
लखनऊ। भारतीय इतिहास में राष्ट्र के लिए त्याग और शौर्य का प्रदर्शन करने वालों को महिमा मंडित किया गया। ऐसी महान विभूतियों ने विदेशी आक्रांताओं के दौर में कभी गुलामी को स्वीकार नहीं किया। इनकी गाथाएं आज भी प्रेरणा देती है। राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने इसी तथ्य को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि भारतीय इतिहास में मेवाड़ का स्थान अद्वितीय है। राणा सांगा का रण कौशल,महाराणा प्रताप का अदम्य साहस और महाराणा अमर सिंह का अमर बलिदान भारत की सनातन परंपराओं, आत्मसम्मान और राष्ट्रबोध के उज्ज्वल स्तंभ हैं। मेवाड़ शैली के चित्र कला कृतियों के साथ-साथ भारतीय संस्कृति की जीवित स्मृतियाँ हैं। जो कालातीत होकर आज भी हमें प्रेरणा देती हैं। आनंदीबेन पटेल ने राजस्थान के उदयपुर में इलाहाबाद संग्रहालय एवं सिटी पैलेस संग्रहालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कला प्रदर्शनी प्रेमार्पण का विधिवत उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि इस समय ऐतिहासिक चेतना के पुनर्जागरण का काल चल रहा है। संविधान के पचहत्तर वर्ष,सरदार वल्लभभाई पटेल एवं भगवान बिरसा मुंडा की एक सौ पचासवीं जयंती,गुरु तेग बहादुर जी के साढ़े तीन सौवां बलिदान वर्ष तथा वंदे मातरम् की एक सौ पचासवीं जयंती मनाई गई। यह गौरवगाथा राष्ट्र चेतना को नई ऊर्जा प्रदान कर रही है। यह समय हमें अपने इतिहास को केवल स्मरण करने का नहीं, बल्कि उसकी आत्मा को आत्मसात करने का अवसर देता है। भारत आत्मनिर्भर, स्वावलंबी और स्वाभिमानी बनकर विश्व मंच पर एक निर्णायक शक्ति के रूप में उभर रहा है। भारत ने विदेश नीति, रक्षा, अंतरिक्ष, शिक्षा और कृषि सहित हर क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। देश के लोगों को अपनी विरासत,संस्कृति और गौरवशाली परंपराओं को आने वाली पीढ़ियों तक सुरक्षित और जीवंत बनाए रखना होगा।
मेवाड़ न्यास द्वारा शिक्षा के प्रसार हेतु शंभूरत्न पाठशाला 1863 एवं प्रथम कन्या विद्यालय 1866 जैसी संस्थाएँ आज भी सैकड़ों बालिकाओं के सर्वांगीण विकास का आधार बनी हुई हैं।



