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राणा का भाला

प्रवीण प्रभाती

भाला सँग में जो रखें, उसकी अनुपम शान।
राणा का भाला सदा, लेता रिपु के प्राण।।
लेता रिपु के प्राण, छेदता उनकी छाती।
लें दुश्मन की जान, वार करके अति घाती।
आया संकट घोर, काम आये थे झाला।
लगा बाहु का जोर, चलाते राणा भाला।।

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