image

जन आकांक्षा की अभिव्यक्ति 

डॉ दिलीप अग्निहोत्री 

राष्ट्रपति चुनाव में आमजन की प्रत्यक्ष भूमिका नहीं होती है. फिर भी इस शीर्ष पद को लेकर जिज्ञासा अवश्य रहती है. लेकिन इस बार किसी प्रकार की जिज्ञासा नहीं थी. लोगों ने यह मान लिया था कि चुनाव मात्र 
औपचारिक है. द्रोपदी मुर्मू का राष्ट्रपति बनना तय है. संप्रग के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा मुकाबले से बाहर हैं.अतः चुनाव को लेकर कोई संशय नहीं था. इसकी जगह द्रोपदी मुर्मू के समर्थन में राष्ट्रीय स्तर पर जन उत्साह दिखाई दे रहा था. राष्ट्रपति चुनाव में इस प्रकार के दृश्य अभूतपूर्व थे. आमजन को इसमें मतदान नहीं करना था. लेकिन उत्साह ऐसा था जैसे लोग मतदान के लिए तैयार है. द्रोपदी मुर्मू ने गरिमा के अनुरूप आचरण किया. पूरे चुनाव प्रचार में उन्होंने किसी पर कोई आक्षेप नहीं किया. विपक्ष और उसके उम्मीदवार के प्रति कोई टिप्पणी नहीं की. उन्होने राष्ट्र और समाज हित को ही केंद्र में रखा. उनका आचरण शीर्ष पद की गरिमा के अनुकूल था. जिसमें किसी के प्रति दुर्भावना या पूर्वाग्रह नहीं था.यह बात चुनाव प्रचार के दौरान उनके बयानों से प्रमाणित हुई. उनका कहना था कि देश,यह माटी और परमपिता पिता परमात्मा की सेवा ही मेरा ध्येय है। मेरा यह जीवन अपने देश और समाज की सेवा के लिए 
है। पद की गरिमा के अनुरूप उन्होंने दलगत अपने को राजनीति से ऊपर रखा. यह सही है कि उनको राजग ने उम्मीदवार बनाया था. लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने सभी लोगों से समर्थन की अपील की थी. उन्होंने कहा कि अपने संगठन के लोग मेरा समर्थन कर रहे हैं लेकिन जो संगठन के नहीं हैं,वे भी समर्थन में आगे आये हैं। यह बहुत बड़ी जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा कि संविधान के दायरे में रहकर देश की सेवा के लिए तैयार हूं। वस्तुतः राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में जब से द्रौपदी मुर्मू के नाम की घोषणा मात्र से देश आनंद और उत्साह की लहर दिखाई देने लगी थी. अंतरात्मा की आवाज पर उन्हें विपक्षी मतदाताओं का भी समर्थन मिला. ईमानदारी और संविधान के प्रति आदर से मुर्मू जी राष्ट्रपति पद की गरिमा को बढ़ाएंगी। शिवराजसिंह चौहान ने
ठीक कहा कि प्रतिभाओं को खोजने संबन्धी नरेन्द्र मोदी का तरीका अद्भुत है. पहले जो दल सत्ता में रहते थे,उनका दायरा कुछ परिवारों तक ही सीमित रहता था. लेकिन प्रधानमंत्री मोदी जिस तरह से पूरे देश से प्रतिभाओं को खोजकर निकालते हैं और उन्हें उपयुक्त जिम्मेदारी देते हैं, वह तरीका अद्भुत है। द्रौपदी मुर्मू के रूप में जनजातीय समाज की एक योग्य बहन को देश के सर्वोच्च पद पर पहुंचने का जो अवसर मिला है.उनके प्रति केवल जनजातीय समाज ही नहीं आम जनता में खुशी की लहर है। द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति उम्मीदवार घोषित होते ही देश में जो हलचल मची है, वह पहले कभी नहीं दिखी। कांग्रेस के अंदर भी ये सवाल उठे कि द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति बनने का विरोध क्यों होना चाहिये.  अंतरात्मा की आवाज पर उन्हें समर्थन मिला.पूर्व प्रधानमंत्री 
अटल बिहारी वाजपेयी 
ने पहली बार एक महान वैज्ञानिक को राष्ट्रपति बनाकर देश को गौरवान्वित किया था। पिछली बार प्रधानमंत्री मोदी ने एक दलित नेता को सर्वोच्च संवैधानिक पद के लिए चुना। इस बार कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था कि एक आदिवासी महिला को यह अवसर मिलेगा लेकिन द्रौपदी मुर्मू को प्रत्याशी घोषित करने के निर्णय से पूरा देश आनंदित और उत्साहित है। उनका चुनौतीपूर्ण सफर हम सबके लिए और देश के जनजातीय समाज के लिए अनुकरणीय और प्रेरणादायक है। उन्होंने पार्षद,विधायक,मंत्री और राज्यपाल जैसे महत्वपूर्ण पदों पर रहते हुए आदिवासी वर्ग के उत्थान के लिए कार्य किया। उन्होंने अपनी सारी पूजीं जनजातीय वर्ग की बच्चियों के भविष्य को उज्जवल बनाने के लिए समर्पित कर दी। भाजपा हमेशा  जनजातीय समाज के विकास की पक्षधर रही है। नरेन्द्र मोदी सबका साथ,सबका विकास, सबका विश्वास की भावना से कार्य कर रहे है. इसमें जनजातीय समाज भी शामिल है.  आजादी के पचहत्तर वर्षों के बाद भी किसी ने यह कल्पना नहीं की होगी कि जनजातीय समाज का कोई व्यक्ति देश के सर्वोच्च पद पर पहुंच सकता है. इसे नरेन्द्र मोदी ने इस कार्य को पूरा किया है. प्रधानमंत्री ने देश को आगे बढ़ाने के लिए पच्चीस सालों का रोडमैप बनाया है। राष्ट्रपति के तौर पर अगले पांच वर्षों तक द्रोपदी मुर्मू योगदान होगा.यशवन्त सिन्हा नकारात्मक विचार ले कर चल रहे थे. वह कह रहे थे वर्तमान सरकार लोकतंत्र और संविधान को खतरे में डाल रही है. इसी प्रकार के बयान विगत आठ वर्षो से विपक्षी नेता दे रहे है. राष्ट्रपति उम्मीदवार बनने के बाद यशवन्त सिन्हा से इस स्तर की राजनीति से ऊपर उठने की अपेक्षा थी. लेकिन पूर्वाग्रह से पीड़ित यशवन्त सिन्हा ऐसा नहीं कर सके. द्रोपदी मुर्मू ने सकरात्मक विचार देश के सामने रखे.उन्होने कहा कि हमारा देश मजबूत लोकतंत्र की जननी है जिसकी मजबूती के लिए हम सब कार्य कर रहे हैं। इस समय देश का स्थान पूरी दुनिया में महत्वपूर्ण होने के साथ ही हमारे प्रति विश्व का दृष्टिकोण बदल रहा है। हम देश की आजादी का अमृत महोत्सव को मना रहे हैं। हमने देश के समग्र विकास का संकल्प लिया है। प्रकृति की पूजा की प्रक्रिया हम जनजातीय समाज से सीखते हैं। वे सदैव संस्कृति की उपासक होते हैं। हमारी लोक परंपरा ही हमारी पहचान है। आंध्र प्रदेश में तो सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ने द्रोपदी मुर्मू का समर्थन किया तेलुगू देशम पार्टी अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू ने द्रौपदी मुर्मू को अपना समर्थन देने का ऐलान किया था. कहा कि वे गर्व महसूस कर रहे हैं कि आदिवासी महिला पहली बार देश के सर्वोच्च पद पर आसीन होगी। यह देश के लिए गौरव की बात भी होगी और तेलुगू देशम पार्टी उनका पूरा समर्थन करती है। दूसरी ओर यशवन्त सिन्हा राष्ट्रपति चुने जाने के बाद अपनी प्राथमिकताएं गिनवा रहे थे. उनका एजेंडा नरेन्द्र मोदी के विरोध पर आधारित था. लग ही नहीं रहा था कि वह राष्ट्रपति का चुनाव लड़ रहे हैं. उन्होने खुद कहा कि नरेन्द्र मोदी की कार्यशैली से असंतुष्ट हैं. 
कहा कि प्रधानमंत्री मोदी कुछ बोलते ही नहीं हैं। इस वक्त संविधान के मूल्यों की रक्षा नहीं हो रही है। बल्कि इस सरकार में संविधान के मूल्यों की अवहेलना की जा रही है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो एक दिन हम लोग पाएंगे कि संविधान नष्ट हो गया है। संविधान का कोई महत्व नहीं रहा। कहीं भी किसी भी फोरम पर नहीं जा सकते। ऐसा लगता है कि आज कहीं पर भी इंसाफ नहीं मिल सकता है। वह अनुच्छेद 370 की समाप्ति और नागरिकता संसोधन कानून का विषय अनावश्यक रूप से उठा रहे थे. उन्होने राजनीति के चक्कर में उस पद की गरिमा का ध्यान नहीं रखा,जिसके लिए वह चुनाव लड़ रहे थे.प्रचार के दौरान उनकी नरेन्द्र मोदी के प्रति कुंठा व पूर्वाग्रह प्रदर्शित होता रहा य़ह बात उनके बयानों से प्रमाणित है. वह कह रहे थे कि वन नेशन,वन पार्टी और चाइना के कम्युनिस्ट शासकों की तर्ज पर वन लीडर की ओर भारत के लोकतंत्र को ले जाने की कोशिशें हो रही है। लोकतंत्र खतरे में है। शैतानी तरीके से देश को धार्मिक आधार पर बांटा जा रहा है। देश विभिन्न स्तर पर खतरों से घिरा हुआ है। देश की अर्थव्यवस्था बर्बाद हो चुकी है। इस प्रकार यशवन्त सिन्हा देश में भय का माहौल बना रहे थे. इसलिए उनके समर्थन में देश के किसी भी क्षेत्र में उत्साह दिखाई नहीं दिया. देश का जनमानस उन्हें सर्वोच्च पद पर देखना ही नहीं चाहता था.

Post Views : 292

यह भी पढ़ें

Breaking News!!