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हिंदू नववर्ष का शुभारंभ,नव वर्ष में क्या रहेगा विशेष,आचार्य पंडित रजनीश शास्त्री

उत्तराखंड

हिंदू नववर्ष "विक्रम संवत 2081" आज से शुरू हो चुका है।हर साल चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हिंदू नववर्ष आरंभ होता है।ब्रह्म पुराण के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण किया था।पृथ्वी अपने अक्ष पर घूमते हुए सूर्य का एक चक्कर लगाने के बाद जब दूसरा चक्र शुरू करती है,तब हिंदू नववर्ष आता है।इस दिन देश के विभिन्न राज्यों में गुड़ी पड़वा,उगादी और चैत्र नवरात्रि जैसे महापर्व भी मनाए जाते हैं।हिंदू नववर्ष का महत्व हिंदू धर्म में चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को नवसंवत की शुरुआत होती है,इसे भारतीय नववर्ष भी कहा जाता है।इसका आरंभ विक्रमादित्य ने दिया था,इसलिए इसे विक्रम संवत भी कहा जाता है।इस समय से ऋतुओं और प्रकृति में परिवर्तन भी आरंभ होता है।ऐसी मान्यताएं हैं कि इसी पवित्र मास की नवमी तिथि को प्रभु राम का भी जन्म हुआ था।चैत्र नवरात्रि भी शुरू हो जाते हैं।हिंदू नववर्ष का राजा कौन है?हिंदू नववर्ष में हर साल एक ग्रह को राजा निर्धारित किया जाता है,यह राजा हिंदू नववर्ष के वार से तय होता है,यानी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर जो वार पड़ता है,उसे ही वर्ष का राजा माना जाता है।इस नए संवत्सर 2081 की शुरुआत मंगलवार से हो रही है,इसलिए मंगल ग्रह ही इस वर्ष का राजा होगा,जबकि शनि देव इसके मंत्री होंगे।
प्रस्तुती-आचार्य पंडित रजनीश शास्त्री जी,रुड़की

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