
भारतीय दर्शन में इसकी कामना भी की गई-
असतो मा सद्गमय।
तमसो मा ज्योतिर्गमय।।
ऐसा नहीं कि यहां पहले दीपावली नहीं होती था, लेकिन उसका स्वरूप त्रेता योग जैसा नहीं था। योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या के विकास व त्रेता युग जैसे दीपोत्सव आयोजित करने के निर्णय लिए था। यह परम्परा बन गई है।
रामचरित मानस में गोस्वामी जी लिखते है-
आवत देखि लोग सब । कृपासिंधु भगवान।
नगर निकट प्रभु प्रेरेउ। उतरेउ भूमि बिमान॥
इस दृश्य की कल्पना करना ही अपने आप में सुखद लगता है। अयोध्या में ऐसा ही दृश्य प्रतीकात्मक रूप में दर्शनीय है।
प्रभु राम के वियोग में अयोध्या के लोग व्याकुल थे। अंततः वह घड़ी आ ही गई जब प्रभु राम अयोध्या पधारे। उनके वियोग में लोग कमजोर हो गए थे। उनको सामने देखा तो प्रफुल्लित हुए –
आए भरत संग सब लोगा। कृस तन श्रीरघुबीर बियोगा॥
चौदह वर्षों बाद प्रभु को सामने देखा तो लोग हर्षित हुए-
प्रभु बिलोकि हरषे पुरबासी। जनित बियोग बिपति सब नासी॥