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Online पढ़ाई करने में बच्‍चों को हो रही है काफी परेशानी, सवाल पूछने में भी होती है झिझक: NCERT Survey

NCERT Survey आज भी कुल 51 फीसदी बच्‍चों को ऑनलाइन चीजों को सीखने में परेशानी होती है जबकि 28 फीसदी सवाल पूछने से कतराते हैं। NCERT का यह सर्वे बच्‍चों के मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य पर आधारित था जिसमें उनसे कई तरह के सवाल पूछे गए।

नई दिल्‍ली, जागरण डिजिटल डेस्‍क। कोरोना वायरस महामारी (Corona Virus) ने दुनिया में लोगों के जीवन-यापन के तरीकों और उनके रहन-सहन को काफी बदल दिया है। कई नई चीजें हमारी जिंदगी का हिस्‍सा बन गया है। इनमें से कुछ को बदलते वक्‍त के साथ हमने अपना लिया है और कुछ के साथ ढलने में हमें अभी भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इनमें से एक है बच्‍चों के लिए ऑनलाइन क्‍लास (Online Classes) की समस्‍या।

 

शुरू-शुरू में बच्‍चों को इसे सीखने-समझने में काफी दिक्‍कतें आई और समस्‍या अब भी बरकरार है। NCERT (राष्‍ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद) ने हाल ही में एक सर्वे कराया जिसमें कई नई चीजें खुलकर सामने आईं।

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सर्वेक्षण में खुलासा हुआ कि कुल 51 फीसदी बच्‍चों को आज भी ऑनलाइन चीजों को सीखने में परेशानी होती है, जबकि 28 फीसदी सवाल पूछने से कतराते हैं।

बता दें कि NCERT के मनोदर्पण प्रकोष्‍ठ ने जनवरी से लेकर मार्च, 2022 तक यह सर्वे कराया जिसमें 36 राज्‍यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कुल 3.79 लाख विद्यार्थियों को शामिल किया गया। सर्वेक्षण में कक्षा 6 से लेकर 8 और 9 से लेकर 12वीं कक्षा तक के विद्यार्थियों से सवाल पूछे गए।

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बच्‍चों के मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य और उनकी भलाई पर आधारित इस सर्वेक्षण से पता चला कि कम से कम 73 फीसदी बच्‍चे अपनी स्‍कूल लाइफ से खुश हैं, जबकि 45 इससे संतुष्‍ट नहीं हैं। इनमें से 33 फीसदी बच्‍चे ऐसे हैं जिन्‍हें अपने मित्रों के समूह के दबाव का भी सामना करना पड़ता है।

मंगलवार को जारी इस सर्वे रिपोर्ट में कहा गया, कक्षा आठ के बाद जैसे ही बच्‍चे सेकेंडरी स्‍टेज पर पहुंचते हैं उन्‍हें अपनी स्‍कूल लाइफ और निजी जीवन में कई चीजों का सामना करना पड़ता है। इस स्थिति में उनकी संतुष्टि के स्‍तर में गिरावट देखी गई है।

इस दौर में बच्‍चों को बोर्ड एग्‍जाम का डर रहता है, रिश्‍तों के प्रति उनकी संवेदनशीलता बढ़ जाती हैहै, दोस्‍तों का दबाव रहता है, आगे आने समय के लिए करियर की चिंता रहती है, तो कुल मिलाकर ये काफी उलझे रहते हैं।

सर्वेक्षण के मुताबिक, सेकेंडरी स्‍टेज के करीब 81 फीसदी बच्‍चों में तनाव की अधिक मात्रा पाई गई है। ये हमेशा एग्‍जाम, रिजल्‍ट, मार्क्‍समार्क्‍स को लेकर अधिक सोचते रहते हैं।

सर्वेक्षण में शामिल विद्यार्थियों में से 43 फीसदियों ने माना कि उन्‍हें नई चीजें सीखने में अधिक परेशानी नहीं होती है। इसमें कक्षा छह से आठवीं तक के विद्यार्थियों की संख्‍या सेकेंडरी स्‍कूल वालों से अधिक रही जो क्रमश: 46 और 41 फीसदी है।

jagranबता दें कि इस सर्वेक्षण में उत्‍तरदाताओं की गोपनीयता का बहुत अच्‍छे से ख्‍याल रखा गया। बच्‍चों की इन्‍हीं समस्‍याओं के समाधान के लिए योगाभ्‍यास और मेडिटेशन को कारगर बताया गया।

 

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