शिक्षा में आधुनिकता के साथ भारतीय संस्कृति का समावेश जरूरी : डा दिनेश शर्मा
भारतीय संस्कृति से आच्छादित शिक्षा केंद्रों के बच्चे देश का भविष्य

कानपुर/लखनऊ । राज्यसभा सांसद एवं यूपी के पूर्व उपमुख्यमंत्री डा दिनेश शर्मा ने कहा कि शिक्षा में आधुनिकता के साथ भारत की संस्कृति का समावेश वर्तमान समय की सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता है। शिक्षा में संस्कारो का समावेश होना ही चाहिए। बच्चों को भारत की संस्कृति को जीवन में आत्मसात करना चाहिए। भारत की संस्कृति एक दर्शन की तरह है जबकि पाश्चात्य संस्कृति प्रदर्शन मात्र है।
बीएनएसडी शिक्षा निकेतन के पुनर्वा वार्षिकोत्सव में उपस्थित छात्र छात्राओ,अभिभावकों एवं अपार जनसमूह को सम्बोधित करते हुए डा शर्मा ने कहा कि इस विद्यालय में बच्चों को शिक्षा देने के साथ ही उन्हे नैतिकता भी सिखाई जाती है। यहां पर यह देखना सुखद था कि बच्चे एक स्वयं सेवक की तरह देश के गौरवशाली इतिहास का वर्णन कर रहे थे। यहां के बच्चे देश का भविष्य है। वे गीत के जरिए माता पिता के प्रति आदर भाव प्रस्तुत कर रहे थे। असल में माता पिता जीवन्त भाव में धरती पर भगवान का रूप होते हंै। माता पिता ही बच्चें के प्रथम शिक्षक होते हैं। बच्चे बडे होकर माता पिता द्वारा प्रदान शिक्षा का ही सरूप प्रस्तुत करते हैं।
सांसद ने कहा कि देश तेजी से प्रगति के पथ पर आगे बढ रहा है।समय के साथ ही आवश्यकताए भी बदल रही है । इसके साथ ही शिक्षा का तौर तरीका भी बदल गया है। इन सबके बीच में संस्कारों का धीरे-धीरे पतन होना शुरू हुआ है। आदमी तेजी से आगे बढ रहा है पर पारिवारिक परिवेश खो गया है। भागदौड भरी जिन्दगी ने बच्चों का बचपन छीन लिया है। परिवार के सदस्यों के बीच का अपनापन कम होता जा रहा है। इसका प्रमुख कारण आधुनिकता की दौड में शामिल होने के कारण पुरानी परम्पराओं से दूर होना है। मोबाइल ने तो पारिवारिक कार्यक्रमों में भी उपस्थिति को औपचारिकता मात्र बना दिया है। पहले व्यक्ति सोता था पर अब मोबाइल पर मैसेज आदि आना बन्द होने के बाद ही व्यक्ति सोता है। आधुनिकता के कारण सामाजिक और पारिवारिक परिवेश बदल गया है।
उन्होंने कहा कि जीवन से माता पिता की सुगन्ध खो रही है। त्योहार भी भागदौड भरी जिन्दगी और आधुनिकता से अछूते नहीं रहे हैं। जीवन में माता पिता बच्चें के लिए हर संभव प्रयास करके उसे बेहतरीन भविष्य देते हैं पर अगर बच्चा विदेश में पढने चला जाता है तो उसके संस्कार भी विदेशी हो जाते हैं। अमेरिका में हुए शोध में भी भारत के संस्कारों को बच्चों की प्रगति में महत्वपूर्ण पाया गया है। वहां की शोध में कहा गया है कि बच्चे को उसके दादा दादी और नाना नानी के साथ अवश्य रखना चाहिए। इससे उसके जीवन की तमाम जिज्ञासाओं का समाधान होता है। उनके द्वारा सुनाई गई कहानियां जीवन में उनके सर्वागीण विकास का आधार होती थी। अपने बच्चें को अच्छा बनाने के लिए व्यक्ति को अच्छा बच्चा बनकर कार्य करना होगा।
पूर्व उपमुख्यमंत्री ने बच्चों से जीवन में संतुलन स्थापित करने बात कहते हुए कहा कि जीवन में बडा बनने के लिए बडे सपने भी देखने चाहिए। इस सपने के पीछे तब तक भागना चाहिए जब तक सपना पूरा नहीं हो जाए। जीवन में सफल वही होता है जिसके पास जज्बा होता है। जीवन में कभी भी अहंकार नहीं होना चाहिए क्योंकि वह जीवन के संचित पुण्य को नष्ट करता है। जो व्यक्ति अपने वर्तमान से संतुष्ट होता है उसका भविष्य अच्छा होता है। क्रोध पर भी नियंत्रण रखना चाहिए।
उन्होंने बीएनएसडी शिक्षा निकेतन इंटर कॉलेज कानपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्र सेवा के शताब्दी वर्ष के अवसर पर आयोजित पंच प्रण सामाजिक समरसता, कुटुंभ प्रबोधन, पर्यावरण, संरक्षण, स्व का बोध स्वदेशी एवं नागरिक कर्तव्य पंचमुखी विकास योजना एवं स्वयंसेवकों के अथक प्रयासो से वटवृक्ष की भाति निर्मित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गौरवमायी गाथा पर आधारित प्रदर्शनी का अवलोकन किया।
इस अवसर पर पूर्व क्षेत्र संघचालक, पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ श्री वीरेंद्रजीत सिंह जी,प्रांत प्रचारक श्री श्रीरामजी, प्रांत संचालक श्री भवानी जी, माo सांसद श्री रमेश अवस्थी जी, बुंदेलखंड के क्षेत्रीय अध्यक्ष श्री प्रकाश पाल जी,प्रबंधक श्रीमती नीतू सिंह जी, विद्यालय समिति के अध्यक्ष श्री आदित्य शंकर बाजपेई जी, प्राचार्य ब्रिज मोहन जी, जिला अध्यक्ष अनिल दीक्षित जी, मा० विधायक एवं पूर्व मंत्री श्रीमती नीलिमा कटियार जी, माo विधायक श्री सुरेंद्र मैथानी जी, माo विधायक श्री राहुल बच्चा सोनकर जी, सदस्य विधान परिषद श्री सलिल विश्नोई जी, पूर्व विधायक श्री रघुनंदन भदोरिया जी, विधायक प्रत्याशी श्री सुरेश अवस्थी जी, पूर्व अध्यक्ष श्री दीपू पांडे जी, युवा मोर्चा अध्यक्ष श्री शिवांग मिश्रा, पूर्व अध्यक्ष श्री शशांक मिश्रा जी, वरिष्ठ भाजपा नेता श्री आलोक मिश्रा जी, व्यापार प्रकोष्ठ के संयोजक श्री विनोद गुप्ता जी एवं क्षेत्रीय सहसंयोजक शिक्षक प्रकोष्ठ श्री शैलेंद्र द्विवेदी जी आदि उपस्थित रहे।



