रक्षाबंधन का पावन पर्व 19अगस्त को, आचार्य सेमवाल ने बताया रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त
रुड़की।उत्तराखंड ज्योतिष परिषद के अध्यक्ष ज्योतिषाचार्य पंडित रमेश सेमवाल जी महाराज ने बताया कि रक्षा बंधन का पावन पर्व 19 अगस्त (सोमवार) पूर्णिमा को मनाया जाएगा।उन्होंने कहा कि बहुत अच्छे योगों में इस बार रक्षा बंधन का पावन पर्व है।आचार्य सेमवाल ने बताया रक्षा सूत्र बांधने की हमारी वैदिक परमपरा है।शास्त्रों के अनुसार इंद्र की पत्नी ने जिस दिन इंद्र की कलाई में रक्षा सूत्र बंधा था,देव,गुरु,बृहस्पति से मंत्र पुरीत करा कर उस दिन श्रावण मास के पूर्णिमा तिथि थी,उसी दिन से रक्षा बंधन का पावन पर्व मनाया जाता है।रक्षा सूत्र बांधने के बाद देवराज इंद्र ने व्रतासुर का वध कर स्वर्ग पर अधिकार कर लिया,दूसरी कथा के अनुसार द्रौपदी ने भगवान श्री कृष्ण को राखी बांधी थी।ये मान्यता है कि कृष्ण भगवान की उंगली सुदर्शन चक्र से कट गई थी।खून बंद करने के लिए द्रौपदी ने अपनी साड़ी से एक टुकड़ा फाड़कर कटे हुए हाथ पर बांधा था,उसी वक्त भगवान कृष्ण ने द्रौपदी को रक्षा करने का वचन दिया था,इसलिए भगवान ने दुशासन द्वारा द्रौपदी की साड़ी खींचने पर भगवान कृष्ण ने द्रौपदी की रक्षा की और वस्त्र अवतार लिया।तीसरी कथा के अनुसार देवी लक्ष्मी ने श्रावण पूर्णिमा के दिन राजा बलि को राखी बांध कर उनसे अपने स्वामी को स्वर्ग लोक न त्यागने का वचन लिया।बहन की कामना जानकर राजा बलि ने विष्णु देव से स्वर्ग लोक में ही रहने की विनती की।आचार्य सेमवाल ने कहा कि हमारे यहां रक्षा सूत्र बांधने की परंपरा बहुत प्राचीन है।ब्रह्मण अपने यजमानों को रक्षा सूत्र बांधते है।बहन अपने भाई को रक्षा सूत्र बांधती है।आचार्य रमेश सेमवाल जी महाराज ने रक्षा बंधन का मूहर्त दोपहर 1:31 के बाद बताया,क्योंकि उस दिन दोपहर 1:31 तक भद्रा रहेगी।भद्रा काल में राखी नही बांधनी चाहिए,उसके बाद आप शाम तक राखी बांध सकते हैं।विशेष समय 1:48 से शाम 4:22 तक परदोष काल का समय शाम 6:57 से रात्रि 9:10 तक सबसे पहले भगवान गणेश भगवान विष्णु को तिलक करे और उन्हें रक्षा सूत्र बांधे तथा मिठाई का भोग लगाएं,फिर अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधे।