अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन डीएससी-एनएससी का डीईआई में सफल समापन

आगरा। दयालबाग (कला) विज्ञान एवं अभियांत्रिकी ऑफ (एवोल्यूशनरी/री-एवोल्यूशनरी) कॉन्शसनेस (DSC) और 48वाँ (अंतर्राष्ट्रीय) नेशनल सिस्टम्स कॉन्फ्रेंस (NSC) का अंतिम दिन 17 सितम्बर 2025 को आयोजित हुआ, जिसमें अनेक महत्वपूर्ण सत्र सम्मिलित रहे। दिन की शुरुआत सिस्टम्स सोसाइटी ऑफ इंडिया (SSI) की वार्षिक आम बैठक से हुई। इसके बाद प्रो. ए.एल. अग्रवाल, अध्यक्ष, एसोसिएशन फॉर द ट्रांसपोर्ट डेवलपमेंट इन इंडिया (ATDI), नई दिल्ली एवं उनके पुत्र श्री अमिया अग्रवाल का आमंत्रित व्याख्यान हुआ। उन्होंने ‘मोबिलिटी और पावर्टी (परिवहन तंत्र)’ विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया। (अध्यक्ष: प्रो. डी. भगवन दास, डीईआई)
शोधार्थियों को अवसर प्रदान करने हेतु इस व्याख्यान के बाद एक विशेष सत्र आयोजित हुआ, जिसमें दयालबाग संत सुपर्ह्यूमन एवोल्यूशनरी स्कीम के बच्चों द्वारा योगदानात्मक प्रस्तुतियाँ दी गईं। प्रतिभागियों में शामिल रहे:
दयाल अनुपमा न्यारी, जिन्होंने Climbing Up to the Shiny World: पिंड, ब्रह्माण्ड, और निर्मल चेतन देश विषय पर जीवंत ऑडियो-विज़ुअल प्रस्तुति दी।
अनमोल बांदगी, जिन्होंने The Law of Imprints: A Child’s System Model of Work is Worship पर प्रभावशाली व्याख्यान दिया।
सुमेरा कुमार, जिन्होंने चित्रात्मक प्रस्तुति द्वारा Impact of Consciousness Studies in the Academic Discipline विषय को स्पष्ट किया।
के. अगम्भदा एवं के. सुरतशब्दा, जिन्होंने Energy Consciousness: Towards a Net (Near) Zero Energy Lifestyle विषय पर प्रस्तुति दी।
इस सत्र की संयोजक प्रो. रूपाली सतसंगी (डीईआई) थीं। बाद में प्रतिभागियों को उनके प्रस्तुतिकरण हेतु मोमेंटो एवं प्रमाणपत्र प्रदान किए गए।
इसके बाद NSC-ScHii हैकाथॉन के विजेताओं की प्रस्तुतियाँ हुईं, जो पूर्व में आयोजित किया गया था। इस सत्र के संयोजक श्री Hardik चड्ढा (डीईआई) रहे। इसमें ध्रुव सतसंगी और सुरत सारुप ने Biometrics for Cows पर, मेहर माथुर और सान्या कल्याण ने Solar Panel Cleaner पर तथा आरना दयाल और बानी सतसंगी ने Multi-Model Digital Assistant पर प्रोजेक्ट प्रस्तुत किया।
प्रतिभागियों को डीईआई निदेशक प्रो. सी. patvardhan द्वारा पुरस्कार एवं प्रमाणपत्र प्रदान किए गए।
इस अवसर पर एसएसआई (SSI) के प्रतिष्ठित पुरस्कार भी विभिन्न सदस्यों को उनके उत्कृष्ट योगदान हेतु प्रदान किए गए।
प्रो. पी.के. कालरा (अध्यक्ष, एसएसआई) ने ये पुरस्कार प्रदान किए।
प्रो. एस.एस. भोजवानी एवं डॉ. एस.के. सतसंगी को लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड प्रदान किया गया।
नेशनल सिस्टम्स गोल्ड मेडल प्रो. हुजूर सरन (आईआईटी दिल्ली) को दिया गया।
राजकुमार वरुणशेय अवार्ड डॉ. अंबालाल वी. पटेल (वैज्ञानिक, G. एरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी) को प्रदान किया गया।
एसएसआई विक्रम अवार्ड डॉ. अंकित साहाई (डीईआई) को दिया गया।
यंग सिस्टम्स साइंटिस्ट अवार्ड डॉ. वीरेश्वर कुमार (आईआईटी दिल्ली) को प्रदान किया गया।
पुरस्कार समारोह के बाद एक अत्यंत संवादात्मक पैनल चर्चा का आयोजन किया गया, जिसका विषय था – “पर्यावरण के साथ सामंजस्य में न्यायसंगत, लचीले और सतत भविष्य के लिए पुनर्योजी प्रणालियाँ”। इसमें भाग लेने वाले विशेषज्ञों ने अपने विचार बहुत ही सूझबूझ और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किए।
पैनलिस्ट थे:
प्रो. वी. बी. गुप्ता, वाइस चेयरमैन, एसीई और कोऑर्डिनेटर, ओपन डिस्टेंस लर्निंग, डीईआई – उन्होंने बताया कि केवल निःस्वार्थ सेवा ही अंतिम शांति और सुख का कारण बन सकती है।
श्री गुर सरूप सूद, अध्यक्ष, रा धा स्वा मा मी सत्संग सभा, दयालबाग और डीईआई – उन्होंने छत्रचेतना (Umbrella Term Consciousness) के विभिन्न आयाम प्रस्तुत किए और कहा कि चेतना कोई भौतिक चीज़ नहीं है, बल्कि सार्वभौमिक घटना है।
डॉ. अनूप श्रीवास्तव, उपाध्यक्ष, रा धा स्वा मा मी सत्संग सभा, दयालबाग – उन्होंने चेतना के मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण को प्रस्तुत किया।
डॉ. एस.के. सत्संगी, अध्यक्ष, पूर्व छात्र संघ, दयालबाग शैक्षणिक संस्थान – उन्होंने बल दिया कि जाति आत्म-साक्षात्कार में बाधा नहीं है, जैसा कि दयालबाग जीवन शैली ने प्रमाणित किया है।
प्रो. आनंद श्रीवास्तव, यूनिवर्सिटी ऑफ कील, जर्मनी – उन्होंने कहा कि विभिन्न देशों के लोगों को जिम्मेदारी लेकर एकजुट होकर प्रकृति को संरक्षित करना चाहिए, जिससे सतत भविष्य संभव हो।
प्रो. अन्ना एम. होरात्शेक, यूनिवर्सिटी ऑफ कील, जर्मनी – उन्होंने मानव (Human) और मानवीय (Humane) शब्दों के बीच के अंतर पर प्रकाश डाला।
अन्य पैनलिस्ट थे –
प्रो. पम्मी दुआ (पूर्व निदेशक, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स और पीएम आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य), प्रो. हुजूर सरन (आईआईटी दिल्ली), डॉ. अपूर्वा नारायण (यूनिवर्सिटी ऑफ वाटरलू और वेस्टर्न ओंटारियो, कनाडा), प्रो. सरूप रानी माथुर (अरिज़ोना स्टेट यूनिवर्सिटी, यूएसए), डॉ. अपूर्वा रतन मूर्ति (जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, यूएसए), प्रो. पी.के. कालरा (अध्यक्ष, सिस्टम सोसाइटी ऑफ इंडिया), प्रो. सी. पटवर्धन (निदेशक, डीईआई), प्रो. आनंद मोहन (रजिस्ट्रार, डीईआई) और श्रीमती स्नेह बिजलानी (कोषाध्यक्ष, डीईआई)।
पैनल चर्चा का संचालन डॉ. संजय भूषण ने किया।
सत्र में डीएससी और एनएससी 2026 के आयोजन हेतु सहमति-निर्माण बैठक भी शामिल थी, जिसकी अध्यक्षता प्रो. सी. पटवर्धन (निदेशक, डीईआई) ने की।
एक जीवंत सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया, जिसमें डीईआई के छात्र-छात्राओं और दयालबाग संत सुपरह्यूमेन इवोल्यूशनरी स्कीम के बच्चों ने अपनी प्रतिभा का शानदार प्रदर्शन किया। इसमें विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ शामिल थीं, जैसे –
भारतीय शास्त्रीय संगीत में रचना,
पश्चिमी संगीत की आत्मीय धुनें (जिसने इस वर्ष राष्ट्रीय युवा महोत्सव में प्रथम पुरस्कार जीता),
मिथिलांचल का एक लोकगीत,
संत सुपरह्यूमेन इवोल्यूशनरी स्कीम के बच्चों द्वारा तीन मनमोहक प्रस्तुतियाँ, जिनमें समूह नृत्य और गुरु वंदना शामिल थी, जो गुरु (शिक्षक) की उपासना का प्रतीक थी।
सम्मेलन के अंतिम दिन के समापन पर डॉ. कुमार रत्नाकर (डीईआई) ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा और सम्मेलन का समापन संस्थान गीत तथा विदाई भोज के साथ हुआ।
इसके अतिरिक्त डीएससी एवं एनएससी के सर्वश्रेष्ठ शोधपत्रों व पोस्टर प्रस्तुतियों हेतु पुरस्कार वितरण भी किया गया।
डीएससी सर्वश्रेष्ठ शोधपत्र पुरस्कार: पुष्पनीत कौर एवं प्रो. वी. प्रेमलता।
डीएससी सर्वश्रेष्ठ पोस्टर पुरस्कार: डॉ. एम.एस. भारद्वाज।
एनएससी सर्वश्रेष्ठ पेपर पिक्सल्स पुरस्कार: अगम प्रकाश, झनकार नैय्यर, डॉ. दयाल प्यारी श्रीवास्तव, गुरुप्रिय, निरपेश दीक्षित, हिमांशु बंसल, प्रो. सुखदेव राय, शिवानी गौतम, सुरिमान पुलान एवं डॉ. कविता कुमार।
एनएससी सर्वश्रेष्ठ पोस्टर पुरस्कार: हिमांशु भारद्वाज।