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सदेह मोक्ष है भगवान की रासलीला

डॉ दीपिका उपाध्याय

आगरा 'भगवान श्री कृष्ण के साथ एकात्मक होने का नाम है रासलीला। कल्प- कल्पांतर की तपस्या के बाद ऋषि-मुनियों ने गोपियों का रूप धारण कर भगवान श्री कृष्ण का साहचर्य का प्राप्त किया। यही कारण है कि भगवान की बंसी की धुन सुनकर ही उनके मन अनहद नाद से व्याप्त हो गए और वे गोपियां उसी धुन से खिंची चली आई।' श्रीगोपालजी धाम, दयालबाग में हो रही कथा में कथावाचक डॉ दीपिका उपाध्याय ने महारास की व्याख्या की।
 गुरुदीपिका योगक्षेम फाउंडेशन के द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा का आज छठवां दिन था। कंस उद्धार की कथा सुनाते हुए कथावाचक ने कहा कि कंस सोते- जागते, उठते- बैठते, खाते-पीते, हर घड़ी श्रीकृष्ण का ही स्मरण करता था। भय के साथ स्मरण करने वाले कंस को भी भगवान ने मोक्ष प्रदान किया, फिर भला प्रेम तथा भक्ति भाव से स्मरण करने वाले को क्यों नहीं वे अपना धाम देंगे। यही कारण है कि शरद पूर्णिमा की रात होने वाली रासलीला में गोपियां सदेह मोक्ष प्राप्त कर जाती है।
 रुक्मिणी मंगल का प्रसंग सुनाते हुए कथावाचक ने कहा कि भगवान ने देवी रुक्मिणी की भक्ति को स्वीकार किया था, अपने चरणों में उनकी प्रीति का आदर किया था, इसीलिए उनके अनुरोध पर उनसे विवाह किया। भगवान कृष्ण की भक्तवत्सलता का रहस्य जो जान पाते हैं, वे इस कथा को रुक्मिणी मंगल कहते हैं ना कि रुक्मणी हरण।
 भगवान कभी भी भक्तों का हरण नहीं करते, वे सदैव उनका मंगल करते हैं। देवी रुक्मणी के समान ही अन्य देवियों पर भी इसी प्रकार अनुग्रह किया और उन्हें अपनी रानी के रूप में स्वीकार किया।
 कथावाचक ने भगवान के सात अन्य विवाहों की तथा भौमासुर के कारागार में फंसी स्त्रियों से विवाह की कथा सुनाएं। जाम्बवती विवाह प्रसंग में भक्तों ने भरपूर आनंद लिया।
 फाउंडेशन के निदेशक रवि शर्मा ने कहा कल सुदामा चरित्र के साथ कथा पूर्ण विश्राम लेगी।
 इस अवसर पर श्यामसुंदर बवेजा, वीरकिशोर गुप्ता, अनुज, दिनेश शर्मा, सुशीला शर्मा, शांति गुप्ता, वीणा कालरा, दीपा लश्करी, वीना तिवारी, विनीता गौतम, पवित्रा, गुंजन, कुसुम अरोरा आदि उपस्थित रहे।

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