स्वास्थ्य विभाग की पहल, बच्चों में टीबी की जांच के लिए उपयोगी होगी गैस्ट्रिक लैवेज तकनीक
बच्चे को लगातार खांसी और बुखार बने रहने से टीबी होने का खतरा

आगरा। राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत बच्चों में टीबी की रोकथाम के लिए अलग से विशेष अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के तहत शून्य से पांच साल तक के बच्चों की टीबी की जांच के लिए गैस्ट्रिक लैवेज तकनीक का उपयोग किया जा रहा है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि छोटे बच्चों को खांसी आती है तो वह बलगम को निगल लेते हैं, उन्हें बलगम का बाहर निकालना नहीं आता है। ऐसे में उनकी बलगम की जांच नहीं हो पाती है। इसलिए जनपद में बच्चों की टीबी की जांच के लिए गैस्ट्रिक लैवेज तकनीक का उपयोग किया जा रहा है।
जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डॉ. सुखेश गुप्ता ने बताया कि आगरा टीबी नोटिफिकेश के मामले में प्रदेश में अव्वल रहा है, इस वक्त जनपद में 25932 टीबी मरीज उपचारित हैं। उनका उपचार लगातार चल रहा है। इनमें से सात प्रतिशत बच्चे हैं।
जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि जनपद में अक्टूबर 2024 से मार्च 2027 तक विशेष पीडियाट्रिक टीबी रोकथाम अभियान चलाया जा रहा है, जिसके अंतर्गत बच्चों के बलगम हेतु गैस्ट्रिक लैवेज तकनीक का उपयोग किया जा रहा है, जिससे कि बच्चों में टीबी की पहचान की जा सके और उनका उपचार करके टीबी के बैक्टीरिया का उन्मूलन किया जा सके। उन्होंने ने बताया कि गैस्ट्रिक लैवेज तकनीक के लिए टीबी यूनिट स्तर पर प्रशिक्षण कार्यक्रम किए जा चुके हैं।
यह आम खांसी नहीं है
डॉ. सुखेश गुप्ता ने आमजन से अपील करते हुए कहा कि क्षय उन्मूलन के लिए समुदाय स्तर पर लोगों का जागरूक होना अति आवश्यक है l ज्यादातर अभिवावक बच्चों की खांसी को मौसम का बदलाव या रात में पंखा चलाने को वजह मानते हैं, जबकि यह टीबी का भी संकेत हो सकता है । बच्चे को लगातार खांसी और बुखार बने रहने से टीबी होने का खतरा भी बढ़ जाता है। बच्चों में क्षय रोग (पीडियाट्रिक टीबी) के बारे में जागरूकता बढ़ाने में सभी का सहयोग महत्वपूर्ण है।
बड़ों से भिन्न होतें हैं लक्षण
डीटीओ ने बताया कि बच्चों में टीबी का शीघ्र निदान करना बहुत जरूरी है, क्योंकि इनके लक्षण वयस्कों की अपेक्षा भिन्न और कम स्पष्ट होते हैं। यही कारण है कि बच्चों में टीबी का निदान करना मुश्किल हो सकता है। लेकिन, जनपद में जांच की आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं जो टीबी की पहचान में अत्यधिक प्रभावी साबित हो रही हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों में क्षय रोग के लक्षणों में शामिल हैं- खांसी, बुखार, वजन कम होना, भूख कम होना और गांठों का होना। यदि आपके बच्चे में इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई देते हैं, तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें।
बीसीजी का टीका रोकथाम में प्रभावी
डॉ. सुखेश गुप्ता ने यह भी कहा कि बच्चों में क्षय रोग के उपचार में एंटी-ट्यूबरक्यूलर ड्रग्स का उपयोग किया जाता है। उन्होंने कहा, “उपचार की अवधि आमतौर पर 6 महीने होती है, लेकिन यह बच्चे की उम्र और बीमारी की गंभीरता पर निर्भर करती है।” उन्होंने कहा कि बच्चों में क्षय रोग की रोकथाम के लिए टीकाकरण बहुत महत्वपूर्ण है। नियमित टीकाकरण के तहत लगाए जाने वाला बीसीजी का टीका बच्चों में क्षय रोग की रोकथाम में बहुत प्रभावी है। यह टीका बच्चों को क्षय रोग से बचाने में मदद करता है।
आनंद नगर जगदीशपुरा निवासी मोहनलाल (बदला हुआ नाम) बताते हैं कि उनके 12 वर्षीय पुत्र आर्यन(बदला हुआ नाम) को सबसे पहले तेज बुखार आया जब बुखार नहीं उतरा तो आगरा के निजी चिकित्सालय में तीन दिन भर्ती किया।चिकित्सकों ने बताया कि संक्रमण के कारण बुखार आया है। उपचार के बाद बुखार उतर गया l लेकिन गले के पास जो गांठ थी वह पक गई l गांठ को फोड़ा समझ कर उसका ऑपरेशन कराया, फिर भी आर्यन सही नहीं हुआ । फिर हड्डी वाले डॉक्टर को दिखाया वहां से भी उपचार चल लेकिन आराम नहीं हुआ। तीन माह बाद आर्यन को एसएन मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विशेषज्ञ को दिखाया, वहां के चिकित्सक ने आर्यन की टीबी की जांच कराई । जांच रिपोर्ट में टीबी पॉजिटिव आया उसके बाद 16 अक्टूबर 2025 से आर्यन का उपचार शुरू हो गया l अब लोहा मंडी टीबी यूनिट से दवाई चल रही है। आर्यन को पहले से बहुत आराम है। टीबी यूनिट से टीबीएचवी राकेश कुमार बीच-बीच में फॉलो अप करने आते हैं कि आर्यन दवाई समय से खा रहा है या नहीं क्योंकि दवा का नियमित सेवन करना है। दवा एक दिन भी नहीं छोड़नी है l वह आर्यन को पौष्टिक आहार का सेवन करने के बारे में भी बताते हैं जिससे वह जल्द से जल्द स्वस्थ हो जाए। उन्होंने बताया कि 6 महीने तक नियमित दवा का सेवन करना है परिवार के सभी सदस्यों को इस बार पर विशेष ध्यान देना है l
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बच्चों में क्षय रोग के लक्षणों में शामिल हैं–
– खांसी जो 2 सप्ताह से अधिक समय तक रहती है
– बुखार
– वजन कम होना
– भूख कम होना
– गांठों का होना
– खांसी में खून आना
जनपद में जांच की आधुनिक सुविधाएं–
– जीनएक्सपर्ट टेस्ट
– सीबी-नेट टेस्ट
– एक्स-रे और सीटी स्कैन
– गैस्ट्रिक लैवेज तकनीक



