आगरा का नीलकण्ठ महादेव मंदिर बना, नगर निगम एवं जनप्रतिनिधियों की लापरवाही का सबब
आगरा : नीलकण्ठ धाम,नीलकण्ठ महादेव मंदिर,गाँव ककरैठा से करीब दो किमी आगे,कंटीले पेड़-पौधों के जंगल,ऊंचे-नीचे टीलों के बीच,एक ऊबड़-खवाड़ सा दुर्गम रास्ता,जहाँ वाहनों या पैदल श्रद्धालु बड़ी मुश्किल से जाते हैं। फिर भी बाबा भोलेनाथ,नीलकण्ठ महादेव के भक्त हजारों की संख्या में पहुंचते हैं। यहाँ देश भर से साधु संत आते हैं। बड़ी संख्या में कावड़िया भी कांवड़ चढ़ाने जाते हैं। सभी के आने जाने में असुविधा होती है।
ताज्जुब होता है कि यहाँ वर्षों से कई जनप्रतिनिधि,प्रशासन के अधिकारी भी आते हैं,परंतु किसी ने भी इस,एक किमी से अधिक के दुर्गम रास्ते के बनावाने की इच्छा भी नहीं की।
मंदिर के महंत श्रीकिशन गिरि महाराज ने बताया कि यहाँ कई गणमान्य रास्ते को बनवाने का आश्वासन देकर चले गये,परन्तु कोई अमल नहीं हुआ।
पूँछने पर उन्होंने अपने बारे में बताया कि वे हरिद्वार से यहां जनवरी 1990 में आये थे। उस समय यहां कुछ नहीं,बस सूनसान जंगल का टीला और यमुना का किनारा था। हमारी आत्मीय इच्छा थी कि जल के किनारे,जंगल में ही भोलेनाथ नाथ की भक्ति करनी है। हकीकत में भक्ति में वह शक्ति है कि धीरे धीरे सारे काम आसान होते गए और भक्तों के सहयोग से नीलकण्ठ महादेव जी का मंदिर बना,भवन बना,शिवलिंग एवं महादेव जी की मूर्ति स्थापित हुईं।
नीलकण्ठ महादेव जी मंदिर की स्थापना सन 2006 में की गई।
महाराज जी ने कहा कि हमारा भक्तों से कहना है कि दिल में शान्ति,भक्ति का भाव रखें। “शान्ति,सदा सुखी” का अमल करें। दयालु,परोपकारी,कर्मयोगी बनें।सब कुछ अच्छा हो रहा है,भोलेनाथ सब अच्छा ही करेंगे।
इन्होंने उठाया रास्ते का मुद्दा :
भवं-भवानी के भक्त,समाज सेवी मनोहर लाल चुघ ने कहा कि हम लोग इस रास्ते को बनवाने की कई बार कोशिश कर चुके हैं,पर कोशिश ना काम रही।
मा.मुख्यमंत्री योगी जी ने कहा था कि प्रदेश के प्रमुख मंदिरों के रास्तों को पक्का कर मुख्य मार्गों से जोड़ा जाए,परन्तु फिर भी सरे आम उनके आदेशों की अवहेलना हो रही है।