राज्यपाल के दीक्षांत संबोधन में मार्गदर्शक तत्व

लखनऊ। राज्यपाल आनंदी बेन पटेल दीक्षांत संबोधन में विद्यार्थियों के लिए मार्गदर्शक तत्व समाहित रहते हैं। उन्हेंने कहा कि भारत ऋषि-मुनियों की भूमि है। हमारे महान ऋषियों ने अपने लेखन और शोध कार्यों से जो अमूल्य ज्ञान दिया है, उसे पढ़ना और समझना युवाओं का दायित्व है। विद्यार्थी मात्र सिलेबस तक सीमित न रहें, बल्कि उससे बाहर की पुस्तकें भी पढ़ें। संकल्प करें कि ‘राष्ट्र प्रथम’ की भावना से कार्य करेंगे। आने वाले 25 वर्ष युवाओं के हैं, इन्हीं वर्षों में ‘विकसित भारत’ का निर्माण होना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने युवाओं पर भरोसा जताया है कि वे ही देश की नींव को सुदृढ़ करेंगे और भारत को विश्व पटल पर गौरवान्वित करेंगे। आनंदीबेन पटेल ने महाराजा सुहेलदेव विश्वविद्यालय, आजमगढ़ में दीक्षांत संबोधन दिया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति इसी दिशा में एक सशक्त कदम है, जो शिक्षा को राष्ट्रीय मूल्यों, सांस्कृतिक धरोहर और रोजगार, तीनों से जोड़ती है। यह नीति विद्यार्थियों को तकनीकी चुनौतियों के अनुरूप तैयार करती है और उन्हें कुशल, आत्मनिर्भर, नैतिक एवं राष्ट्रनिष्ठ नागरिक बनने के लिए प्रेरित करती है। बच्चों को मानसिक,शारीरिक, संवेदनात्मक और आध्यात्मिक रूप से सशक्त बनाना आवश्यक है। बेटियों को सशक्त बनाना विशेष रूप से आवश्यक है क्योंकि वे राष्ट्र निर्माण की आधारशिला हैं।
उन्होंने निर्देश दिया कि प्रदेश के सभी कृषि विश्वविद्यालयों में इस विषय को एक प्रोजेक्ट या प्रैक्टिकल के रूप में शामिल किया जाए, ताकि विद्यार्थी अपने खेतों पर ऑर्गेनिक खेती का अभ्यास करें। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे विद्यार्थियों को ही अवार्ड दिए जाएँ जो इस दिशा में वास्तविक कार्य करें। उन्होंने कहा कि जब हमारे युवा “स्वदेशी, आत्मनिर्भरता, और राष्ट्र सेवा” की भावना से प्रेरित होकर आगे बढ़ेंगे, तब ही प्रधानमंत्री का विकसित भारत का सपना साकार होगा।