
शिक्षा का उद्देश्य ज्ञान प्राप्त करना मात्र नहीं हो सकता। शिक्षा और ज्ञान में समाज हित का भाव भी समाहित होना चाहिए। समाज का हित शांति और सौहार्द में होता है। भारतीय मनीषा में इसी का संदेश दिया गया,
विद्या ददाति विनयं, विनयाद् याति पात्रताम् । पात्रत्वात् धनमाप्नोति, धनात् धर्मं ततः सुखम्”।
राज्यपाल ने कहा भी कि शिक्षा केवल ज्ञान तक सीमित नहीं बल्कि विचार, अनुभव और व्यवहार की साधना है। अर्जित ज्ञान का उपयोग समाज के कल्याण, मानवता के उत्थान और राष्ट्रनिर्माण में होना चाहिए। दिल्ली में हुए आतंकी विस्फोट के बाद यह विषय सामयिक भी हो गया है। राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने इस प्रसंग को दीक्षांत समारोह में उठाया। इसके माध्यम से उन्होंने विद्यार्थियों को सामाजिक सरोकारों का संदेश दिया। उन्होंने महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखंड विश्वविद्यालय बरेली के दीक्षांत समारोह को संबोधित किया। दिल्ली में हुए आतंकी हमलों पर चिंता जताई। कहा कि आतंकवादी प्रवृत्ति में शिक्षित लोग भी शामिल हो रहे हैं। इसलिए समाज व शैक्षणिक संस्थानों को सभी गतिविधियों पर दृष्टि रखनी होगी। शिक्षा का उद्देश्य है कि वह व्यक्ति को संवेदनशील,समर्पित और कर्तव्यनिष्ठ बनाना है। हिंसा या अन्याय की ओर जाने से रोकना है। राज्यपाल के इस संदेश का व्यापक महत्व है। उन्होंने वर्तमान के साथ ही भविष्य के लिए भी विद्यार्थियों को कर्तव्य पालन का संदेश दिया। उपभोगवादी विचार ने अनेक सामाजिक और पर्यावरण संबंधी समस्याओं को जन्म दिया है। ये समस्याएं जटिल होती जा रही हैं। इनका समाधान भारतीय जीवन मूल्यों से संभव है। जिसमें मानव मात्र के कल्याण को महत्व दिया गया। पर्यावरण संरक्षण का अपरिहार्य बताया गया। विश्व में पर्यावरणीय संकट बढ़ रहा है। इसका समाधान भारतीय चिंतन से ही संभव है। राज्यपाल ने कहा कि एक पेड़ माँ के नाम अभियान केवल वृक्षारोपण का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह मातृत्व के प्रति कृतज्ञता और पर्यावरण के प्रति उत्तरदायित्व का संदेश देता है। इसी प्रकार अपने और समाज जीवन में स्वच्छता का भी महत्व है। स्वच्छ भारत मिशन ने स्वच्छता को जन-जन का राष्ट्र प्रेम बना दिया है। जल संरक्षण,वृक्षारोपण मिशन और नदियों के पुनरुद्धार के माध्यम से प्रकृति का संरक्षण और संवर्धन हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी ट्वेंटी की अध्यक्षता के दौरान वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर का विचार दिया था। वस्तुतः इसी में शिक्षा का भारतीय उद्देश्य भी समाहित है। इसमें अहिंसा,शांति सौहार्द और पर्यावरण चेतना का विचार समाहित है। राज्यपाल ने कहा कि इस उद्घोष में ऊर्जा,पर्यावरण और अर्थव्यवस्था तीनों एकता के सूत्र हैं। यह वैश्विक संतुलन और मानवीय सहयोग का वास्तविक मंत्र है।विश्वविद्यालयों को नवीन विचारों, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और सामाजिक आवश्यकताओं के अनुरूप अनुसंधान को बढ़ावा देना चाहिए। अन्य शैक्षणिक व अनुसंधान संस्थानों के साथ संयुक्त कार्यक्रम संचालित करने चाहिए। इससे ज्ञान का प्रवाह सीमाओं से परे मानवता के हित में हो सकेगा। राज्यपाल ने वंदे मातरम और राष्ट्रभक्ति के ऐतिहासिक संदर्भ का उल्लेख किया। कहा कि हमारे महापुरुषों के कृतित्व हमें राष्ट्रभक्ति, कर्तव्यबोध तथा संस्कार की शिक्षा देते हैं। विद्यार्थियों को उन ग्रंथों एवं इतिहास से सीख लेकर राष्ट्र के प्रति समर्पित रहना चाहिए।



