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स्वदेशी चेतना से राष्ट्र निर्माण: डॉ दिनेश शर्मा

जयपुर, राजस्थान। विप्र फाउंडेशन के तत्वाधान में निर्मित श्री परशुराम ज्ञानपीठ, में डॉ. दिनेश शर्मा (पूर्व उपमुख्यमंत्री, उत्तरप्रदेश एवं राज्यसभा सांसद) ने प्रतियोगी परीक्षा के विद्यार्थियों को दिए जा रहे निशुल्क प्रशिक्षण दिए जाने के अंतर्गत विशेष सेशन मैं विद्यार्थियों को संबोधित किया।
विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा —

“संस्कारोदय की पहली पाठशाला परिवार होता है। परिवार में रहकर जो शिक्षा, अनुशासन और मूल्य हम सीखते हैं, वही जीवनभर हमारे व्यक्तित्व की आधारशिला बनते हैं। यदि परिवार मजबूत है, तो राष्ट्र स्वतः सशक्त होता है।”

विदेश में शिक्षा पर विचार (विशेष):
डॉ. शर्मा ने कहा कि विदेशों में शिक्षा की दिशा आज व्यवसाय और लाभ केंद्रित हो गई है, वहाँ का उद्देश्य “रोज़गार” है, जबकि भारत की शिक्षा का मूल उद्देश्य “चरित्र और संस्कार निर्माण” रहा है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि “विदेशी शिक्षा प्रणाली हमारे आत्मबोध और भारतीय मूल्य प्रणाली को कमजोर करती है, इसलिए हमें स्वदेशी शिक्षा की ओर लौटना चाहिए।”

स्वदेशी चेतना से राष्ट्र निर्माण:
उन्होंने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि —

“स्वदेशी केवल वस्त्र या वस्तु तक सीमित नहीं, यह सोच का विषय है। जब हम अपनी मिट्टी, भाषा, संस्कृति और संसाधनों पर विश्वास करते हैं, तब सच्चे अर्थों में राष्ट्र निर्माण होता है। स्वदेशी चेतना आत्मनिर्भर भारत की आत्मा है।”

डॉ. शर्मा ने कहा कि शिक्षा केवल परीक्षा पास करने का साधन नहीं, बल्कि जीवन में उद्देश्यपूर्ण मार्गदर्शन का माध्यम होनी चाहिए।

“शिक्षा वही सार्थक है जो व्यक्ति को राष्ट्र के लिए उपयोगी बनाए, समाज के लिए उत्तरदायी बनाए और स्वयं के लिए आदर्श बनाए।”

उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे संस्कार, स्वदेशी चेतना और लक्ष्य आधारित शिक्षा के माध्यम से विकसित भारत के निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाएँ।
डॉ. दिनेश शर्मा (पूर्व उपमुख्यमंत्री, उत्तरप्रदेश एवं राज्यसभा सांसद) ने आज श्री परशुराम ज्ञानपीठ का निरीक्षण किया और इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा—

“ विप्र फाउंडेशन के सूरत महाअधिवेशन 2015 मैं जहां कई हजार लोगों ने भाग लिया था वहां वह मुख्य अतिथि थे जहां विप्र फाउंडेशन ने अनेक निर्णय लिए जो आज साकार रूप ले रहे हैं। उस ऐतिहासिक अधिवेशन में हमारा मुख्य अतिथि के रूप में स्वयं उपस्थित होना हमारे लिए सौभाग्य का विषय रहा।”

डॉ. शर्मा ने कहा कि आज श्री परशुराम ज्ञानपीठ को देखकर मन अत्यंत प्रफुल्लित है। 60000 वर्ग फीट एरिया भारतीय जनता पार्टी की सरकार में फाउंडेशन को सोपा गया था आज वहां छः मंजिला इस भव्य भवन में विविध सामाजिक एवं शैक्षणिक उद्देश्यों को साकार किया गया है—
• एक मंजिल प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी हेतु समर्पित है,
• एक मंजिल पर स्किल सेंटर स्थापित है,
• नेशनल एजुकेशन पॉलिसी सेंटर अपनी कार्ययोजना के साथ सक्रिय है,
• वहीं दो मंजिलों पर बने कन्या छात्रावास में लगभग 100 छात्राओं के निवास की व्यवस्था की गई है।

इसके अतिरिक्त शानदार ऑडिटोरियम तथा वैदिक रिसर्च सेंटर का 5G आधारित संचालन की अवधारणा वास्तव में विलक्षण एवं दूरदर्शी है।
यह भवन अपनी आकर्षक संरचना, सुव्यवस्थित संचालन और सार्थक उद्देश्य के कारण समाज के लिए प्रेरणास्रोत बन गया है।

डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि उन्हें यह जानकर अत्यंत प्रसन्नता हुई कि विप्र फाउंडेशन की 20 विंग्स सक्रिय रूप से कार्यरत हैं, जिनमें ISPAC अंतरराष्ट्रीय विंग समरसता एवं सनातन संस्कृति के प्रचार-प्रसार हेतु सराहनीय कार्य कर रही है।

संगठन के पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए डॉ. शर्मा ने कहा कि —

“शिक्षा, स्वास्थ्य एवं मानवमात्र के कल्याण के लिए ऐसे भवन स्थापित होने चाहिए, और उनके संचालन की संस्थागत व्यवस्था (Institutional Constitution) मजबूत होनी चाहिए।”

इससे पूर्व डॉ. दिनेश शर्मा ने भवन का निरीक्षण किया तथा भगवान परशुराम जी की प्रतिमा का पूजन किया।

इस अवसर पर विप्र फाउंडेशन राजस्थान के पदाधिकारीगण उपस्थित रहे —
राष्ट्रीय महामंत्री पवन कुमार पारीक, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विमलेश शर्मा एवं ओ.पी. मिश्रा, राष्ट्रीय सचिव नरेंद्र हर्ष, ज़ोन-1 अध्यक्ष राजेश कर्नल, ज़ोन-1 महामंत्री सतीश शर्मा, राष्ट्रीय युवा समन्वयक मनोज पांडेय, ज़ोन-1 सचिव सुशील शर्मा, उपाध्यक्ष अजय पारीक, वीसीसीआई चेयरमैन नवीन शर्मा, देवेश पारीक, कार्तिक पारीक, दीक्षा हर्ष (कोटा) सहित अनेकों पदाधिकारी उपस्थित रहे।

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