उत्तर प्रदेश

दीक्षांत में दायित्व बोध

डॉ दिलीप अग्निहोत्री

भारतीय चिंतन में शिक्षा में सामाजिक सरोकारों का भी समावेश रहा है। हमारा उदार चिंतन इसी व्यवस्था से विकसित हुआ।
राज्यपाल आनंदी बेन पटेल के दीक्षांत संबोधन का यही संदेश है। इसके दृष्टिगत उन्होंने उच्च शिक्षण संस्थानों और विद्यार्थियों दोनों का मार्गदर्शन किया।
कहा कि विश्वविद्यालय केवल शिक्षा का केंद्र नहीं, बल्कि समाज निर्माण का संस्थान होना चाहिए। विश्वविद्यालय को अपने परिक्षेत्र के ग्रामों से नियमित संपर्क स्थापित करने, ग्रामीणों की आवश्यकताओं को समझने और उनके समाधान में सहभागिता करने का निर्देश दिया। ग्रामीण क्षेत्र ही भारत की आत्मा हैं और यदि हम वहां के युवाओं को सक्षम बना सकें तो राष्ट्र स्वतः सशक्त हो जाएगा। ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि, पशुपालन, हस्तशिल्प और बागवानी जैसे क्षेत्रों में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं जिन्हें विश्वविद्यालयों के मार्गदर्शन से विकसित किया जा सकता है। विद्यार्थियों को स्वच्छता,स्वास्थ्य और पर्यावरण के प्रति जागरूकता की दिशा में भी कार्य करना चाहिए। गाँवों का भ्रमण कर लोगों को मूलभूत स्वास्थ्य और स्वच्छता के विषय में जागरूक करें। आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में सिद्धार्थ विश्वविद्यालय, कपिलवस्तु, सिद्धार्थनगर का नौवां दीक्षांत समारोह संपन्न हुआ। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी परिवर्तन की सदी है और विकसित भारत का युवा स्वर्णिम युग में जी रहा है। भारत आत्मनिर्भर बन रहा है और अंतरिक्ष, रक्षा,कृषि एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नई ऊँचाइयाँ प्राप्त कर रहा है। भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के पथ पर अग्रसर है। प्रत्येक नागरिक, विशेष रूप से युवा वर्ग का कर्तव्य है कि वे विकसित भारत के निर्माण में सक्रिय योगदान दें।

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