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मुख्यमंत्री के माथे का कलंक हैं मणिपुर की घटना : ठाकुर संजीव कुमार सिंह

संजय सागर

.यूपी। मणिपुर में युवतियों के साथ हुई अमानवीय शर्मसार कर देने वाली घटनाओं से समूचा देश उन दरिंदों के प्रति आक्रोशित हो उठा है साथ ही मणिपुर सरकार के ढुलमुल रवैया से भी लोगों की नाराज़गी सड़क से संसद तक दिखाई देने लगा है। हैवानों के इस कृत्य से 140 करोड़ देशवासियों को शर्मसार होना पड़ रहा है। दो बेकसूर महिलाओं को बेशर्मी से निर्वस्त्र करके घुमाने का भयानक वीडियो देखकर पूरा देश गुस्से से उबल रहा है। पूरा देश शर्मसार है। लोग खून के आंसू रो रहे हैं। इस तरह की हरकत करने वाले वहशियों हैवानों को पकड़कर सरेआम फांसी पर लटकाने की और मणिपुर के मुख्यमंत्री को हटाने की मांग कर रहे हैं।

इस सन्दर्भ में राष्ट्रीय नेता ठाकुर संजीव कुमार सिंह ने कहा कि मणिपुर की दिल दहला देने वाली घटनाओं ने विश्व में भारत को शर्मशार कर दिया है। 21वीं सदी में भी एक महिला के साथ इस तरह की बर्बरता की गयी है। हैवानों के इस कृत्य से 140 करोड़ देशवासियों को शर्मसार होना पड़ रहा है। दो बेकसूर महिलाओं को बेशर्मी से निर्वस्त्र करके घुमाने का भयानक वीडियो देखकर पूरा देश गुस्से से उबल रहा है, पूरा देश शर्मसार है, लोग खून के आंसू रो रहे हैं।
मणिपुर की इस घटना से सिर्फ मणिपुर ही नहीं पूरे भारत वर्ष को शर्मशार किया है।मणिपुर का वायरल वीडियो बहुत ही दुखद है। महिला हो या पुरुष, इंडिया में किसी के साथ इस तरह का व्यवहार अस्वीकार्य है। ये घटना देश के सभी लोगों के लिए शर्म की बात है। मणिपुर में अनवरत जारी हिंसा व तनाव से पूरा देश चिंतित है और महिला के साथ अभद्रता की ताजा घटना शर्मसार करने वाली है। इस घटना ने पूरे देश को शर्मसार किया है। पाप करने वाले कितने हैं, कौन हैं वो अपनी जगह है, पर बेइज्जती पूरे देश की हो रही है। 140 करोड़ देशवासियों को शर्मसार होना पड़ रहा है। ये सारी बातें देश को शोभा नहीं देतीं और देश के ख़िलाफ़ हैं। मणिपुर में महिलाओं के साथ हुई अमानवीय घटना हैं। मोदी ज़ी मणिपुर की महिलाओं के लिए न्याय सुनिश्चित करें। यह अत्यंत शर्मनाक और निंदनीय है। मणिपुर में मानवता मर गई। मणिपुर जल रहा है, देश कभी भी मणिपुर के मुख्यमंत्री को माफ नहीं कर पाएगा। मणिपुर में महिलाओं के साथ हैवानियत हुई है। इससे हम सबका सिर शर्म से झुक गया हैं। मणिपुर में महिलाओं पर अत्याचार बढ़ रहा है और महिलाएं कहीं सुरक्षित नहीं हैं। इसलिए मणिपुर के मुख्यमंत्री को तो तत्काल इस्तीफा दे देना चाहिए। मणिपुर में हुए महिलाओं के साथ शर्मनाक घटना को लेकर मणिपुर के मुख्यमंत्री को बर्खास्त कर देना चाहिए। मणिपुर में युवतियों के साथ हुई अमानवीय शर्मसार कर देने वाली घटनाओं से समूचा देश उन दरिंदों के प्रति आक्रोशित हो उठा है साथ ही मणिपुर सरकार के ढुलमुल रवैया से भी लोगों की नाराज़गी सड़क से संसद तक दिखाई देने लगा है। महिलाओं का बलात्कार हो रहा है, उन्हें निर्वस्त्र घुमाया जा रहा हैं। मणिपुर की सरकार हर मोर्चे पर फेल हो गई है। जिस तरह की घटना मणिपुर में महिलाओं के साथ हुई है, वह बहुत ही शर्मनाक है। मणिपुर के वीडियो में दिख रहें हैवानों को मृत्युदंड मिलना चाहिए। मणिपुर में हिंसा ख़त्म करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ज़ी सख्त कदम उठाये। महिलाओं के इज्जत व सम्मान की बात करने वाली इस सरकार में जब इनकी इज्जत नही बच पा रही है,तो मुख्यमंत्री एन वीरेन सिंह को तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए। वहीं,नारी का अपमान करने वालों को मृत्युदंड देने की जरूरत है। मणिपुर की जनता को न्याय नही मिला तो हम न्याय के लिए फिर सड़क पर प्रदर्शन करेंगे। मणिपुर के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह को तत्काल हटाया जाए। उनके रहते हिंसा प्रभावित राज्य में शांति संभव नहीं है। जिसके बिना मणिपुर में शांति और सामान्य स्थिति की दिशा में कोई प्रगति नहीं हो सकती है। मणिपुर राज्य सरकार प्रभावी शासन प्रदान करने में बुरी तरह विफल रही है जब इसकी सबसे अधिक आवश्यकता थी। उन्होंने देश के लोगों से माफी मांगी चाहिए। मुख्यमंत्री को तुरंत बदला जाना चाहिए और प्रभावित लोगों के लिए राहत, पुनर्वास, पुनर्वास और आजीविका का पैकेज बिना देरी किए तैयार किया जाना चाहिए। घोषित राहत पैकेज पूरी तरह अपर्याप्त है। मणिपुर में 80 दिनों से गृह युद्ध छिड़ा है। हम कहां जा रहे हैं। पूरा मणिपुर अस्त-व्यस्त हो गया है। मणिपुर में आदिवासी महिलाओं को लेकर जारी वायरल वीडियो से भारत का मस्तक झुक गया है।

जिस महिला के साथ गैंगरेप हुआ, मैंने सुना कि उनके सामने ही उनके पिता और भाई की हत्या कर दी गई। ये सारी बातें देश को शोभा नहीं देतीं और देश के ख़िलाफ़ हैं। जब सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी दी और मीडिया में ये खबर प्रकाशित हुई तब जाकर वहां के मुख्यमंत्री बोल रहे हैं। 70 दिनों से जब तक इंटरनेट बैन था तब ये बातें छुपी हुई थीं। ये घटना देश के सभी लोगों के लिए शर्म की बात है। वहां की सरकार को बर्ख़ास्त कर राष्ट्रपति शासन लगाना चाहिए। मणिपुर में वहां के मुख्यमंत्री ने इंसानियत की जगह हैवानियत का निर्माण किया है और मणिपुर के हालातों की सही जानकारी नहीं दी अपनी मनमानी करते रहे। उनकी गुनाहों का सारा दोष अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर  जाता जा रहा है। मणिपुर जल रहा है, महिलाओं का बलात्कार हो रहा है, उन्हें निर्वस्त्र घुमाया जा रहा हैं। जिस महिला के साथ गैंगरेप हुआ, मैंने सुना कि उनके सामने ही उनके पिता और भाई की हत्या कर दी गई। न्याय हित में सबसे पहले मणिपुर के मुख्यमंत्री को हटाया जाएगा। महिलाओं के खिलाफ वायरल वीडियो दिल दहला देने वाली है। मणिपुर के मुख्यमंत्री का नारी शक्ति का दावा खोखला साबित हो रहा है।राज्य खुद की नाकामियों के लिए दूसरों को जिम्मेदार ठहराने की बजाय मणिपुर के मुख्यमंत्री को देश को बताना चाहिए कि मणिपुर में हुआ क्या है? मणिपुर के मुख्यमंत्री का तत्काल इस्तीफा लिया जाए और राष्ट्रपति शासन लगाया जाए। मणिपुर हिंसा को 78 दिन, जबकि महिलाओं को नग्न करके घुमाने और कथित तौर पर दुष्कर्म की भयावह घटना को 77 दिन हो गए हैं। मणिपुर के कुकी-ज़ोमी समुदाय से आने वाली दो महिलाओं को मैतेई बहुल थोबल ज़िले में निर्वस्त्र कर परेड कराने का वीडियो वायरल हुआ हैं। ये घटना चार मई को हुई थी। इनमें से एक महिला के साथ कथिप रूप से गैंगरेप भी किया गया।

ताजुब्ब होता है कि 80 दिनों से मणिपुर जल रहा है और वहां के मुख्यमंत्री कुछ नहीं कर रहें हैं। सेकड़ों लोग मारे जा चुके हैं। मणिपुर में बिखराव ही बिखराव नजर आ रहा है। मणिपुर का ताजा हालात देश के काला इतिहास में दर्ज हो गया। इसकी जितनी भी निंदा की जाए कम है। लोकतंत्र में इस तरह की घटनाओं की कोई जगह नहीं हैं। इसलिए मणिपुर के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह को तत्काल हटाया जाए। उनके रहते हिंसा प्रभावित राज्य में शांति संभव नहीं है। जिसके बिना मणिपुर में शांति और सामान्य स्थिति की दिशा में कोई प्रगति नहीं हो सकती है। वीडियो देखकर सभी सन्न रह गए, समझ में नहीं आया कि ऐसा कैसे हो सकता है। कोई इंसानियत को इस तरह कैसे तार-तार कर सकता है। मणिपुर सरकार ने पहले ही अपराधियों को पकड़ने के लिए कोई भी कदम नहीं उठाए? अगर मणिपुर सरकार कदम उठाने में नाकाम रही होती तो मणिपुर नहीं जलता। मणिपुर के मुख्यमंत्री को अपने किये गये फेसलों पर शर्म आनी चाहिए लेकिन दुसरो पर कीचड उछाल कार अपने माथे पर लगे कलंक को मिटा नहीं सकते। उन्होंने अपने माथे पर ही नहीं देश के माथे पर कलंक लगा दिया हैं। इसके लिए उन्हें देश कभी माफ नहीं करेगा। मैंने भी वीडियो देखा है। उसके बाद जो गुस्सा, दुख और पीड़ा मेरे दिल ने महसूस की, उसे शब्दो में बयान करना मुश्किल है। आंखों में आंसू थे और शरीर में सिहरन, इस घटना ने आत्मा पर चोट पहुंचाई। मणिपुर में दो महिलाओं को हत्या की धमकी देकर सरेआम कपड़े उतारने पर मजबूर किया गया। फिर सैकड़ों लोगों की भीड़ के सामने 21 साल की लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार हुआ। ये सब 4 मई को हुआ, ढाई महीने पहले, अब उसका वीडियो सामने आया क्योंकि मणिपुर में इंटरनेट बंद था। 78 दिन तक पुलिस सोई रही। अगर ये वीडियो सामने न आता तो क्या मणिपुर की सरकार और पुलिस कुछ न करती, वीडियो सामने आया तो कुछ ही घंटों के भीतर पुलिस ने चार आरोपियों को कैसे पकड़ लिया।

वीडियो में अपराधियों के चेहरे साफ-साफ दिख रहे हैं, पहचाने जा सकते हैं। सैकड़ों स्थानीय लोगों की भीड़ थी। इस तरह की घटना के बाद क्या मुख्यमंत्री को एक पल के लिए भी कुर्सी पर बैठने का हक नहीं है। अपराधियों को इतने दिनों तक पुलिस ने क्यों खुलेआम घूमने दिया? मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि उन्हें वीडियो से घटना की जानकारी मिली, ये सफेद झूठ है। ये मामला इंसनियत की हत्या का है, समाज के लिए कलंक है, देश को शर्मसार करने वाला है। मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह इस वक्त भी सच को छुपा रहे हैं, गलतबयानी कर रहे हैं। ये घटना 4 मई को हुई, उसके 14 दिन के बाद 18 मई को इसकी शिकायत पुलिस से की गई,  पुलिस ने कुछ नहीं किया।  घटना के 48 दिन के बाद यानी 21 जून को पुलिस ने इस मामले में FIR दर्ज की, उसके बाद भी पुलिस ने आरोपियों को नहीं पकड़ा। घटना के 77 दिन के बाद यानि 19 जुलाई को ये वीडियो अचानक पूरे देश में फैला। प्रधानमंत्री ने नाराज़गी जाहिर की,  तब पुलिस एक्शन में आ गई और कुछ ही घंटों में मख्य आरोपी को पकड़ लिया। इसलिए अगर एन. बीरेन सिंह ये कह रहे हैं कि उन्हें पता नहीं था, तो ये सिर्फ अपनी कुर्सी बचाने के लिए बोला गया झूठ है, इसके सिवाय कुछ नहीं, लेकिन हैरानी इस बात की है कि आज भी एन बिरेन सिंह गलती मानने को तैयार नहीं हैं। ये बिल्कुल साफ़ है कि बीरेन सिंह को सब पता था, मुख्यमंत्री मणिपुर को बचाने की बजाय, अपनी कुर्सी बचाने में लगे थे। मणिपुर की निर्दोष बेटियों को बचाने के बजाय, अपनी सत्ता की गोटियां बिठाने में व्यस्त थे। ऐसा कैसे हो सकता है कि इतनी भयानक घटना हो जाए और पुलिस FIR दर्ज करे और मुख्यमंत्री को पता भी न चले और अगर वाक़ई में मुख्यमंत्री को पता नहीं था,तो मणिपुर में सरकार कौन चला रहा हैं।वीडियो आने के बाद पता चला, तो ये तो और भी शर्म की बात है। अगर बीरेन सिंह के प्रशासन का ये हाल है, तो उन्हें एक पल भी अपने पद पर बने रहने का अधिकार नहीं है।मणिपुर में जो हुआ, वो इतना दर्दनाक, इतना अमानवीय है कि वो राजनीतिक दांव-पेंच खेलने का विषय तो नहीं होना चाहिए। सियासत के लिए बहुत सारे मुद्दे मिल जाएंगे लेकिन मणिपुर की दुखदायी घटना तो पूरे सिस्टम की विवशता पर सवाल उठाती है।

अगर मोबाइल कैमरे में ये घटना क़ैद न हुई होती, तो ये भयानक सच इतिहास के किसी पन्ने में दफ़न हो जाता। अगर मणिपुर में इंटरनेट बंद न होता, तो शायद दिल को चीरने वाली ये तस्वीरें, दो महीने पहले बाहर आ जातीं। मणिपुर में हमारी बेटियों के साथ दरिंदगी के गुनहगार, कई हफ़्तों पहले पकड़ लिए गए होते। अगर पुलिस इस केस पर पर्दा डालने की कोशिश न करती, पुलिस ने आज जो एक्शन लिया वो आठ हफ़्ते पहले ले लेती, अगर मुख्यमंत्री अपनी कुर्सी बचाने के चक्कर में पर्चियां न फड़वा रहे होते लेकिन इस बात से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि शर्मनाक घटना दो महीने पहले हुई, या दो महीने बाद वीडियो में अपराधी साफ़ दिखाई दे रहे हैं। सारे देश की भावना तो ये है कि उन्हें ऐसी सज़ा मिले, जो इस तरह के कुकृत्य करने वाले अपराधी के दिल में ख़ौफ़ पैदा कर दे। ऐसा डर पैदा कर दे कि इसके बाद ऐसा वीभत्स कांड करने की, किसी की हिम्मत न हो। ऐसी घटना के ख़िलाफ़ कार्रवाई आज के क़ानून के दायरे में करने की मजबूरी न हो, तो बेहतर होगा सुप्रीम कोर्ट इस मामले को गंभीरता से ले और सुप्रीम कोर्ट क़ानून के दायरे से बाहर जाकर इस केस में मृत्युदण्ड की सज़ा मुक़र्रर करें। गुनाह कैमरे पर है, गुनहगार कैमरे पर हैं, गवाह कैमरे पर है,और अपराध का एक एक सबूत मौजूद है। वहशी छूट ने नहीं चाहिए। ये सारे सवाल पूरे देश के सामने हैं, पूरी व्यवस्था के सामने हैं। मणिपुर में हालात काबू होने की बजाय बिगड़ते जा रहे हैं। इंफाल से 25 कि भी दूर कांगपोकपी जिले में मई का है। इसमें महिलाओं को नग्न अवस्था में दर्शाया गया है। वीडियो में पुरुष पीड़ित महिलाओं से लगातार छेड़छाड़ करते दिखाई दे रहे हैं। वहीं पीड़ित महिलाएं बंधक बनी हुई हैं और लगातार मदद की गुहार लगा रही हैं।अपराधियों ने इस वीडियो को बनाने के बाद वायरल भी कर दिया है। इससे इन निर्दोष महिलाओं द्वारा झेली गई भयावह यातना कई गुना बढ़ गई है। पुलिस मामले की जांच कर रही है हालांकि अज्ञात सशस्त्र बदमाशों द्वारा 2 महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने के वायरल वीडियो के संबंध में, अपहरण, सामूहिक बलात्कार और हत्या आदि का मामला दर्ज किया गया है। अज्ञात हथियारबंद बदमाशों के खिलाफ नोंगपोक सेकमाई पीएस (थौबल जिला) में मामला दर्ज किया गया है। इस घटना के सामने आने के बाद यह साफ हो गया है कि मणिपुर की सरकार का रवैया ठीक नहीं है बल्कि कूकी जनजाति के खिलाफ मैंतेई को उकसाने वाला है। जैसा कि अब तक यह जाहिर हो चुका है कि मैंतेई लोग जो 55% के  करीब हैं उन्हें अनुसूचित जन जाति का दर्जा देकर वहां मौजूद 40% कूकी जनजाति का जल जंगल जमीन से हक छीनकर कारपोरेट को देना चाहते हैं। मेहनत कश कूकी जनजाति के लोग इसलिए उजाड़े जा रहे हैं,उनके घरों को जलाया गया वे विस्थापित किए जा रहे हैं। उनका कितना बुरा हाल है 4मई का सामने आया वीडियो है। इससे कूकी खौले हुए हैं और मैतेई को अपना शत्रु मान जी जान से लड़ते हुए मारे जा रहे हैं। वे पलायन कर पड़ौसी असम, मिजोरम, नागालैण्ड की तरफ पलायन भी कर रहे हैं, जो चिंताजनक है। ये राज्य उनके साथ कैसा व्यवहार करेंगे यह हम सभी भलीभांति जानते हैं कि शरणार्थियों के प्रति अब देश का रवैया क्या है? गुरुवार के प्रदर्शन के बाद स्थितियां बहुत बिगड़ी लग रही हैं। अफ़सोसनाक यह है कि कूकियों के साथ जो घटित हो रहा है, वह सरकार की मेहरबानी से सामने नहीं आ रहा है, इंटरनेट सेवाएं बाधित हैं, हवाई जहाज से निगरानी सरकार कर रही है। शर्मनाक यह है कि मणिपुर सरकार मणिपुर के नाश करने के तकरीबन दो माह बाद बैठक हो रही है। इससे पहले 24 जून को एक सर्वदलीय बैठक 18 दलों ने मणिपुर में हिंसा को देखते राष्ट्रपति शासन की मांग की थी जिसे नहीं माना गया। तब से अब तक मणिपुर लगता है युद्ध जैसी स्थिति में पहुंच चुका है। जबकि यह विषय अन्तर्राष्ट्रीय पटल पर आ चुका है मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच जारी हिंसा के मामले में भारत पर अंतरराष्ट्रीय दबाव के संकेत मिल रहे हैं। यह ख़बर भी मिल रही है कि इंफाल में पढ़ने वाले राज्यों के विद्यार्थियों को भी वापस निकालने का सिलसिला शुरू हो चुका है।उधर असम राइफल्स और मणिपुर पुलिस का दावा है कि हालात सुधर रहे हैं। परस्पर विरोधी इन दावों से तो यही लगता है हालात बेकाबू हैं। मीना चानू ने जिस अंदाज़ में मणिपुर बचाने की गुहार लगाई है वह यह बताती है कि वहां के हालात बदतर हैं। आज ज़रूरत इस बात की है मणिपुर को बचाने के लिए नेताओं, पत्रकारों और समाज सेवियों को भी आगे आकर वहां जाकर वस्तुस्थिति से अवगत कराना होगा वरना तिल तिल करके मणिपुर के मैंतेई और कूकी ख़त्म हो जायेंगे। उनके भाईचारे को बर्बाद करने वालों की पहचान कर उन्हें नेस्तनाबूद करना होगा तभी मणिपुर हम बचा पाएंगे।उत्तर-पूर्वी राज्य में हुई क्रूर हिंसा को दर्शाने वाली सामग्री हर दूसरे दिन सामने आ रही है। क्या मणिपुर की मौजूदा स्थिति 21वीं सदी के भारत का प्रतिनिधित्व करती है।मणिपुर के अंदर जिस तरह के हालात पिछले कुछ महीनों से बने हुए हैं।

इसके लिए मणिपुर सरकार पूरी तरह से जिम्मेदार हैं। दूसरी चीज जो कल वीडियो पूरा वायरल हुआ, जिसमें दो बहनों को जिस तरह से निर्वस्त्र करके उनके परेड कराया गया और उनके साथ सामूहिक तौर पर गलत काम किए गए, पूरे देश की आत्मा झकझोर दी है। उन वीडियो से पता चला कि वो वीडियो अभी के नहीं हैं, ढाई महीने पहले के हैं। ढाई महीने के अंदर वहां की सरकार ने इस बारे में कुछ भी नहीं किया। ये बेहद शर्मनाक है। ये आपराधिक मामला बनता है। बेहद दुख के साथ मुझे कहना पड़ रहा है कि इसके लिए मणिपुर सरकार जिम्मेदार हैं। ये एक कमजोर लीडर की निशानी है। ये कमजोर लीडर होता है कि जब समस्या आती है तो वो चुपचाप अपने कमरे में बंद होकर बैठ जाता है। एक जो साहसिक लीडर होता है, असली लीडर होता है वो फ्रंट से काम करता है, फ्रंट पर आकर काम करता है, जब कोई मुसीबत होती है तो फ्रंट पर दिखाई देता है नेता, ऐसा नहीं होता कि मुसीबत आने पर चुप्पी साधकर और अपने कमरे के अंदर बंद होकर बैठ जाओ। बहुत दुख की बात है कि ऐसे सेंसटिव टाइम के अंदर मुख्यमंत्री जी ने कोई कदम नहीं उठाया, अगर समय पर कदम उठाया होता तो हमारी इन बहनों के साथ ऐसा अन्याय नहीं होता। मणिपुर के सीएम का बयान मैं थोड़ी देर पहले देख रहा था कि ये एक घटना थोड़े ही है, ऐसी तो बहुत घटनाएं घटी हैं। इसका मतलब तो पता नहीं कितनी बहनों के साथ ऐसा हुआ मणिपुर के अंदर, अगर बहुत सारी ऐसी घटनाएं घटी हैं तो उन्होंने क्या किया इस बारे में? उन्होंने क्यों नहीं पकड़कर दोषियों को जेल में डाला? वो कर क्या रहे थे अभी तक? अब जब ढाई महीने के बाद वो वीडियो सामने आया, अब कह रहे हैं कि एक आदमी पकड़ा गया, उस वीडियो के अंदर पता नहीं कितने लोग हैं। जो एफआईआर दर्ज की गई है वो अज्ञात लोगों के खिलाफ हुई है, वीडियो के अंदर तो सबके चेहरे दिखाई दे रहे हैं। अब प्रधानमंत्री जी को सामने आना पड़ेगा।

मणिपुर के अंदर शांति बहाल की जाए, जैसे भी की जाए, जिस भी तरीके शांति बहाल की जाए, ये एक ऐसा सेंसटिव मामला है, जिसमें मैं कोई राजनीति नहीं करना चाहूंगा लेकिन कुछ भी करके प्रधानमंत्री जी को सामने आना पड़ेगा। प्रधानमंत्री जी को सामने आकर और इसकी जिम्मेदारी लेनी पड़ेगी और कुछ न कुछ कठोर इफेक्टिव कदम उठाने पड़ेंगे। मणिपुर की वीडियो देखने के बाद देशभर की महिलाएं डरी और सहमी हैं। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि असहाय महिलाएं मानवता के खिलाफ इस जघन्य अपराध का शिकार हुईं। यह बर्बर घटना देश की अंतरात्मा पर बड़ा कलंक है। ऐसे अपराधी किसी भी तरह के लिहाज के लायक नहीं हैं और ऐसे लोगों से देश के कानून के अनुसार कड़ी सजा देकर निपटाया जाना चाहिए ताकि कोई और ऐसा अपराध करने का प्रयास न करे। केंद्र और राज्य सरकार यह सुनिश्चित करे कि दोषियों को जल्द से जल्द सजा दी जाए ताकि पीड़ितों के परिवारों, रिश्तेदारों और शुभचिंतकों को न्याय मिल सके। देश के प्रधानमंत्री को इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए और दोषियों को कड़ी सजा दिलानी चाहिए। मणिपुर आक्रोश देश के माथे पर कलंक है। इस अराजकता और जंगल राज को समाप्त करें। जातीय समूहों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं के खिलाफ ज्यादतियों पर सख्ती से अंकुश लगाया जाना चाहिए। देश की बेटियों को अपमानित करने वाले और मासूमों की बेरहमी से हत्या करने वाले हैवां जानवरों को अनुकरणीय सजा सुनिश्चित करें।

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