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हिंदी सिनेमा की वो पहली ग्रेजुएट अदाकारा जिसने छोटे रोल से बटोरी सुर्खियां, दिलीप कुमार और राज कपूर की मां बनकर छोड़ी छाप

Leela Chitnis: पुराने जमाने में जब फिल्मों में महिलाओं का काम करना वर्जित था उस जमाने में लीला चिटनिस से एक से बढ़कर एक रोल करते हुए अपनी छाप छोड़ी थी। दमदार अदायगी के साथ-साथ उन्हें हिंदी सिनेमा की पहली ग्रेजुएट सोसाइटी लेडी होने के लिए भी जाना जाता है।

नई दिल्ली, जेएनएन। सिनेमा जगत में कई अदाकाराओं ने अपनी अदायगी के दम पर लोगों के दिलों पर राज किया है। 70-80 के दशक से लेकर अब तक का बॉलीवुड काफी बदल गया है। अभिनेत्री के लुक से लेकर उनके डायलॉग डिलीवरी तक में बदलाव आए हैं। लेकिन, अगर कुछ नहीं बदला है, तो वह है उनके कम पढ़े लिखे होने की धारणा। कई लोगों का मानना है कि इस प्रोफेशन में आने वाले अभिनेता या अभिनेत्री ज्यादा पढ़े लिखे नहीं होते। लेकिन, आज हम आपको एक ऐसी अभिनेत्री के बारे में बताएंगे, जिसने बाल विवाह जैसी क्रूर प्रथा के जमाने में ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई कर सिनेमा में एंट्री की थी। वह थीं लीला चिटनिस।

30 के दशक में जब महिलाओं का फिल्मों में काम करना गलत माना जाता था, लीला चिटनिस ने उस दौर में इंडस्ट्री में कदम रखा। वह पहली भारतीय हीरोइन रहीं, जिन्होंने लक्स का विज्ञापन किया था। इससे भी ज्यादा जरूरी कि उनके पास कॉलेज की डिग्री थी। वह हिंदी सिनेमा की पहली पढ़ी लिखी ग्रेजुएट सोसाइटी लेडी एक्ट्रेस मानी जाती हैं।

शादी के बाद शुरू किया अभिनय, छोटे रोल से बटोरी सुर्खियां

9 सितंबर, 1909 को जन्मीं लीला चिटनिस का 2003 में निधन हो चुका है। 94 वर्ष की जिंदगी में उन्होंने बहुत उतार-चढ़ाव देखे। सिनेमा इंडस्ट्री में पैर जमाने से लेकर अंग्रेजों से लड़ाई लड़ने तक, उनकी जिंदगी के कई ऐसे पहलू हैं, जिसके बारे में अधिकतर लोग नहीं जानते। कर्नाटक के ब्राह्मण परिवार में जन्मीं लीला चिटनिस पढ़े लिखे परिवार से आती थीं। उनके पिता अंग्रेजी के प्रोफेसर थे। लीला चिटनिस खुद भी खूब पढ़ी लिखी थीं। उन्हें महाराष्ट्र की पहली ग्रेजुएट लेडी का खिताब मिला था। 15 या 16 की उम्र में उनकी शादी हो गई। वह चार बच्चों की मां बनीं लेकिन, अभिनय से उनका लगाव कम नहीं हुआ। उन्होंने 'नाट्यमानवांतर' नाम का मराठी थिएटर ज्वाइन किया। यहां अभिनय और कॉमेडी प्ले करते हुए अपने अभिनय के शौक को पूरा करना शुरू किया। उन्होंने फिल्मों में भी काम किया।

शुरुआती वर्षों में उन्हें जो भी रोल मिलते, वह उन्हें निभाती चली गईं। जिस दौर में फिल्मों में एक्टिंग को ही घटिया माना जाता था, उस जमाने में लीला चिटनिस ने खुद को वहां स्थापित करना शुरू किया। इसी के जरिये वह बच्चों का पेट भी पाल रही थीं क्योंकि, पति के साथ उनके रिश्ते ज्यादा दिन टिके नहीं और बच्चों की पूरी जिम्मेदारी अकेले उन पर आ गई। लेकिन, संघर्षों का सामना करते हुए उन्होंने स्कूल में बतौर अध्यापिका काम करना शुरू किया। उस दौर में वह कई नाटकों में भी काम करने लगीं। धीरे-धीरे उन्होंने फिल्मों से भी पैसे कमाना शुरू कर दिया। 

बॉम्बे टॉकीज ने पहचाना था लीला का हुनर

लीला चिटनिस को पहला बड़ा ब्रेक 'जेंटलमैन डाकू' से मिला था, जिसमें उन्होंने पुरुषों की पोशाक पहनी थी। लीला ने यह किरदार बखूबी निभाया था। उनकी एक्टिंग से निर्देशक इतने प्रभावित हुए कि उनके पास फिल्मों की बाढ़ आने लगी। उस समय लीला अपने करियर के ऐसे पड़ाव पर थीं कि, वह जिस भी फिल्म को हाथ लगातीं, वह चमक उठती। ऐसे समय में लीला को बॉम्बे टॉकीज से जुड़ने का मौका मिला। लीला की अदाकारी और कलाकारी से प्रभावित उन्हें उस दौर के सुपरस्टार अशोक कुमार के साथ 'कंगन' ऑफर की गई थी। फिल्म ब्लॉकबस्टर रही। दर्शकों ने अशोक कुमार के साथ लीला की जोड़ी को पसंद किया। इसके बाद उन्होंने 'आजाद', 'बंधन' जैसी कई बेहतरीन फिल्में कीं।

 

 

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