आगरा से लखनऊ तक ‘पारस पर्ल्स मॉल’ के अनाधिकृत निर्माण व सुरक्षा मानक अनदेखी की शिकायत
पहले भी विवादों में रहे हैं पारस पर्ल्स ग्रुप के बिल्डर, अधिकारियों से सांठ-गांठ का आरोप, उच्चस्तरीय जांच व कठोर कार्यवाही की मांग

आगरा। आवास विकास सेक्टर- 12, आगरा में पारस पर्ल्स मॉल, सिनेवर्ल्ड सिनेमा के नाम से बनाई गई कई मंजिला मल्टी स्टोरी कमर्शियल बिल्डिंग और बिल्डर एक बार फिर चर्चाओं में है और विवादों में घिर गए हैं। यह मामला अन्य मामलों की तरह सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना हुआ है। इसके अलावा हाल ही में पारस पर्ल्स सोसाइटी के निवासियों ने भी बिल्डरों के खिलाफ बड़ा आंदोलन किया था। उन्होंने सोसायटी नियम विरोध बनाने एवं फ्लैट बेचते समय बताई गई सुविधाएं उपलब्ध न कराने के अलावा कई गंभीर आरोप लगाए थे। यह मामला भी चर्चा का विषय और कई दिन मीडिया की सुर्खियां बना रहा। मॉल के मामले की शिकायत आगरा जिलाधिकारी एवं आगरा लखनऊ के वरिष्ठतम अधिकारियों से लेकर प्रदेश की राज्यपाल महोदया तक से की गई है।
शिकायत में आगरा निवासी विनोद कुमार ने बिल्डरों पर गंभीर आरोप लगाते हुए पूरे मामले का खुलासा किया है और शासन प्रशासन से तुरंत उच्च स्तरीय जांच करने एवं बिल्डरों व उनके साथ शामिल अधिकारियों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही की मांग की गई है। शिकायत में कहा गया है कि मैं आपके संज्ञान में एक अत्यंत गंभीर मामला लाना चाहता हूँ। हमारे क्षेत्र में स्थित पारस पल्स मॉल (सेक्टर 12, आवास विकास, आगरा) में तय मानकों से अधिक निर्माण कार्य किया गया है। बताया जा रहा है कि उक्त मॉल में कई मल्टीप्लेक्स भी शामिल हैं, और यह निर्माण कार्य बिना वैध सरकारी अनुमति के किया गया है। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि अभी तक सिनेमा का लाइसेंस प्राप्त नहीं हुआ है। हाल ही में पारस पर्ल्स सोसाइटी, जो नियम विरुद्ध बनाई गई थी, उसके संबंध में वहाँ के निवासियों ने आंदोलन भी किया था। शिकायत में कहा गया है कि इसी प्रकार मॉल का पूर्णता प्रमाणपत्र भी कथित रूप से भारी धनराशि देकर अवैध रूप से प्राप्त किया गया है।
शिकायतकर्ता का आरोप है कि इसके अतिरिक्त, यह भी ज्ञात हुआ है कि फायर विभाग से भी आवश्यक नियमों की अनदेखी कर अवैध रूप से लाखों रुपये देकर (एनओसी) प्राप्त कर ली गई है। यह अनियमितताएँ न केवल कानून का उल्लंघन हैं, बल्कि आम जनता की सुरक्षा के लिए भी एक गंभीर खतरा उत्पन्न करती हैं। किसी भी आपदा या दुर्घटना की स्थिति में वहाँ उपस्थित हजारों लोगों की जान खतरे में पड़ सकती है। शिकायत में कहा गया है कि विशेष सूत्रों से मालूम हुआ है इस मॉल में दो ऊपर की मंजिल अवैध बनी है। जिसपर आवास विकास विभाग द्वारा डिमोलिश का नोटिस निकला था। फिर मॉल मालिक द्वारा आवास विकास से मिल कर स्टे ले लिया। जो कि अगर अवैध है तो मल्टीप्लेक्स अवैध ही माने जायेंगे। शिकायतकर्ता ने मांग की है कि इस मामले की तुरंत उच्चस्तरीय जांच करवाई जाए तथा यदि कोई अनियमितता पाई जाए तो संबंधित मॉल प्रबंधन एवं अधिकारियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाए। इससे भविष्य में संभावित दुर्घटनाओं से बचाव हो सकेगा और जनता की सुरक्षा सुनिश्चित होगी। शिकायतकर्ता ने शीघ्र आवश्यक कार्यवाही की अपेक्षा की है।
बताते चलें कि हाल ही में पारस पर्ल्स एक्सटेंशन के निवासियों ने भी बिल्डर के खिलाफ सड़क पर उतरकर बड़ा आंदोलन किया था। वहां के निवासियों ने बताया कि 8 साल तक परेशानियां झेलने के बाद प्रदर्शन करने और बिल्डर के खिलाफ सड़क पर उतरने को मजबूर हुए। आरोप लगाया कि मैंटेनेंस के नाम पर बिल्डर ही प्रतिमाह प्रति फ्लैट से 3-4 हजार रुपए वसूल रहा है। जबकि फ्लैट की रजिस्ट्री के समय 40 हजार रुपए प्रति फ्लैट से वन टाइम मैंटेनेंस चार्ज के रूप में भी वसूल लिया गया था। बिजली, गंदगी सुरक्षा जैसी तमाम परेशानियों से तंग आकर आज पारस पर्ल्स एक्सटेंशन के निवासियों ने बिल्डर के खिलाफ प्रदर्शन किया। अध्यक्ष विकास गर्ग ने बताया कि यहां 150 फ्लैट हैं। बिल्डर फ्लैट मालिकों को निजी रूप से टोरंट के कनेक्शन नहीं लेने देता। खुद ने कनेक्शन ले रखा है, उसी प्राइवेट मीटर से अधिक कीमत में सभी को बिजली सप्लाई की जाती है। जनरेटर के नाम पर 35 हजार रुपए प्रति फ्लैट से वसूले गए थे। लेकिन बिल्डिंग में एक भी जनरेटर नहीं है। महासचिव अशीष जैन व उपाध्यक्ष नीरज जैन ने आरोप लगाया कि फ्लैट बेचते समय बिल्डिंग में सात लिफ्ट बताई गईं थी। लेकिन लगाई गईं सिर्फ तीन। न ही फायर ब्रिगेड की एनओसी है और न ही एडीए से सीसीओसी का सर्टिफिकेट लिया गया है।