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चलो मतदान करें

दिनेश अगरिया

लोकतंत्र का आया मेला,  उत्सव ये भारी अलवेला।
रंग बिरंगी माया इसकी,  नुक्कड़ नाटक रैली रैला।।

कुर्सी की ये जिम्मेदारी, लोकतंत्र में हिस्सेदारी। 
सोच समझ कर सौंपगे हम, जनजन की ये भागीदारी।।

राष्ट्र के हित मतदान कराये, घर से सभी निकल कर आएं।
नही कोई अपराध किया हो, ऐसा व्यक्ति चुनकर लाएं।।

लालच कोई कैसा भी दे, भाषण चाहे जैसा भी दे।
नही गिरे ईमान किसी का, चाहे कोई पैसा भी दे।।

कुछ बोलेंगे परखो हमको,  नहीं निराश करेंगे तुमको।
दर्द निवारण की बोलेंगे, सेवा की इच्छा है हमको।।

खाएँगे सौंगन्ध तुम्हारी,  लेंगे ना सुविधा सरकारी।
जवाबदेही सबके प्रति होगी, अग्नि परीक्षा है यह हमारी।।

नाली खुद वे साफ करेंगे, सड़को के गड्ढे भर देंगे।
राशन सबके घर पहुंचाए,  ऐसी सुविधा भी कर देंगे।।

मदिरा पान भी करवाएंगे,  रात और दिन ये बहकाएंगे।
सभी मांग मानेंगे सभी की, विजय बाद नही मिल पाएंगे।।

हथकण्डे सब अपनाएँगे, पड़ी जरूरत धमकाएँगे।
लेकिन अडिग बने रहना तुम, नॉट भी खुलकर बटवाएंगे।।

तनिक बुद्धि में बात बिठाओ,  देश के हित में कदम उठाओ।
पड़े चरण में कोई कितना,  लालच में तुम ना आ जाओ।।

वोट की चोट को जानो भाई, अवसर ये पहिचानो भाई।
अगर चूक हुई इस बारी तो, ना होगी फिर ये भरपाई।। 

सुबह सवेरे निकलो घर से, मत का दान करो ह्रदय से।
लोकतंत्र के हम सब प्रहरी,  कर्तव्य निभाओ अपना फिर से।।

घर घर जाकर बतलाना तुम, एक एक को समझाना तुम।
जाति पाँति से ऊपर उठकर,  मति से मत को मिलवाना तुम।।

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