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प्राण प्रतिष्ठा की सकारत्मक ऊर्जा 

डॉ दिलीप अग्निहोत्री 

प्राण प्रतिष्ठा से पूर्व ही अयोध्या धाम में  त्रेता युग की झलक दिखाई दे रही है. इसके प्रकाश से पूरे देश को सुशोभित कर रहा है. देश के जन मानस ने प्रमाणित कर दिया कि उसके लिए प्राण प्रतिष्ठा का आमन्त्रण नहीं बल्कि अस्था ही सब कुछ है. इसलिए वह पूजित अक्षत और श्री राम के चित्र लेकर ही भाव विभोर है. दूसरी तरफ अपने को सेक्युलर कहने वाले नेता आमन्त्रण के प्रति समान्य शिष्टाचार भी नहीं दिखा सके. वह देश की जनभावना को समझने में विफल रहे है. क्योंकि उन्होंने केवल अपनी राजनीति और वोटबैंक पर ही ध्यान रखा. जबकि आमन्त्रण किसने दिया वह महत्वपूर्ण नहीं है. महत्व इसका है कि पांच सौ वर्षो बाद भारतीय जनमानस का एक सपना साकार हो रहा है. वस्तुतः कुछ लोगों ने इस जनभावना को अस्वीकार किया है

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