, डा राजीव सागर, डा माधुरी साहू, डा अनामिका, डा जितेन्द्र कुमार, डॉ दिनेश कुमार, डा तुंगनाथ मुआर ने योगदान दिया.

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